हनुमत्कृपा
प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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मुझे कब और क्या करना,
मेरे आराध्य बतलाते।
जो होता है मेरे हित मे,
वही वो मुझसे करवाते।
मुझे कब और क्या ....
उठाता लेखिनी जब मैं,
तो हनुमत भाव देते हैं।
भाव होते हैं हनुमत के,
तो भावुक गीत बनते है।
जो भी होता सृजन अच्छा,
उसे हनुमत हैं करवाते।
मुझे कब और क्या ....
थोड़ी सेवा मिली आराध्य की,
ये भी कृपा उनकी।
उन्ही की शक्ति से ही चल रही,
भक्ति फली सबकी।
कभी आते हैं कुछ व्यवधान,
उनको वो ही निपटाते।
मुझे कब और क्या ....
है हनुमत से यही विनती,
नहीं सेवा विरत करना।
कभी कर्ता का आये भाव ना,
इतनी कृपा करना।
वही करता हूँ मैं सत्कर्म,
जो वो मुझसे करवाते।
मुझे कब और क्या ....
परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक ...