प्राण प्रणीत “शिवलहरी”
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण"
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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श्लोक १
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जय नन्दीश नदीश निधीश्वर नीर निशीश नटीश प्रभो।
चिर चण्डीश फणीश शशीधर शीश शिरीश शिखीश प्रभो।।
प्रिय पिण्डीश पतीशपतीश्वर वीर यतीश व्रतीश प्रभो।
मम संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।१।।
श्लोक २
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नव नीतीश क्षितीश सतीश्वर धीर सतीश सतीश प्रभो।
कलि कालीश कलीश कवीश्वर कीश करीश कटीश प्रभो।।
पद पाणीश परीश कपीश्वर ईश घटीश गतीश प्रभो।
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।२।।
श्लोक ३
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शशिमौलीश मनीष मतीश्वर मूल मुनीश महीश प्रभो।
जय गौरीश गिरीश गतीश्वर हीश हरीश तरीश प्रभो।।
जय देवीश दिवीश दिगीश्वर द्वीश दिगीश दृगीश प्रभो।
हर संघात निपात हराहर घातक पातक प्राण प्रभो।।३।।
श्लोक ४
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जय वारीश जिगीषु तमीश्वर वेदि विधीश विधीश प्रभो।
जय भृङ्गीश सुधीश बलीश्वर चित्त...