हरियाली
सुनील कुमार अवधिया
डिण्डौरी (मध्य प्रदेश)
********************
चारों और घटा छाई,
बरस रहा है पानी।
अति सुंदर छटा वनों में छाई,
दिख रही हरियाली।।
कितनी सुंदर शोभा छाई,
मधुर-मधुर निराली।
चारों ओर घटा छाई,
अति सुंदर हरियाली।।
चहचहा रही मधुर गौरैया,
हरियाली की रानी।
सूखे पेड़ हरे हो गए,
चारों ओर घनी छाई हरियाली।।
नदी नालों में बह रहा है,
देखो कितना पानी।
वर्षा की बूंदों से धरा,
हो गई खूबसुहानी।।
खेतों में हलचल रहे,
दिखे जहां हरियाली।
रिमझिम-रिमझिम बरस रहा है पानी,
सावन की रितु है आयी मस्तानी।।
मनमोर नाच रहा है बारिश में मेरा,
चुग रही चिड़िया आंगन में दानापानी।।
घुमड़़-घुमड़़ के बादल छाये।
दामनि दमक रही दमकाये।।
मोर पपीहा नाघ रहे है।
आनंदित हो सब हरषाये।।
सावन की रितु है मस्तानी।
सबको लगे बड़़ी सुहानी।।
परिचय : सुनील कुमार अवधिया 'मुक्तानिल'
निवासी : गाड़ा...