आ ज़िंदगी बैठ
आकाश सेमवाल
ऋषिकेश (उत्तराखंड)
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आ ज़िंदगी बैठ,
समझा के रहुंगा।
जो भी मसला है,
सुलझा के रहुंगा।
जितना भी क़र्ज़ है,
वक्त से पूछुंगा,
आज,सारा कर्ज
चुका के रहूंगा ।।
फिर न जिऊंगा
दोहरी जिंदगी।
न वक़्त की
चौकसी करूंगा।
जिऊंगा तुझे मैं
अपने ढंग से,
जिंदगी! और न
बेकसी करूंगा ।
रखुंगा ताउम्र,
अपने ही दायरे में,
तुझे उंगलियों पर
नचा के रहुंगा,
आ ज़िंदगी बैठ,
समझा के रहूंगा।
फिर न मसौदा,
न समझौता होगा।
अपने ही उसूलों
पर सौदा होगा ।
बहुत कर दी,
जी हुजूरी या चापलूसी,
अब महकमा अपना,
अपना ही ओहदा होगा।
लिखुंगा किरदार,
हर एक का अपने ढंग से,
हर एक को कहानी में
बैठाकर रहुंगा।
आ ज़िंदगी बैठ,
समझा के रहुंगा।
जो भी मसला है
सुलझा के रहुंगा।
परिचय :- आकाश सेमवाल
पिता : नत्थीलाल सेमवाल
माता : हर्षपति देवी
निवास : ऋषिकेश (उत्...