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पद्य

शीश काट लाऊँगा
कविता

शीश काट लाऊँगा

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** रोली चंदन अक्षत लेकर, लगा भाल पर टीका। रक्षाबंधन कर भाई का, दिया जलाती घी का। फिर मिष्ठान खिलाती उसको, मंगल कलश सजाती। जुग-जुग जिये लाडला भैया, प्रभु से खैर मनाती। बार-बार आरती सजाकर, सभी बलायें लेती। बुरी नजर न लगे भाइ को, फिर आशीषें देती। भाई का मुख देख बहनियाँ, मंद मंद मुस्काती। चुंबन लेती है कलाई का, फिर फिर गले लगाती। रुचिकर भोजन थाल लगाकर, भोजन उसे कराती। नयन नेह आँसू भर कहती, तू पापा की थाती। पापा हुए शहीद देश पर, इसको ज्ञान नहीं था। केवल आठ बरस का था यह, कोई भान नहीं था। माँ बचपन में छोड़ गई थी, इसने कभी न जाना। होश सँभाला जब से उसने, मुझको ही माँ माना। आज तलक में भी भैया को, बेटा ही कहती हूँ। भाई को बेटा कहने की, टीस स्वयं सहती हूँ। सारे रिश्ते खूब निभाती, इस पर न...
तिरंगे की आवाज़
कविता

तिरंगे की आवाज़

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** आज़ादी की अमर कथा का, एक-एक पहलू खोल रहा, लाल किले के परकोटे से, लहरान तिरंगा बोल रहा || भारत माँ के वीर जवानों, सरहद पर तुम छा जाओ, करता यदि कोई गुस्ताखी, सबक उसे तुम सिखलाओ || शौर्य भगतसिंह का मत भूलो, मत भूलो मंगल की हुंकार, सुखदेव,तिलक और गाँधी को भी, मुझ से तो था अतुलित प्यार || महफूज़ रखों इस आज़ादी को, जो बलिदानों से आई है, वीरों के प्राण न्यौछावर करके, कठिनाई से पाई है || याद उन्हें भी करना होगा, अहिंसा थी जिनका हथियार, थाम रखी थी अपने हाथों रण में नौका की पतवार || नमन करो उन माताओं को, जिनने खोए अपने लाल, डटे रहे जो अविचल होकर चाहे शत्रु हो विकराल || वीरों की इन भार्याओं का, क्या त्याग न जौहर से कम है, खोकर अपना सुहाग देश पर आंखें उनकी नहीं नम है|| वीरों की चिता की अग्नि मे तुम तेज सूर...
प्यारा भारत देश हमारा
कविता

प्यारा भारत देश हमारा

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** प्यारा भारत देश हमारा, शांति कपोत उड़ाने वाला करते हैं हम मान सभी का, मैत्रीभाव बढ़ाने वाला। नही किसी पर वार किया, नहीं किसी का सहते हम यदि किसी ने ललकारा तो, सुलह का हाथ बढ़ाते हम। फिर भी दुश्मन सेंध करे, उसकी औक़ात बता देंगे और किसी ने सीमा लांघी, एयर स्ट्राइक करवा देंगे। नहीं बीसवीं सदी का भारत, नहीं विगत सदी का राग नवयुग है,नई चेतना, नव जागृति का गाते फाग। संविधान हमारा गीता है, अब भारत कमज़ोर नहीं नहीं किसी से झुकने वाला, टकराना इससे आसान नहीं। कोई दुश्मन नज़र न डाले, उसे धरा दिखला देंगे हम देशभक्त भारतवासी, देश पे आँच न आने देंगे। यह विक्रम औ चाणक्य की धरती, नीति की नीति सिखा देंगे शिवा और प्रताप की भूमि, आतंकी को धूल चटा देंगे। शांतिपाठ पढ़ाने वाला, प्यारा भारत देश हमारा करते हैं हम मा...
रक्षासूत्र
कविता

रक्षासूत्र

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** सुन मेरी प्यारी सहोदरा, राखी बांधने आना तुम। देखता रहूंगा राह तुम्हारी, मुझे भूल ना जाना तुम।। खरीदना बाजार से राखी, लाना लड्डू मीठी मिठाई। लगाना भाल विजय तिलक, पुकार रही है खाली कलाई।। भेंट करुंगा एक नया उपहार, खुशी से झूम कर नाचोगी। सुख, समृद्धि कामना करके, रक्षासूत्र जीवन का बांधोगी।। जब संकट में घिर जाओगी, मेरा नाम लेकर देना आवाज। कहना, अभी मेरा भाई जिंदा है, मेरे लिए लड़ेगा वो है जांबाज।। जब कोई मानव,अमानव बन, दुःख और दर्द तुझे पहुंचाएगा। उस दिन बनकर योद्धा रक्षक, तेरा ये भाई दौड़ा चला आएगा।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार से सम्मानित। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिक...
शिव स्तुति
भजन, स्तुति

शिव स्तुति

उषाकिरण निर्मलकर करेली, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हे! मोक्षरूप, हे! वेदस्वरूप, हे! व्यापक ब्रम्ह जगदव्यापी । हे! नीलकंठ, हे! आशुतोष, तुम अजर अमर हो अविनाशी । हे! शशिशेखर, हे! सदाशिव, तुम व्योमकेश तुम कैलाशी, कृपा करो प्रभु कृपा करो, अब विघ्न हरो घट घट वासी । हे! शूलपाणि, हे! विरुपाक्ष, हे! वीरभद्र, हे! खटवांगी । हे! मृगपाणि, तुम सहस्राक्ष, हो सहस्रपाद हे! कालांगी । हे! शिवाप्रिय, हे! ललाटाक्ष, माँ शैलसुता है वामांगी , हे! भूतनाथ, तुम ही रुद्राक्ष, तुम पंचभूतों के हो संगी । हे! भुजंगभूषण, हे! मृत्युंजय, सच्चिदानंद, अंतर्यामी । देवों के देव, हे! महादेव, मैं याचक हूँ, तुम हो स्वामी । हे! अलखनिरंजन, हे! दुखभंजन, तुम करुणा के सागर हो, काम हरो अब नाम करो प्रभु, तुम निष्काम, मैं हूँ कामी । हे! अमरनाथ, हे! रामेश्वर, हे! परमेश्वर, हे! सुखकारी । हे! वृषाङ्क, ह...
सूर्य की गरिमा
कविता

सूर्य की गरिमा

डॉ. जयलक्ष्मी विनायक भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** माना कि मैं अलसायी सूर्य की गरिमा हूं बुझे हुए अलावा की चिंगारी हूं शरद ऋतु का झडा़ हुआ पत्ता हूं किताब का अनचाहा पन्ना हूं पर कभी तुमने उज्जवल सूर्य की वंदना की थी, प्रज्ज्वलित ज्वाला की धधक देखी थी, बसंत की बहार का लुत्फ उठाया था, किताब के हर पन्ने का आनंद लिया था। तो समझो मेरी व्यथा मेरा हक छीनों मत, मेरा हाथ खीचो मत, संरक्षक था कभी मैं तुम्हारा मुझे रोको मत, मुझे टोको मत, क्योंकि मैं सैनिक था मैं सैनिक हूं मैं सैनिक रहुंगा। परिचय :-   भोपाल (मध्य प्रदेश) निवासी डॉ. जयलक्ष्मी विनायक एक कवयित्री, गायिका और लेखिका हैं। स्कूलों व कालेजों में प्राध्यापिका रह चुकी हैं। २००३ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संगीत और साहित्य में योगदान के लिए लोकमत द्वारा पुरस्कृत हैं। आप "मैं हूं भोपाल' के खिताब से भी सुशोभि...
आजादी अमृत महोत्सव
कविता

आजादी अमृत महोत्सव

विजय गुप्ता दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** सिर्फ एक कृत्य देशभक्ति का परिचायक कैसे हो मित्र मतलब बस साथ भ्रमण का याचक कैसे हो जिन लोगों का आजादी में निज जीवन कुर्बान है सीमा रक्षा में लड़ते हर शहीद में देश का प्राण है देश संपत्ति रक्षा वाली सोच नागरिकों की शान है छात्रों और युवाओं को नैतिकता पाठ दिनमान है आजादी अमृत महोत्सव भारत का स्वाभिमान है सच्चे देशभक्तों को विभिन्न अर्थ कर्म का ज्ञान है लोकतंत्र व्यापकता में निज स्वार्थ चलन कैसे हो देशभक्त की परिभाषा सिर्फ एक शब्द में कैसे हो। मित्र मतलब बस साथ भ्रमण का याचक कैसे हो। सिर्फ एक कृत्य देशभक्ति का परिचायक कैसे हो। इतिहास गवाह है जब जब बजा तानाशाही तबला बर्बाद चकनाचूर था परिवार समाज देश का गमला एक भवन बनाने मेहनत का पर्याय बनाती कमला त्राहि त्राहि दशा में सड़क पे आ जाती नारी अबला बड़ी बीमारी से ...
बारिश की बूँदें
कविता

बारिश की बूँदें

शशि चन्दन इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** देखो धरा अम्बर से, मिलन की गुहार लगाये, थाल भर मोती माणिक अम्बर ने खूब सजाये, मन के आँगन बरस रही है मीठी मीठी सी फुहार, प्यासी धरा भी आँखें मींचे आशा की झोली फैलाये।। खुशियों भरी काग़ज़ की नाव ग़मों को बहा ले जाए देखो न बाल मन का कोना-कोना कैसे खिलखिलाये, छपाक छप, छपाक छप बारिश का कंचन जल कहे, भर लो अमृत चुल्लू में ज़िन्दगी तो हरदम ही ज़हर पिलाये।। खिली है हर कली कली, पत्ता पत्ता भी मुस्काये, नवल धवल हुए खेत खलियानशशि चन्द देख कृषक गदगद हो जाये, सौंधी सौंधी माटी, श्वास-श्वास मातृभूमि के रक्षकों की महकाये, बुलंद हौसलों की बारिश के बीच, शान से तिरंगा लहराये।। धानी चुनर ओढ़, अधरों पर धर लाज का घूँघट, सजनी चली साजन घर, जब मन भावन सावन आये प्रीतम ने अमियाँ की डाल पे प्रेम पुष्पों का झूला डाला, कृष्ण राधिका स...
जीने का अधिकार
कविता

जीने का अधिकार

महेन्द्र साहू "खलारीवाला" गुण्डरदेही बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** उनके भी सीने में तो दिल धड़कता होगा। सपने सजाने उनका भी मन करता होगा। क्या ख़ता उस बेबस, लाचार, बेचारी की? क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? वह भी तो हमारी तरह इंसान है फिर इतना क्यूँ बेबस, बेजान है। क्या हुआ जो छीन गया सुहाग? पुनः एक चुटकी सिंदूर का तनिक उसे अधिकार नहीं? क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? जीवन-मृत्यु तो विधि का विधान है फिर आखिर हम तो एक इंसान हैं। एक दूजे का दर्द समझें हमदर्द बनें मानवता में अत्याचार स्वीकार नहीं। क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? समाज के ठेकेदारों ने कितने ज़ुल्मों सितम ढाये। अबला सहर्ष सीने में गरल उतार गईं पर, कर सकी उसका प्रतिकार नहीं,तो क्या विधवा को जीने का अधिकार नहीं? परिचय :-  महेन्द्र साहू "खलारीवाला" निवासी -  गुण्डरदेही ब...
मिशन २०२४
कविता

मिशन २०२४

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** इस चुनाव में हर वोटर को, निकल बूथ तक जाना होगा। जाती धर्म से ऊपर उठकर, राष्ट्र प्रेम दर्शाना होगा। इस चुनाव में... आठ साल में समझ गए सब, किसको भारतमाता प्यारी, ऐसा लाल जना है जिसने, वन्दनीय है वो महतारी। जिसने भारत मान बढ़ाया, पुनः उसे ही लाना होगा। इस चुनाव में... बाकी नेता लूट देश को, केवल अपना घर भरते थे, निज परिवार और धन के खातिर, सारे पाप कर्म करते थे। जो अपना वेतन भी दान दे, उस सपूत को लाना होगा। इस चुनाव में... अश्वमेध है यज्ञ हो रहा, आहुति दे कर्तव्य निभाओ। भृष्टाचार मुक्त भारत मित, भृष्ट न संसद तक पहुंचाओ। जिसने दौड़ाया विकासपथ, उसका साथ निभाना होगा। भारी बहुमत से विजयी कर, सेवा लाभ उठाना होगा। इस चुनाव में ... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : ...
दोस्ती की डोर
कविता

दोस्ती की डोर

संजय कुमार नेमा भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** दोस्ती की डोर थामे रखना। दिल की बातें तुम हमारे दिल में बनाए रखना। दोस्त वही शख्स होता है जिसे हम चुनते हैं। दोस्ती को हमेशा इसी दुनिया में रचाते बसाते है।। परिवार से मिला कर रखते है। हे दोस्त मझसे संबंध बनाएं रखना। मुझे सीने से लगाये रखना।। मेरे दोस्तों ऐसा फूल सजाकर रखना। हमेशा हंसी-खुशी, सुख-दुख में खुशबू देते रहना। हे दोस्त खिलखिला कर साथ बनाये रखना। मेरे दोस्त मुश्किलों में, साथ बनाएं रखना। सच्ची दोस्ती, दोस्ती को जीवन भर मिठाई सी मिठास बनाए रखना।। दोस्ती की डोर थामे रखना। अब मेरे तरह, तरह के जीवन के दोस्त।। मेरे स्कूलों के दोस्त, कॉलेजों के दोस्त, मोहल्ले के दोस्त। अपनी दोस्ती बनाए रखना।। एक दूसरे का जीवन दीपक जलाए रखना। 🙏 दोस्ती की डोर बनाए रखना। अब मेरी चिंताएं बढ़ी,मुलाकातें कम हो रही। एक दूसरे क...
लहराओ तिरंगा प्यारा
कविता

लहराओ तिरंगा प्यारा

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** घर गाँव शहर सब में, आजादी का जश्न मनाओ तुम, पायी थी कुर्बानियों से आज़ादी, शहीदों का मान बढ़ाओ तुम, चरखा, अनशन चले थे गांधी जी के, उसका ध्यान लगाओ तुम, सत्य अहिंसा का जीवन अपना, देश में यहाँ बिताओ तुम, लहराकर तिरंगा प्यारा देश का, भारत की शान बढ़ाओ तुम, हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में मिल जाओ तुम, देखें जो देश को बुरी नियत से, उसको सबक सिखाओ तुम, है हिन्द की शान तिरंगा, तिरंगे की शान बढ़ाओ तुम, पढ़ लिख कर बनो शेर यहाँ, खुब दहाड़ लगाओ तुम, कर देश का नाम रोशन अपने, विश्व को दिखलाओ तुम, सीमा पर जो खड़े देश के प्रहरी, हथेली पर है प्राण लिए, लहराकर तिरंगा प्यारा, उनका स्वाभिमान बढ़ाओ तुम, बन जाओ सब देश के प्रहरी, अपना फर्ज निभाओ तुम, तिरंगा है जान से प्यारा, तिरंगे को लहराओ तुम, परिचय :-  रामेश्वर दास...
खूबसूरत दुनिया
कविता

खूबसूरत दुनिया

सरिता दीक्षित हैदराबाद, (तेलंगाना) ******************** वो दुनिया इतनी खूबसूरत होगी, ऐसा न मैंने सोचा था जहां न थी कोई बन्दिशें, न बेड़ियों ने मुझे रोका था। आज़ाद पंछी की तरह भरी थी ऊंची उड़ान मंज़िल की राहों से नहीं थी मैं अंजान। अंधेरे रास्तों पर रोशनी की लेकर मशाल खड़ी थी एक बड़ी भीड़ विशाल। देने मुझे हौसला, कि उन्हें मुझ पर भरोसा था, वो दुनिया इतनी खूबसूरत होगी, ऐसा न मैंने सोचा था। हर कदम विश्वास की, रोशनी का था मेला, हर तरफ थी मुस्कुराहट, न था कोई अकेला। न किसी की शख्सियत पे, था किसी का तंज़ न किसी के आँखों में, था कोई भी रंज। हर तरफ से खुशियों के समाने का झरोखा था वो दुनिया इतनी खूबसूरत होगी, ऐसा न मैंने सोचा था पर जो देखा सत्य है वो, या कोई सपना था ? है भरम मन का मेरे या ख्वाब टूटा अपना था खोल आँखें ढूंढती हैं, फिर वही दुनिया नई जिसकी चाहत मे...
चलो घर–घर  तिरंगा  फहराएंगे
कविता

चलो घर–घर तिरंगा फहराएंगे

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** चलो घर–घर तिरंगा फहराएंगे भारत माता का मान बढ़ाएंगे राष्ट्रीयता का अलख जगाएंगे शहीदों को शीश हम झुकाएंगे। रंग जाए आसमान तिरंगा से सफेद हरा और केसरिया से भारत का जय–जयकार गूंजे जन–गण–मन राष्ट्र के गान से। त्याग,बलिदान, व समृद्धि का और शांति का संदेश दे जाएंगे न कोई दुखी रहे न कोई भूखा सबके चेहरे पर खुशियां लाएंगे बलिदानियों की अमर कथा चलो जन–जन को सुनाएंगे शहादत उनकी व्यर्थ न जाए यह मर्म चलो हम समझाएंगे। रण–गाथा है, अनमोल उनकी उस गाथा की स्तुति गा जाएंगे राष्ट्र–धर्म का हम शपथ खाकर भारत का सर ऊंचा उठाएंगे। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
हिन्दुस्तान की शान तिरंगा
कविता

हिन्दुस्तान की शान तिरंगा

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** हिन्दुस्तान की शान तिरंगा है मेरा अभिमान ये तिरंगा है *** शहीद जो हुए, उनकी याद, उनकी पहचान तिरंगा है *** पहन लिया केसरिया बाना वो यारो बलिदान तिरंगा है *** न जाने कितने गुमनाम हुए है उनका ये अफसाना तिरंगा है *** जाने कितनी मिटी कहानियाँ जिनपर करता गुमान तिरंगा है *** विजय विश्व तिरंगा प्यारा होठो का गुनगान तिरंगा है *** जगत गुरू विश्व में कहला कर हमारा ये स्वाभीमान तिरंगा हे *** लोहा मनवाले विश्व से अपना मोहन वो हिन्दुस्तान तिरंगा है *** परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कव...
विजयी विश्व तिरंगा
छंद

विजयी विश्व तिरंगा

रेखा कापसे "होशंगाबादी" होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) ******************** मरहठा छंद जग विश्व विजय का, राष्ट्र प्रणय का, अमर तिरंगा शान। परचम लहराये, गौरव गाये, वीरों का बलिदान।। घर-घर हो उत्सव, अमृत महोत्सव, जन-जन उर में गर्व। पचहत्तर वार्षिक, अद्भुत कालिक, आजादी का पर्व।। है अंतस गंगा, सजे तिरंगा, घर -घर ध्वज प्रतिमान। सैनिक बलिदानी,अमर कहानी,जन गण मन शुभ गान ।। शुभ तीन रंग से, नव उमंग से, गौरव गाथा भान। है श्वेत शांति का, हरित क्रांति का, केसरिया बलिदान।। जो नील चक्र है, मध्य वक्र है, नित विकास संचेत। चतुर्विश तीलियाँ, धार्मिक गलियाँ, मनुज गुणी संकेत।। शत गौरव गाथा, टेके माथा, मातृभूमि के अंक। नित रक्त बहाते, प्राण चढ़ाते, राजन् हो या रंक।। मस्जिद गुरुद्वारे, मंदिर सारे, गिरिजाघर के संग। घर-घर लहराये, नभ छू जाये, देशभक्ति के रंग।। जन-जन का सपना, भारत अपना, बने ...
ए मेरे वतन के लोगों सुनों
कविता, गीत

ए मेरे वतन के लोगों सुनों

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** ए मेरे वतन के लोगों सुनों आओं मैं तुम्हें सुनाऊँ एक कहानी.... जो मिट गया भारत माता पर क्या इसलिए ही थी उसकी जवानी.... अपनी माँ के दिल का था वो राजा.... देखों कैसे फिर उसके तन पर तिरंगा सजा.... तोड़ दी सारी हदें उसनें वतन को चाहने की.... नहीं बचीं थी कोई भी जगह गोली खाने की.... टूटी होगी चूडियाँ, तो टूटने दो ना.... रूठी होगी बहना, तो रूठने दो ना.... उन आंसुओं की ममता में मुझे बहनें देना.... पिता जो कहें मेरा तो मुझे वही रहने देना.... ए मेरे वतन के लोगों सुनों आओं मैं तुम्हें सुनाऊँ एक कहानी.... रक्त बड़ा ईमानदार था उसका नही था उसमें जरा भी पानी..... बन के मुस्कान मैं तेरी ये प्रिये, तेरे होंठो पर हरदम रहूँगा..... तुम मुझे पुकार लेना अपने नैनों से मैं तुम्हारी आवाज बन जाऊंगा.... देखों कैसी बोली व...
जिंदगी की डगर
कविता

जिंदगी की डगर

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** जिंदगी की हर डगर तू रख हर कदम फूँक-फूँक कर। नहीं आसान जिंदगी की कोई डगर मिलेंगी चुनौतियाँ कदम-कदम, करना है तुझे संघर्ष जिंदगी की हर डगर । कभी होगी छोटी डगर तो कभी काटे न कटने वाली बड़ी लंबी नीरस सी होगी जिंदगी की डगर। राह ऐसी है कौन सी जहाँ न हों शूल और पत्थर जब-तक नहीं दर्द का अनुभव कड़वी है सुकून की हर डगर। तू तनिक भी न डर साथ तेरा साया भी न दे अगर हौंसले अपने बुलंद रख तू राह में अकेला ही चल पीना भी पड़े पानी खुद कुआँ खोदकर। तू चले जा अकेला ही निरंतर, न रुक कभी जिंदगी के पथरीले पड़ावों पर भी मंजिल मिल नहीं जाती जब तक तू चले जा फिर से जिंदगी में नई डगर बनाकर। कहते हैं मन के हारे हार है तो फिर मन के जीते जीत भी लेकर दृढ़ संकल्प हो निडर तू सबके मन को जीत जीवन लक्ष्य अंगीकृत कर हर पल होकर सजग अपने...
मित्रता
कविता

मित्रता

रुचिता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** एक शब्द है जाना पहचाना सा... दिल के क़रीब कोई अपना सा... जिससे नहीं हो कोई भी सम्बन्ध... पर हो दिल के गहरे बंधन।। जो बिन कहे सब समझ जाएं जिसे देख दर्द भी सिमट जाए... जहाँ उम्र भी ठहर जाए... जिसे देखकर ही आ जाये सुकून और सब तनाव हो जाये गुम... तो वह है मित्र ... जब मुश्किलों से हो रहा हो सामना... और लगे कि अब किसी को है थामना तब जो हाथ बढ़ाये... वह है मित्र... निःस्वार्थ, निश्छल, और सब सीमाओं से परे जैसे हो कृष्ण और सुदामा, जहाँ बाकी न रह जाये कोई आशा... बस यही है मित्रता की परिभाषा परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह...
हरियाली तीज
दोहा

हरियाली तीज

कीर्ति मेहता "कोमल" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सावन की शुभ तीज है, आनंद अति उमंग। गौरी पूजे नारियाँ, मन उल्लास उतंग।। सावन के झूले पड़े, झूले सुंदर नार। सजी-धजी सखियाँ हँसे, ऊँची पींगें मार।। मालपुए मीठे करें, मुँह में मधुर मिठास। घर-घर सावन तीज का, पर्व मनाएं खास।। शंकर-गौरी पूजती, सभी सुहागन नार। सुख सौभाग्य सँवारती, माँगे शुभ संसार।। हरियाली चहुँ ओर है, हुआ हरित संसार। पावस की बूंदें करें, सकल धरा श्रृंगार।। बरखा बरसे झूमके, व्योम धरा सन्देश। इंद्रधनुष के रंग सजे, निखरे नभ का वेश।। परिचय :- कीर्ति मेहता "कोमल" निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बीए संस्कृत, एम ए हिंदी साहित्य लेखन विधा : गद्य और पद्य की सभी विधाओं में समान रूप से लेखन रचना प्रकाशन : साहित्यिक पत्रिकाओं में, कविता, कहानी, लघुकथा, गीत, ग़ज़ल आदि का प्रकाशन, आकाशवाणी...
श्वेता छंद
छंद

श्वेता छंद

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** विधानः वार्णिक छंद दस वर्ण गण संयोजन : मगण रगण मगण गुरु २२२ २१२ २२२ २ चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत अंबा दुर्गा भवानी कामाक्षी। कुष्मांडा शारदा माता साक्षी।। जो जन्मान्तरों को है जोड़े। पाखंडी दंड दे माया तोड़े।। माता पूजा करें आ स्वीकारो। द्वारे तेरे खड़े हैं माँ तारो।। श्रद्धा से माँ बुलाते आ रानी। पूरी हो प्रार्थना मेरी दानी।। त्राता सौगात दें हैं कल्याणी। देती हैं शक्ति दें मीठी वाणी।। पीड़ा सारी हरें माता जानो। अन्तर्यामी भरें झोली मानो।। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री : निहिरा, नैनिका सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश ...
जीवन एक संघर्ष है
कविता

जीवन एक संघर्ष है

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सुनता हूँ आज मैं मानव जीवन की सच्चाई। न जीवन में हुआ कभी गमो का अंत। न खुशियों में आई कभी भी कोई कमी। गुजरा है मेरा जीवन खुशियों और गमों से।। इसी तरह से जीवन बना रहा संघर्षमय। हकीकत जीवन की में सदा समझता रहा। कदम कदम पर मिली मुझे प्रभुजी की कृपा। इसलिए सफलता की मैं सीढ़ी चढ़ता गया।। जब भी याद आते है मुझे वो पुराने दिन। तो आँसू गिरने लगते है मेरे इन आँखो से। और खो जाता हूँ माँफ पुराने मित्रों के ख्यालों में। जो मेरे सुख दुख में सदा ही साथ देते थे।। लगन और मेहनत के द्वारा इंसान बनता है महान। तभी तो छु पाता है जीवन की ऊँचाइयों को। अकेला चलकर भी वो नया निर्माण करता है। और अपने हौसलों को भी सदा ही जिंदा रखता है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत ह...
तिरंगा है लहराया
कविता

तिरंगा है लहराया

संध्या शुक्ला अमेठी (उत्तर प्रदेश) ******************** हर जगह पर तिरंगा है लहराया देखो आज़ादी का दिन है आया विश्वासघात कर अंग्रेजो ने भारत को गुलाम बनाया था सोने की चिड़िया को कातिलों ने अपना शिकार बनाया था छीन कर सत्ता राजाओं की अपना राज सिंहासन लगाया था भारत की भोली जनता को अंग्रेजो ने आपस मे लड़वाया था बहाकर नदियां खून की मातम में उत्सव मनाया था भाई भाई को बांटकर अंग्रेजो ने भारत माँ को तड़पाया था हर जगह पर तिरंगा है लहराया देखो आजादी का दिन है आया याद करो सब उन दिनों को जब भारत देश का हाल बुरा था वीर सपूतों की आंखों में आज़ादी का स्वप्न अधूरा था बरसते थे बदन पर कोड़े आंखों से लहू टपकता था रोते बिलखते बच्चो का भूख प्यास से दम निकलता था टूट चुकी थी सब उम्मीदे जब घना अंधेरा छाया था भारत की धरती पर कोई काला बादल मंडराया था खूंखारपन देख अंग्रेजो...
फिर भी गोरी प्यासी है
कविता

फिर भी गोरी प्यासी है

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** जाय बसे परदेश सजनवाँ, मन में भरी उदासी है। बाहर बरस रहा है पानी, फिर भी गोरी प्यासी है। बारिश के पानी में भीगा, घर का चप्पा-चप्पा। बैठ झरोखा रिमझिम देखे, लगे सजन का धप्पा। धरती आँगन भीग गए सब, फिर भी मन है सूखा। भीग गए गलियारे उपवन, अंतर्मन है भूखा। बिना तुम्हारे सावन आया, मन में कोई हुलास नहीं। सखियाँ सब साजन सँग झूलें, मेरे मन में आस नहीं। ओ बेदर्दी बालम तुमको, याद नहीं आती है। प्यार भरी ऋतु में भी निंदिया, पास नहीं आती है। रिमझिम बारिश आग लगाती, बढ़ती मन की प्यास है। हो सामीप्य सजन जब तेरा, दिल में बड़े उजास है। विरह वेदना से पीड़ित मन, और अधिक अकुलाता। डूब प्यार में जब अनंग ही, कामुक बाण चलाता। मोर पपीहा नहीं सुहाते, कोयल विरह बढ़ाती। है चकोर सी विरह वेदना, ऊँचे शिखर चढ़ाती...
पान मद्रास
कविता

पान मद्रास

डॉ. जयलक्ष्मी विनायक भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** तड़के, सूर्योदय से पहले गर्मी में, जब हम मकान की छत पर सोते रहते थे चैन से, सर्दी में, जब ठिठुरते थे, रजाई के भीतर तब सहसा एक आवाज उस नीरव निस्तब्धता में गूंजती थी, पान मद्रास, पान मद्रास! परीक्षा की तैयारियों में जुटे जब कभी साड़े पांच के अर्लाम से उठे तो वहीं आवाज चौंका देती हमें पान मद्रास, पान मद्रास! मंदिर की घंटियों की तरह मस्जिद की अज़ान के समान रोज, प्रतिदिन, हमेशा वो आवाज़ पान मद्रास, पान मद्रास! इतनी सुबह क्या कोई पान खरीदता होगा? साईकिल से गुजरने वाला शख्स आखिर कैसा होगा? रोजमर्रा की दिनचर्या का जरुरी हिस्सा अतीत से भविष्य को चीरती वह सशक्त, बुलंद, अविस्मृत सी आवाज, पान मद्रास, पान मद्रास! परिचय :-   भोपाल (मध्य प्रदेश) निवासी डॉ. जयलक्ष्मी विनायक एक कवयित्री, गायिका और लेखिका ह...