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मेरे जीवन के कुछ अधुरे शब्द

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** जीवन मे मुझे कुछ शब्दों से काफी नाराज़गी मिली जो कभी पूरा हुआ ही नही भले उसे किसी तरह उपयोग किया जाये अगर हुआ भी तो सिर्फ भाग्य-वालो का ही ! जैसे-रिश्ता जिसमे कभी ना कभी मन-मुटाव आ ही जाता है कैसा भी रिश्ता हो माँ से बेटा का, पिता से…
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प्रकृति और किसान

सपना मिश्रा मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** प्रकृति हमारी माता है, हमारी जगत जननी है। प्रकृति के द्वारा है हम सभी प्राणी पृथ्वी पर जीवित रह पाते हैं। प्रकृति के द्वारा ही हम पृथ्वी पर अपने जीवन को सुचारू रूप से चला पाते…
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खुद का निर्माण करें

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.) ******************** मानव जीवन अनमोल है, इस बात से इंकार कोई नहीं करता। परंतु यह भी विडंबना ही है कि ईश्वर अंश रूपी शरीर का हम उतना मान सम्मान नहीं करते, जितना वास्तव में हमें करना चाहिए। यह सच…
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आओ लौट चलें अपने गांव…

डॉ. ओम प्रकाश चौधरी वाराणसी, काशी ************************ अचानक आज शाम को राम निहोर काका की याद आ गई, आए भी क्यों न, शाम को वर्षों तक किस्सा सुनाते जो आए थे। एक थे राजा, एक थी रानी (राजा…
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२४ दिसम्बर : मोहम्मद रफ़ी की जयंती पर

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** अपनी शख्सियत की खुशबू फैलाकर इस दुनिया से चला गया वो अपनी आवाज का जादू बिखेर कर हमारे दिलों में रह गया वो अपनी मधुर आवाज से अपनी अलग पहचान बनाने वाले भारतीय संगीत परंपरा एवं हिंदी सिनेमा के लोकप्रिय एवं श्रेष्ठ पार्श्व गायकों में से एक थे मोहम्मद रफ़ी।…
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खुशी की चाहत

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़ (हरियाणा) ******************** हर समय खुश रहना कौन नहीं चाहता! खुशी हमारी चाहत है! खुशी हमारी चाहना है पर सिर्फ चाहने से क्या होता है? खुशी को अपना नैसर्गिक…
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जीवन : एक यात्रा

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.) ******************** मानव जीवन जिंदगी के विभिन्न पड़ावों को पार करते हुए अपनी अंतिम यात्रा तक पहुंच कर खत्म होती है। परंतु यह विडंबना ही है कि इस यात्रा के किसी। भी पड़ाव पर आपको ठहरने की आजादी नहीं है। जीवन के हर पल में आपको अपनी सतत यात्रा जारी रखनी…
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क्या हम क्या हमारा

आशीष तिवारी “निर्मल” रीवा मध्यप्रदेश ******************** यह विचारणीय तथ्य है मित्रों कि जब हमारा जन्म होता है तब हम वस्त्र विहीन होते…
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खेत-खलिहान : खेती बचाइए, किसान बचाइए, देश को खुशहाल बनाइए

डॉ. ओम प्रकाश चौधरी वाराणसी, काशी ************************ दुनियां में सबसे ज्यादा कीमत तीन चीजों की है- जमीन, कच्चे तेल और हथियारों की। इनमें से एक चीज किसान के पास है फ़िर भी किसान आत्महत्या की दर १०,००० प्रतिवर्ष…
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राजनीति की गँगा-कितनी मैली और विषैली

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़ (हरियाणा) ******************** आखिर राजनीति में ये सब क्या हो रहा है, राजनीति की गंगा कितनी मैली और विषैली हो गई है। अपने को दूसरों से अलग बताने…
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नवरात्रि उत्सव

मनीषा जोशी खोपोली (महाराष्ट्र) ******************** हमारे क्षेत्र का नवरात्रि का उत्सव श्रद्धा, आस्था और उपासना के रंग में सरोबार रहता है। मध्यप्रदेश में देवास जिले में एक छोटा सा हमारा गाँव मोखापीपल्या है। वहाँ की कुलदेवी माँ अम्बा है। हम अम्बे माता कहते है। नवरात्रि के नौ दिन वहाँ धूप होती हैं जिसे ज्योत धूप…
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गुरु तेगबहादुर, कश्मीर और सेना (२४ नवंबर बलिदान दिवस विशेष)

मंगलेश सोनी मनावर जिला धार (मध्यप्रदेश) ********************** सनातन धर्म की रक्षा में गुरुओं के बलिदानों का विशेष स्थान है, उनके पराक्रम व बलिदानों से बहुत हद तक सनातन धर्म की रक्षा सुनिश्चित…
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महापर्व दीपावली पर सब मिलकर धरा के तिमिर को दूर करें

डॉ. ओम प्रकाश चौधरी वाराणसी, काशी ************************ जहां कहीं एकता अखंडित, जहां प्रेम का स्वर है। देश-देश में वहां खड़ा, भारत जीवित भास्वर है।। कविवर श्रेष्ठ दिनकर जी की पंक्तियां ‘एक देश का नहीं, शील यह भूमंडल भर का है।’ सम्पूर्ण विश्व में भारत का एक अनुपम और अनूठा स्थान है, तो इसका बहुत सा…
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नैतिकता-अनैतिकता

विश्वनाथ शिरढोणकर इंदौर म.प्र. ****************** “बना-बना के दुनिया फिर से मिटाई जाती है जरुर हम में ही कोई कमी पाई जाती है!” नैतिकता क्या होती हैं और अनैतिकता क्या होती हैं? यह प्रश्न अक्सर अनेकों को संभ्रमित करता रहता हैं। नैतिकता के मापदंड क्या होते हैं? रोजमर्रा के व्यवहार में उसका क्या महत्व होता हैं?…
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आखिर कब तक

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** बेटियों के साथ हर दिन कई घटनाएं घट रही है, आज यहां तो कल वहां। कभी रेप के बाद उन्हें…
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विजयादशमी

डॉ. पंकजवासिनी पटना (बिहार) ******************** विजयादशमी पर्व प्रतीक है विजय का! अधर्म पर धर्म की विजय!! अन्याय पर न्याय की जीत!!! और सबसे बढ़कर उच्छृंखलता एवं निरंकुशता पर संयम तथा मर्यादा की विजय!!! और इसलिए विजयादशमी पर्व की प्रासंगिकता हर युग में बनी रहेगी। पिता के वचन की लाज रखने के लिए पल भर में…
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आओ इस बार अपने मन के अंदर बैठे हुए रावण का अंत करें

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** हम हर वर्ष दशहरा में बुराई का प्रतीक रावण का पुतला जलाते हैं। पुतलों की ऊंचाई हर बार बड़ी और…
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नारियाँ : अबला या सबला

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.) ******************** ये ऐसा विषय है जिस पर पूरे विश्वास से कोई कुछ भी नहीं कह सकता। क्योंकि इस परिप्रेक्ष्य में सिक्के के दोनों पहलुओं का अपना अपना मजबूत पक्ष है और…
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घर वही, जहाँ बुढ़ापा खिलखिलाये

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़ (हरियाणा) ******************** किसी ने सच ही कहा है कि जिस घर मे बुजुर्ग सन्तुष्ट व प्रसन्नचित्त रहते हैं, वह घर धरती पर स्वर्ग के समान है, परन्तु आज आधुनिकता के परिप्रेक्ष्य में रिश्तों में…
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वनवासी

मंजिरी पुणताम्बेकर बडौदा (गुजरात) ******************** भारत देश संस्कृति, विभिन्न धर्मों, जनजातियों और भाषाओ का सम्मिश्रण है। इस देश के लोग शहरों में, गावों में और जंगलों में रहना पसंद करतें हैं। हम शहरों में रहने वालों को शहरी,…
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लिविंग रिलेशनशिप

विश्वनाथ शिरढोणकर इंदौर म.प्र. ****************** मराठी नाटकों की अपनी एक अहमियत होती हैं और उनमें व्यवसायिकता भी भरपूर पायी जाती हैं। मुझे भी मराठी नाटक देखने का बहुत शौक हैं और इसी कड़ी में कुछ दिनों पूर्व एक मराठी नाटक देखने का…
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गुरू कृपा

डॉ. सर्वेश व्यास इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** सब मंचन्ह ते मंचू एक, सुंदर बिसद विशाल। मुनि समेत दोउ बंधु तँह बैठारे महिपाल।। श्रीरामचरितमानस सब मंचों से एक मंच अधिक सुंदर, उज्जवल और विशाल था। स्वयं राजा ने मुनि सहित दोनों भाइयों को उस पर बैठाया। प्रसंग है कि श्री राम लक्ष्मण अपने…
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सर्वपल्ली डॉ.राधाकृष्णन : महान व्यक्तित्व

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.) ******************** प्रख्यात दर्शन शास्त्री, महान हिंदू विचारक, चिंतक, शिक्षक सर्वपल्ली डॉ.राधाकृष्णन का जन्म ०५ सितम्बर १८८८ में मद्रास (अब चेन्नई) से करीब २०० किमी. दूर तिरूमती गांव में गरीब ब्राह्मण (हिंदू) परिवार में हुआ था। राधाकृष्णन चार भाई व एक…
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बदलता हुआ पहनावा और उसका समाज पर प्रभाव

डॉ. चंद्रा सायता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** परिवर्तन प्रकृति का नियम है। संसकृति और सभ्यता भी इस प्रभाव से नहीं बच सकते। संसकृति का संबंध मानव हृदय से होता है।अत: इस पर परिवर्तन का प्रभाव अत्यंत धीमी गति से होता है। दूसरी और सभ्यता अर्थात मानव परिवेश के अ़तर्गत आनेवाली भौतिक वस्तुएं जैसे खाध पान,…
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शिक्षक दिवस : गुरु श्रद्धा एवं सम्मान का उत्सव

अशोक शर्मा प्रताप नगर, जयपुर ******************** गुरु शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है, ‘गु यानी अँधेरे से ‘रु यानी प्रकाश की ओर ले जाने वाला। प्राचीन काल की बात करें तो आरुणी से लेकर वरदराज और अर्जुन से लेकर कर्ण तक सबने गुरु की महिमा को समझा और उनका गुणगान किया है। गुरु शरण में…