बेटी
डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)
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अनचाही होकर भी बेटी
मन को सम्मोहित कर लेती है
उसकी नन्हीं चितवन ही
अनचाही को चाही कर देती है
ह्रदय मर्म को छूनेवाली
वही एक नारी है
किन्तु भावनाशून्य पिता को
वही एक भारी है
बेटी न केवल पुत्री है
रमा, शारदा, वह दुर्गा है
बलिदान, त्याग, ममता की मूर्ति
अमित सौहार्द, सहनशक्ति
गृहलक्ष्मी बन असहज क्षणों में
सखी-सहेली बन जाती है
माँ बन वह ममता का
सारा कोष लुटाती है
भगिनी बनकर स्नेहसूत्र में
बाँध सभी को लेती है
पत्नी बन वह न्योछावर
साँसें अपनी कर देती है।
शिक्षित होकर वह
माँ सरस्वती बन जाती है
प्रश्न उठे गृहरक्षा का जब
दुर्गारूप वह धर लेती है
इसीलिए वरदान है बेटी
मात-पिता का मान है बेटी
दो कुलों की तारक है
अतुल शक्ति की खान है बेटी।
जयहिन्द
जय हिन्द की बेटी
परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी...