अकस्मात नहीं होता
सीताराम पवार
धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश)
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रिश्ते हमें मिल जाते हैं मगर यह फरिश्ते नहीं मिलते
साहित्य के सफर में गर तुम्हारा यह साथ नहीं होता।
फिर हमारे झुके कंधों पर किसी का हाथ नहीं होता।
तुम्हारे ही शीर्षको ने साहित्य का ये जहां दिखाया है
तुम्हारी बेरुखी होती तो दिल मे जज्बात नहीं होता।
मेरे लिए जो दुश्वारियां उठाई मुझे इसका एहसास है
दिल से दोस्ती है इसमें कभी विश्वासघात नहीं होता।
रिश्ते हमे मिल जाते हैं मगर यह फरिश्ते नहीं मिलते
अगर मिल जाए फरिश्ता वह जाने हयात नहीं होता।
मेरे शब्दों से अगर कोई ठेस पहुंची हो तो माफ करना
दिल से निकली ये दुआ से कभी आघात नहीं होता।
ये तो मेरा नसीब है कि तुम्हारा यहां मुझे साथ मिला
नसीब से मिला ये साथ कभी भी खैरात नहीं होता।
रिश्ता हमने वजूद से नहीं तुम्हारे दिल से बनाया है
दिल का रिश्ता दिल से है यह अकस्म...