आम को इमली बताने आ गए
रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका'
लखनऊ
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ज़लज़ला दिल में मचाने आ गए
जाम आँखों से पिलाने आ गए
आम को इमली बताने आ गए
ह़क़ ग़रीबों का चुराने आ गए
है नहीं ईमां बचा दिल में ज़रा
झूठ के किस्से सुनाने आ गए
बेच कर अपने वतन की आन को
मूर्ख जनता को बनाने आ गए
कब समंदर से बुझी है तिश्नगी
लब के साग़र में डुबाने आ गए
साग़र-जाम
रह न पाए वे हमारे बिन तभी
शाम को मिलने मिलाने आ गए
क़त्ल करते हो स्वयं ऐ दिलरुबा
ख़ून फिर मुझ पर लगाने आ गए
माँ के आँचल में पला खुद ईश है
हम वहीं सिर को झुकाने आ गए
अम्न की बातें न जिनको हैं पसंद
अब्र वे अंबर पे छाने आ गए
क़ह्र कम होता न *रजनी* पे कभी
नैन से नैना लड़ाने आ गए
परिचय : रजनी गुप्ता 'पूनम चंद्रिका'
उपनाम :- 'चंद्रिका'
पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता
माता - श्रीमती रामदुलारी गुप्ता
पति :- श्री संजय गुप्ता
जन्मति...