होली गीत
शिव कुमार रजक
बनारस (काशी)
********************
अवधपुरी काशी से लेकर ब्रज में बाल गोपाल के
रंगे जा रहे गाल सभी के रंगों और गुलाल से।।
प्रेम के रंग में राधा नाचें
प्रीत के रंग में सखियाँ
बाल सखा संग मोहन नाचें
वृंदावन की गलियाँ
लट्ठमार की रीति अमर है, होली के त्योहार से
रंगे जा रहे गाल सभी के, रंगों और गुलाल से।।
ढोल मृदंग की ताल पर थिरकें
अवधपुरी के वासी
अंग से रंग लगाकर भागे
देवर से सब भाभी
गीत फाग के गाए जाएं सुबह शाम चौपाल से
रंगे जा रहे गाल सभी के, रंगों और गुलाल से।।
मंदिर में कैलाश सज रहे
घाटों पर सन्यासी
भांग के मद में मस्त पड़े हैं
मुक्तिद्वार के वासी
चिता के भस्म की होली होवे काशी के श्मशान में
रंगे जा रहे गाल सभी के, रंगों और गुलाल से।।
परिचय :- शिव कुमार रजक
निवासी : बनारस (काशी)
शिक्षा : बी.ए. द्वितीय वर्ष काशी हिंदू विश्वविद्यालय
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ क...