मेरी रब हो…
राजेन्द्र कुमार पाण्डेय 'राज'
बागबाहरा (छत्तीसगढ़)
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सोनू! सोनू! सोनू! तुम हो तुम
जब से तुम आई जीवन में
मेरी तो जिंदगी ही बदल गई
एक ख्वाब था दिल में दिमाग में
उस हसीन ख्वाब की हकीकत हो तुम
वीरान सी जिंदगी की हसीं बहार हो तुम
ये दिल जिसे अपना मानता है वो हो तुम
मेरी जिंदगी की हर सवाल का जवाब हो तुम
मेरे जुबां पे आई वो हर अल्फाज हो तुम
मेरे हर उन अल्फाजों की मतलब हो तुम
आसमान से उतरी हुई कोई परी हो तुम
मेरे सुने दिल को खुशियों से भरने वाली हो तुम
मेरे हर एक सवालों की जवाब हो तुम
कायनात की एक दिलकश परी हो तुम
मेरे दिल को जो राहत दे सके वो सुकून हो तुम
पथरीले रास्तों से निकली मीठे झरना हो तुम
मेरी हर कविता की हर शब्द हो तुम
उतरती हुई संध्या की मीठी मल्हार हो तुम
सुनहरी सुबह की आभासिक्त किरण हो तुम
सावन की रिमझिम रिमझिम बारिश हो तुम
जेष्ठ की झिलमिलाती ...

























