प्रीति की रीति के दोहे
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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जीवन दिखता है वहाँ, जहाँ प्रीति की रीति।
अंतर्मन में चेतना, पले नेह की नीति।।
नित्य प्रीति की रीति से, जीवन बने महान।
ढाई आखर यदि रहें, दूर रहे अवसान।।
संग प्रीति की रीति है, तो जीवन खुशहाल।
कोमल भावों से सदा, इंसां मालामाल।।
जियो प्रीति की रीति ले, तो सब कुछ आसान।
मन की पावनता सदा, लाती है उत्थान।।
जहाँ प्रीति की रीति है, वहाँ बिखरता नूर।
सुख आ जाता साथ में, हो हर मुश्किल दूर।।
ताप प्रीति की रीति है, जो हरती अवसाद।
श्याम-राधिका हो गए, सदियों को आबाद।।
अगर प्रीति की रीति है, तो होगा यशगान।
दिल से दिल जुड़कर सदा, रचते नवल विधान।।
आज प्रीति की रीति से, युग को दे दो ताप।
जीवन तब अनमोल हो, दर्द उड़े बन भाप।।
प्रीति रीति मंगल रचे, करे सदा आबाद।
प्रीति बिना इंसान तो, हो जाता बरबाद।।
रीति प...






















