अपनापन तो होली
नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
********************
समझें अपनापन तो होली।
रक्खें अच्छा मन तो होली।
साथ हमारे आज अगर हो,
सम्बन्धों का धन तो होली।
आपस में रहने ,जीने का,
सीखें सच्चा फ़न तो होली।
साथ-साथ जो मन को भाये,
भीगे ऐसा तन तो होली।
खुल जाएँ गाँठे रिश्तों की,
मिट जाएँ अनबन तो होली।
ऊँच -नीच का भेद भुला कर,
मिल जाये जन-जन तो होली।
रंगों में हैं सच जीवन का,
कर लें सब मंथन तो होली,
परिचय :- नवीन माथुर पंचोली
निवास : अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति : शिक्षक
प्रकाशन : देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान : साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।
आप भी अपनी कविताए...