नारी तू नारायणी
नेहा शर्मा "स्नेह"
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता
विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान"
उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना
जीवन तुम ही देती हो
जीवन सवाँरना भी तुम्हे ही आता है
प्रेम तुमसे ही प्रकाशित हो निभाना भी तुम ही सिखलाती हो
रिश्तो की बागडोर हो या ऑफिस में कोई पद भार हो
जाने कैसे सब संभाल लेती हो जैसे तुम दैवीय अवतार हो
लोग प्रशंसा नहीं कर पाते तुम्हारे पराक्रम से घबराते है
और ये समाज तुम्हे दबाने जाने कितने षडयंत्र रचाते है
पर तुम न डरना न दबना किसी से जीना अपने सिद्धांतो से तुम
आयी विपदा टल जाएगी मन में हौसला रखो ज़रा तुम
प्रिय मेरी बात ध्यान से ये समझ लो
नारी हो तो नारी के भरोसे को कभी न तोड़ना
जो तुम चाहती हो आगे बढ़ना हाथ
किसी सखी का अपने साथ में लेते चलना
न किसी को उलाहना देना न किसी की कमज़ोरी प...