जल जीवन
प्रीति शर्मा "असीम"
सोलन हिमाचल प्रदेश
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जल से जीवन पाते हैं।
हो रहा प्रकृति पर जो,
अत्याचार
देख... आंखों में नीर आ जाते हैं।
जल से जीवन पाते हैं।
बूंद-बूंद बचाएं #पानी की,
ना व्यर्थ करें पानी को,
नहीं मिलता जब पानी,
आंखों से नीर भी सूख जाते हैं।
जल से जीवन पाते हैं।
खुशियों की चौखट पे जब मां वारी-वारी जाती हैं।
बिन वारि के खुशियां भी अधूरी रह जाती हैं।
जल से जीवन पाते हैं।
इसी पय से प्यास का अर्थ पाते हुए,
अंतिम तृप्ति पा, इसी में लीन हो जाते हैं।
परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम"
निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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