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पद्य

हिन्दी हमारा अभिमान है
कविता

हिन्दी हमारा अभिमान है

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** हिन्दी में ही व्याकरण है हिन्दी से ही आचरण है। हिन्दी से ही सरल,सहज हर समस्या का निराकरण है।। हिन्दी भाषा हमारी शान है हिन्दी से ही हमारा सम्मान है। छंद,रस,अलंकार से सुसज्जित हिन्दी हमारा अभिमान है।। हिन्दी हमारी मातृभाषा है हिन्दी जीवन की आशा है। परचम लहराए हिन्दी का हम सबकी यही पिपासा है।। हिन्दी हम सबके लिए खास है इनसे बढ़ता आत्मविश्वास है। हिन्दी से सात सुरों का सरगम सुरीली नगमों का साजोसाज है।। बड़ी प्यारी भाषा है हिन्दी सबके मन भाती है हिन्दी। लगती सुरीली भाषा हिन्दी जैसे सजे माथे की बिन्दी।। परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।...
संसार हमारा है हिंदी
ग़ज़ल

संसार हमारा है हिंदी

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** व्यवहार हमारा है हिंदी। आचार हमारा है हिंदी । लिखने, पढ़ने की बातों का, आधार हमारा है हिंदी। बदले बोली, पग-पग दूरी, विस्तार हमारा है हिंदी। पद, गीत, कविता, छंदों में, सब सार हमारा है हिंदी। रिश्ते अपने, सच्चे इससे, संसार हमारा है हिंदी । जन-जन के सच्चे भावों में, सब प्यार हमारा है हिंदी। इस दौरे जहाँ की शिक्षा में, हथियार हमारा है हिंदी। अपनायी भाषाएँ सबकी, इक हार हमारा है हिंदी। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जात...
भारत के मस्तक की बिंदी है हिंदी
कविता

भारत के मस्तक की बिंदी है हिंदी

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भारत मां का अलंकार है हिंदी, भारत मांँ का शीश सुशोभित करती है हिंदी, देव-भाषा की अनमोल कृति है हिंदी, भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। जन -गण-मन की शक्ति है हिंदी, भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति है हिंदी, नन्हे मुन्नो की बोली है हिंदी विद्वानों की विद्वता को परिभाषित करती है हिंदी जब-जब इस पर संकट की परछाईं भी दिखती, कलमकारों की कलम से निकली हर हुंकार हिंदी रक्षण में आंदोलन करती, भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भाषाओं में सर्वोपरि राष्ट्रभाषा है हिंदी जन-गण-मन में रची बसी है हिंदी हर भारतवासी को एक सूत्र में बांधती है हिंदी, भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा :...
हिन्दी भारत की शान
कविता

हिन्दी भारत की शान

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** हिंदी की बोली में मिठास है सबको अपनी सी लगती है सात सुरों में झंकृत होती हिन्दी सबके मन को भाती हिन्दी अंग्रेजी शिक्षा बनी है जरूरत ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बड़ी नयी पीढ़ी के बच्चों को बताना हिन्दी से उनका रिश्ता है गहरा हिन्दी हमारे भारत की शान है भारतीयों का अभिमान हिन्दी सहज सरल हमारी भाषा हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती वैज्ञानिकता से परिपूर्ण है हिन्दी हर देश की अपनी एक भाषा है हमारे भारत की पहचान हिन्दी हिन्दुस्तान के माथे की है बिंदी चौदह सितंबर के इस शुभ अवसर एक संकल्प हम सबको करना है हिन्दी का खूब प्रचार प्रसार करना हिन्दी को विश्व जगत में फैलाना है हमारी मातृभाषा है प्यारी हिन्दी जन-जन की भाषा हमारी हिन्दी अब तक है राज भाषा हमारी हिन्दी राष्ट्र भाषा पद पर इसको बिठाना है ...
विश्व शान्ति की प्रतीक हिंदी
कविता

विश्व शान्ति की प्रतीक हिंदी

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** हिंदी है हम सब की भाषा, मिलकर इसका सम्मान करो, हिंदी में संवाद कर, हिंदी का गुणगान करो, प्यार प्रेम दर्शाने वाली, करूणा की मुर्त है, एक दूसरे से जोड़ती, ऐसी इसकी सूरत है, हिंदी को दो प्राथमिकता, ताकि विचार विचार बढ़े आगे, देश के सम्मान में, हिंदी का गुणगान बढ़े आगे, अज्ञानता से निकालकर, ज्ञानी हमें बनाती है, दुनियां में जीने के, सारे ढंग दिखाती है, हिंदी जोड़ती है आपस में, समुचे भारत वर्ष देश को, हिंदी देती है सभी जनों में, भाईचारे के संदेश को, गौरव गाथा है अपार इसकी, वैभव गौरवशाली है, विश्व शान्ति की प्रतीक, भाषा यह निराली है, ऋषि मुनियों की धरती पर, हिंदी का स्थान करो ऊंँचा, पताका इसकी फहरे विश्व में, ऐसा सम्मान करो ऊंँचा, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा ...
हिंदी भाषा
कविता

हिंदी भाषा

डॉ. अर्चना मिश्रा दिल्ली ******************** हिंद देश के वासी हम चलो इसका मान बढ़ाएं हिंदी को सब लोग मिलकर क्यों ना जन-जन तक पहुंचाएं हो सर्व सुलभ हिंदी ऐसी साहित्य का ज्ञान बढ़ाएँ सब को हिंदी से प्रेम हो कुछ ऐसा करके दिखाएं दिन प्रतिदिन कुछ ना कुछ लोगों को जगाएँ हिंद के प्रति समर्पित कुछ कविताएँ, गीत, नाटक, सबको पढ़ाएँ। राष्ट्रकवि से लेकर सब कवियों की गाथा सुनाएँ । क्या रहा इतिहास इसका चलो सबको बताएँ॥ हो जयशंकर प्रसाद या प्रेमचंद, मीरा हो या रसखान हो हो कबीर चाहे, सूरदास जायसी हों या मैथिलीशरण गुप्त हो राष्ट्रवाद की भावना सबमें प्रबल रही सभी को प्रेम हिंदुस्तान से सभी की आन बान जुड़ी हिंदी से ही थी फिर से अब स्वर बुलंद होगा हिंदी का परचम घर-घर लहरेगा पढों-पढों पढ़ना ज़रूरी हैं लिखों-लिखों लिखना भी सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं ॥ यही नारे गूंजेंगे दिन रात ह...
हिन्दी हमारी
कविता

हिन्दी हमारी

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** हिन्दी तन है, हिन्दी मन है, हिन्दी है अभिलाषा हिन्दी ही तो है हम सबके मन से निकली भाषा शब्दों का अखंड संसार भरा हुआ है इसके अन्दर भावों को व्यक्त करने का आसार है इसके अन्दर फैशनेबुल अँग्रेजियत में तो है इक परायापन सीधी सरल हिन्दीपन में तो है सरल अपनापन सक्षम है उठाने को ज्ञान व विज्ञान का अतुल भंडार संभाले है विकट व्याकरण का विषम व्यापार हिन्दुस्तान‌ की पावन भूमि से है यह निकली मन प्राण में रमती सरकती हुई है यह चली बहती गंगा की की तरह निर्मल है हमारी हिन्दी स्वदेश के भाल पर यह सुशोभित है ज्यों बिन्दी नमन करें, शमन करें हम हिन्दी के पुरोधाओं की गायें, लिखें, पढें व डाले एक हवि हम समिधाओं की। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड....
दिल हूं हिंदुस्तान की
कविता

दिल हूं हिंदुस्तान की

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** सरल, सहज, सुमधुर वचन संस्कृत से पाया अपना जीवन सबके मन को भाती सकल जगत को मोह रही है अंक मेरे अपार शब्द राशि सहेज रही बोलियों को बन मातृशक्ति नवीन तकनीक के लगा कर पंख मैं तो उड़ चली हिंदी कहते मुझको दिल हूं हिंदुस्तान की राजभाषा बन हिंद की राष्ट्र भाषा बनने की अब तमन्ना मैं कर रही परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com ...
हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा
गीत

हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मात्रा भार- १६-१४ हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा, इस पर हम अभिमान करें। नतमस्तक इसके चरणों में, इसका हम सम्मान करें।। केवल अक्षर इसे न समझें, यह माथे की बिंदी है। दुनिया में यह सबको प्यारी, लगती अपनी हिंदी है।। मुक्त कंठ से आओ मिलकर, हम इसका गुणगान करें हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा, इस पर हम अभिमान करें रग-रग में बहती है जैसे, रक्त बूॅंद की धारा है। प्राण वायु बन पोषित करती, जीवन यही हमारा है।। सुधा पिलाती है यह हमको, इसका हम रस पान करें हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा, इस पर हम अभिमान करें इस हिन्दी के हर अक्षर में, मिलता है विज्ञान भरा। सदा दमकती है कुंदन सा, कर लो यह पहचान जरा।। सूर्य ज्योति सी सदा चमकती, इसका हम अनुमान करें हिन्दी हिंदुस्तानी भाषा, इस पर हम अभिमान करें हिन्दी के बिन हिंदुस्ताॅ...
हंसिका
कविता

हंसिका

माधवी तारे लंदन ******************** हिंदी रूठ गई, अपनी मां से बिखरित करके केश कहे मुझे दो, बिंदी लाके तभी मैं सवांरूं केश परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com...
चौपट भविष्य
कविता

चौपट भविष्य

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** बंद हो रहे हैं स्कूल, अब मेरे गांँव में, बच्चे कहां जाएं पढ़ने, अब मेरे गांँव में, उजड़ जायेगा ये जीवन, बिन पढ़ाई के, कौन बच्चों को पढ़ाएगा, अब मेरे गांव में, सदियों से था बना, मेरा पिता भी इसमें पढ़ा, अब मैं कहां जाऊं पढ़ने, किस गांँव में, पिता का साया नहीं है सर पर मेरे, माँ है अकेली, कौन छोड़ने जाएं मुझे स्कूल, किस गांँव में, साथी मेरे सब चिंता में हैं डूबे हुए जब से, मुरझा गए हैं चेहेरे सब बच्चों के मेरे गांँव में, बेटियों पर भी रहम नहीं खाया है जालिम आकाओं ने, बचपन को अनपढ़ बनाने की शाजिश रची है मेरे गांँव में, थी बुनियाद पढ़ाई की ये बढ़ी, गहराई से थी जड़ी, तोड़ दी है अब पढ़ाई की, बुनियाद मेरे गांँव में, कर दिया है चौपट भविष्य हमारा, रहनुमाओं ने, बंद कर हैं रहे स्कूल, अब मेरे गांँव में, कैसे पढ...
साक्षरता की मशाल
कविता

साक्षरता की मशाल

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** साक्षरता की मशाल जलाकर नौजवानों आओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ। गरीब अनपढ़ बिना ज्ञान के, लूट रहे हैं साहूकार। पीढ़ी-पीढ़ी बहते जा रहे हैं अनपढ़ता के धार।। मिलके सभी आओ साथियों ज्ञानदीप जलाओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ। हक है उन्हें भी शिक्षा पाने का जो खेतों में हल चलाते। झोपड़ी मिट्टी के घरों में रहकर तेरे लिए महल बनाते।। मिलके सभी आओ जवानों अपना फर्ज निभाओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ।। कोई न हो लाचार दे दो जीवन को शिक्षा का आधार। खुशियों से उनकी दामन भरकर दे दो नया संसार।। बनके तुम शिक्षादाता हर हाथ में कलम थमाओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ।। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना,...
अगर हमारे शिक्षक ना होते..?
कविता

अगर हमारे शिक्षक ना होते..?

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** अगर हमारे शिक्षक ना होते तो कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? कौन सिखाता भाषा वाणी ..? कौन बताता कथा कहानी ..? कौन बनाता अक्षर ज्ञानी..? कौन बतलाता गिनती गानी..? अगर शिक्षक शिक्षा ना देते तो कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? अगर हमारे शिक्षक ना होते तो कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? कौन सीख देता आचार-विचार..? कौन बतलाता वो शिष्टाचार ..? कौन सिखाता मधुर व्यवहार..? कौन अपनाता मर्यादा संस्कार..? अगर शिक्षक मैला ना धोते तो कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? अगर हमारे शिक्षक ना होते तो कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? कौन बताता जीवन का आधार..? कौन बताता भूखंड का विस्तार..? कौन बताता इतिहास का सार..? कौन गढ़ता विश्व का परिवार..? अगर शिक्षक कर्मठ ना होते कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? अगर हमारे शिक्षक ना...
हिंदी से हम हिदुस्तानी
कविता

हिंदी से हम हिदुस्तानी

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** इस मुई अंग्रेजी ने तो किया मातृ-देशभाषा का कबाड़ा बेनियम अपवादों में उलझाया सच हमें कहीं का ना छोड़ा अंकल आंटी का बड़ा झमेला वी व डब्ल्यू का गड़बड़झाला दादा-नाना, चाचा-मामा, भुआ सबको दिया प्रथक से सम्मान बी यू टी बट, पी यू टी पुट से सच बेहतर हमारे किंतु परंतु सी व के से क, सी एच से क भ्रमित बेचारे नन्हें नौनिहाल शी, ही हेज़, वी व दे हेव ठीक पर आय व यू हेव की गुत्थी? हिंदी में तेरे मेरे हमारे तुम्हारे सबके पास-सीधा सा सवाल निमोनिया शुरू होता है पी से सी एच से च और एच से है ह हिंदी में व्यंजनों से जोड़ो स्वर और बनालो शब्दों से वाक्य संज्ञा से लेकर सम्बोधन तक कारक संधि अलंकार समास गद्य पद्य की ये सकल विधाएं पूर्ण करते साहित्य का भंडार स्वीकारें लेखन वाचन में हिंदी हो शुद्ध वर्तनी और उच्चारण प्रचार प्...
साक्षर भारत सक्षम भारत
कविता

साक्षर भारत सक्षम भारत

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** भारत साक्षर होगा भारत सक्षम होगा। विश्व साक्षरता का यह ध्येय है सभी को पढ़ना-लिखना आए। पढ़ना-लिखना बहुत कुछ कहता है हम संस्कारवान बने सुसंकृत बने। हम इस योग्य बने की आत्मनिर्भर हो जाएं। और यह भी कहता है की- एकता भाईचारा और मानवीयता की मिशाल पेश कर सकें। हम राष्ट्रीय भावनाओं का सम्मान करें। इसको आत्मसात करें। तभी हमारा देश सही मायने में साक्षर और सक्षम कहलाएगा। मात्र पढ़ने लिखने से हमारा ध्येय और लक्ष्य पूरा नहीं होगा। ध्येय को पूरा करने के लिए साक्षरता की महत्ता, उपयोगिता को समझना होगा, जानना होगा। साक्षरता अर्थात शिक्षा का विशेष महत्व। राष्ट्र प्रगति करे, सामाजिक बदलाव आए। चिंतन में, रहन–सहन में आमूलचूल परिवर्तन आए। लोगों के सोंच में बदलाव आए। देश,समाज हित के लिए सकारात्मक बदलाव आए। परिचय :- अश...
सब पढ़े, सब बढ़े
कविता

सब पढ़े, सब बढ़े

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** अज्ञानता के तिमिर में, ज्ञान का प्रकाश हो। दूर हो निरक्षरता, साक्षरता का आभास हो। साक्षरता हमें जगाती है, शोषण से भी बचाती है। देश को आगे बढा़ती है, जीवन सफल बनाती है। जन जन तक पहुँचे शिक्षा, आज ये संकल्प करें। शिक्षा का कोई विकल्प नहीं, इसे पाने का प्रण करें। सब पढ़े सब बढ़े, स्वप्न ये साकार हो। साक्षर बने सारा समाज, आओ इसका करें आगाज। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाश...
एक आवाज़ ऐसी भी
कविता

एक आवाज़ ऐसी भी

सपना मिश्रा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** पूछा एक दिन मैंने, मेरे अंदर छुपी आत्मा से कि, क्या मैं तुम्हें सुन पा रही हूँ। पूछा एक दिन मैंने, मेरी आखों से कि, क्या मेरे अंदर छुपे दर्द को मैं देख पा रही हूँ । अंदर से ग़ुस्से में एक आवाज़ आयी, जिसे सुनकर ऐसा लगा जैसे नाराज़ हो मुझसे मेरी अंर्तरआत्मा सालों से और मुझसे कभी बात नहीं करेगी। बहुत मानने पर मानी वो उस दिन। फिर बोली ! आज कल तुम बहुत बदल गयी हो। मुझे सुनकर भी नहीं सुनती हो तुम। मुझे देखकर भी अनदेखा करती हो तुम। जाने कहाँ खोयी रहती हो आजकल तुम। तुम तो ऐसी बिल्कुल भी ना थी। अब तो ना ही तुम मुझे सुनती हो, ना ही देखती हो। याद है वो दिन जब तुम मुझसे घंटों बातें किया करती थी अकेले में बैठकर। कितना हंसते थे हम दोनों एक दूसरे को सुनकर, देखकर और महसूस करके। अचानक तुमको क्या हो गया, जो तुम इ...
शिक्षक सम्मान
कविता

शिक्षक सम्मान

विजय गुप्ता दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** आजीवन ना भूलना, शिक्षक वृंद महान। शिक्षा ज्ञान सीख मिली, छात्र चढ़े परवान।। जिनका ऋण अदा नहीं, ऐसा है अवदान। गुरु दक्षिणा में मिली, राहों की पहचान।। परिपक्वता सतत बढ़े, परख और व्यवहार। जीवन पड़ाव को मिला, सुंदरतम साकार।। शिक्षकगण को मानते, मोती का ही रूप। गोता बल लगता जहां, पाए भी अनुरूप।। एक दिन का मान नहीं, जीवन भर अभिमान। गुरु बनते जो आपके, सुखद लक्ष्य का ध्यान।। गुरु ज्ञान सम तत्व का, दिल से है आभार। सत्य राह जो भी चले, शिक्षक पर उपकार।। शब्द संयोजन कम पड़े, जय गुरुवर बखान। सच्चे दिल से शब्द झरे, होगा गुरु सम्मान।। परिचय :- विजय कुमार गुप्ता जन्म : १२ मई १९५६ निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़ उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा...
गौमाता की पुकार
कविता

गौमाता की पुकार

इंद्रजीत सिहाग गोरखाना नोहर (राजस्थान) ******************** गाय गुणो की खान है, जाने जानन हार। अमृत समान दुध मिलता, सबकाबेङा पार। औ मूरली वाले सुणले अब पुकार, तेरे बिना मरु में अब तो लेले अवतार।। आपकी गईयो के क्या हो गया कन्हैया, हर एक के बदन पर हो गया गंठिया। पीङा, क्रंदन को सहते रोज जाती बैकुंठ , आंसू टेरती पुकारती कहां छुप गया कन्हैया।। इन गईयों ने कब किसी को दर्द दिया , जग में यूं नहीं कहलाई कामधेनु गईया । जग जीवन को नवजात की तरह पाला , आपकी गईया पुकारती है कृष्ण कन्हैया।। परिचय :-  इंद्रजीत सिहाग गोरखाना निवासी : नोहर (राजस्थान) सम्प्रति : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपन...
मैं शिक्षक हूँ
कविता

मैं शिक्षक हूँ

शैल यादव लतीफपुर कोरांव (प्रयागराज) ******************** हाँ, मैं शिक्षक हूँ! मैं ही बनाता चिकित्सक, अभियंता, नीतियों को बनाने वाला नियंता, दाता हूँ, शिक्षा का, ज्ञान का, और हूँ, मैं ही अज्ञानता का हंता, कभी कुंभकार के कच्चे कुंभ की तरह, ठोकता हूँ‌, पीटता हूँ, तरासता हूँ, कभी ज्ञान का, अनुशासन का, उपहार दे बन जाता संता, जीवन हो सफल कैसे? उसका मैं वीक्षक हूँ, हाँ, मैं शिक्षक हूँ! मैं ही बनाता वक्ता, प्रवक्ता, अधिवक्ता, न्यायाधीश, मैं ही बनाता डीएम एसएसपी दारोगा पुलिस, मैं ही बनाता चालक, परिचालक, संचालक और उड़ाने वाला हरक्यूलिस, मैं ही सिखाता क्रिकेट कबड्डी कराटे कुश्ती फुटबॉल हांकी और टेनिस, नैतिक मूल्यों का मैं नियमित निरीक्षक हूँ, हाँ, मैं शिक्षक हूँ! मैं ही हूँ शिखर तक पहुंचाने वाला, क्षमाशील, कर्तव्यनिष्ठ, मै‌ ही हूँ गुरु द्रोणाचार्य, ...
मेरा भारत साक्षर कहलाएगा
कविता

मेरा भारत साक्षर कहलाएगा

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आओ भारत को साक्षर बनाएँ लेकिन क्या चैतू बैशाखू,बिमला के, नाम मात्र लिख लेने से, मेरा भारत साक्षर कहलाएगा। नहीं, नहीं बिल्कुल भी नहीं, मेरा भारत तब साक्षर कहलाएगा, जब भारत का हर एक बच्चा पढ़ लिखकर अपना नाम कमाएगा।। झिल्ली बीनने वाली मुनिया भी जब बस्ता पकड़ स्कूल जाएगी। अच्छी शिक्षा प्राप्त कर नाम कमाएगी तब मेरा भारत साक्षर कहलाएगा।। कबाड़ खरीदने वाला बुधारू भी स्कूल से जुड़कर शिक्षा पाएगा। नित नई ऊँचाइयों को छू जाएगा तब मेरा भारत साक्षर कहलाएगा।। फुटपाथ पर पलने वाला हर एक बच्चा, भी जब शिक्षा पाएगा उनमें भी अनुशासन, संस्कार आएगा तब मेरा भारत साक्षर कहलाएगा।। खेतों के कामगार, रेस्तरां में हाथ बंटाने वाले झोपड़पट्टी के रहवासी, श्रम के बूँद बहाने वाले सब स्कूल से जुड़ जाएँगे, ...
विकास के नाम से सुना था
कविता

विकास के नाम से सुना था

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** विकास के नाम से सुना था पर उसका भी दामन खाली है किसे सुनाऊं अपनी व्यथा जीवन अब बदहाली है वित्तीय सहायता का मन स्वाली है कोई दे नहीं रहा हैं क्योंकि सभका दामन खाली है किसे सुनाऊं अपनी व्यथा वित्तीय रूप से बिफोर कोरोना मैं बहुत सुदृढ़ था यूं खाली हो जाऊंगा पता न था दुकान में ग्राहक नहीं है ग्राहक के पास पैसा नहीं है सभका पैसा ऐसा चला जाएगा ऐसा बिल्कुल पता न था सुनते हैं मीडिया से हमारा राष्ट्र कर रहा है आज बहुत विकास डिजिटल के बहुत आयाम हो रहे हैं ख़ास ऐसा जोरदार विकास होगा बिल्कुल भी पता न था व्यक्तिगत विकास के लिए हो जाऊंगा मैं मोहताज़ ऐसा बिल्कुल पता न था कैसे सुनाऊं अपनी व्यथा बैंक अकाउंट खाली है ज़मा पूंजी पूरी उठाली है हालात ख़स्ता दामन खाली है परिचय :- किशन सनमुखदास भाव...
मोक्ष पथ को जाने
गीत, भजन

मोक्ष पथ को जाने

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** गीत/भजन छोड़ दो मिथ्या दुनियां, सार्थक जीवन के लिए। इससे बड़ा सत्य कुछ, और हो सकता नहीं। चाहत अगर प्रभु को पाने की हो । तो ये मार्ग से अच्छा कुछ, और हो सकता नहीं।। छोड़ दो.......।। मन में हो उमंग प्रभु को पाने की। करना पड़ेगा कठिन तपस्या तुम्हें। मिल जाएंगे तुमको प्रभु एक दिन। बस सच्ची श्रध्दा से उन्हें याद करो।। छोड़ दो........।। आत्म कल्याण का पथ ये ही हैं। बस इस पर चलने की तुम कोशिश करो। मोक्ष का द्वार तुम को मिल जाएगा। और जीवन सफल तेरा हो जाएगा।। छोड़ दो.......।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindir...
है हर कदम पर चोट
कविता

है हर कदम पर चोट

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** राह छोड पगडंडी मत चलो। पगडंडी आगे सकरी हो जावेगी जिंदगी में डरो ना किसी से जिंदगी शर्मसार हो जावेगी। समय समर में समीर कड़वाहट भरी होगी कटु घूंट पीकर तुम फिर मिठास घोलोगी करो प्रतिज्ञा मन में कोई सुने ना सुने कोई रुलाए चाहे जितना तुम्हें हंसी हंसनी होगी। है हर कदम पर चोट, है हर कदम पर कसौटी रत हो चलना, रत हो गाना जीवन की यह बानी होगी होगा कोई अपने में ही उलाहने देने वाला। कदम दर कदम कचोटेगा मन। गलत कुछ कोई करने वाला। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३...
मधुवल्लरी छंद
छंद

मधुवल्लरी छंद

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** विधान : मात्रिक छंद (मापनी युक्त) २१ मात्राएँ चार चरण : दो-दो चरण समतुकांत। मापनी : २२१२ २२१२ २२१२ आभास हो संसार हो मनमोहना। मस्तक मुकुट है रूप है प्रभु सोहना।। वंदन करूँ मैं साँवरे सुखधाम हो। कर जोड़ विनती मैं करूँ निष्काम हो।। सुमिरन रहे प्रभु प्रीति भी कल्याण हो। आशीष तेरी मिलती रहे उर प्राण हो। कान्हा हरो सब पीर सुख अविराम हो। आलोक फैले जग सुखद परिणाम हो।। लो थाम अब नैया भँवर है जान लो। पतवार हो कान्हा हमें पहचान लो।। आत्मा करो पावन किशन परमात्म हो। मीरा बनूँ जिह्वा सदा प्रभु नाम हो।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री : निहिरा,...