वो पुरुष ही है
आशीष तिवारी "निर्मल"
रीवा मध्यप्रदेश
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वो पुरुष ही है जिसने
साथ निभाया
जन्म से मरन तक
वो पुरुष ही है जो साथ
चला ठिठुरन से जलन तक।।
वो खुल कर ना हंसा
ना रोया अब्र से कब्र तक
खुद को संभाल कर
रखा जब्र से सब्र तक।।
चलता ही रहा वह
सवेरे से रात तक
थका नहीं कभी चलती
उखड़ती सांस तक।।
खुद को संभाले रखा
घटते-बढ़ते रक्तचाप तक
माथे का पसीना पोंछते और
देह को मरोड़ते ताप तक।।
किरदार को निभाया खूब
नींद से लेकर जाग तक
रहा सदैव मर्यादा में हंसी
और ऊंचे विलाप तक।।
असफलता पर
कटी नाक तक
और सफलता पर
रोती आंख तक।।
हर अवसर पर
जन्मदिन से ब्याह तक
खुद से जुड़े सारे
रिश्तों के निबाह तक।।
सहज सरल स्वभाव
से लेकर अक्खड़ तक
धुंए से लेकर उड़ते
धूल धक्कड़ तक।।
घर के काम लेकर
दफ्तर तक
उम्र पांच से लेकर
पच्चहत्तर तक।।
हर रिश्ते को
दिल से ...