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नीर से ही जीवन है

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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नीर लिए आशा सदा, नीर लिए विश्वास ।
नीर से सांसें चल रही, देवों का आभास ।।

अमृत जैसा है सदा, कहते जिसको नीर ।
एक बूँद भी कम मिले, तो बढ़ जाती पीर ।।

नीर बिना जीवन नहीं, अकुला जाता जीव ।
नीर फसल औ’ अन्न है, नीर “शरद” आजीव ।।

नीर खुशी है, चैन है, नीर अधर मुस्कान ।
नीर सजाता सभ्यता, नीर बढ़ाता शान ।।

जग की रौनक नीर से, नीर बुझाता प्यास ।
कुंये, नदी, तालाब में, है जीवन की आस ।।

सूरज होता तीव्र जब, मर जाते जलस्रोत ।
घबराता इंसान तब, अनहोनी तब होत ।।

नीर करे तर कंठ नित, दे जीवन को अर्थ ।
नीर रखे क्षमता बहुत, नीर रखे सामर्थ्य ।।

नीर नहीं बरबाद हो, हो संरक्षित नित्य ।
नीर सृष्टि पर्याय है, नीर लगे आदित्य ।।

नीर बादलों से मिले, कर दे धरती तृप्त ।
बिना नीर के प्रकृति यह, हो जाती है तप्त ।।

नीर पूज्य है, वंदगी, देता है आनंद ।
नीर देव की जय करो, जो है ब्रम्हानंद ।।

परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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