Sunday, May 12राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

दस्तक सुन दरवाजों में

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
********************

पीड़ा ने अपना सुर बदला, दस्तक सुन दरवाजों में
विषय बहुत से कविहृदय में, अंतर्मन आवाजों में।

कदम रुकते थे बचपन में, बुजुर्गों की कुछबातों में
गुजरी यादों के अतीत अब, कहर बने दिनरातों में
बिना गुनाह के सजा पाती, ये जनता बेचारी है
आस्तिक हो अथवा नास्तिक, बराबरी लाचारी है
कुली दास किसान श्रमिक या, घरानों महाराजों में
विषय बहुत से कविहृदय में, अंतर्मन आवाजों में
पीड़ा ने अपना सुर बदला, दस्तक सुन दरवाजों में

बेलगाम अश्व के मानिंद, भीड़ तंत्र से जो हारा
मदिरा से जब सरकार चले, ठंडा होता है पारा
मंथरा बुद्धि से लोग हुए, सियासत करम जारी है
सकते में जब परिवार देश, गलती की बीमारी है
कितने स्वजन खोये सबने, आशा जगी रिवाजों में
विषय बहुत से कविहृदय में, अंतर्मन आवाजों में
पीड़ा ने अपना सुर बदला, दस्तक सुन दरवाजों में

बेबसी और लूटमार का, निर्मम हाल अखाड़ा है
अवसर से लाभ उठाने का, बजता कहीं नगाड़ा है
दुष्टजनों को कोरोना से, अंत मिले ताबूतों में
जल थल नभ प्रहरी प्रणम्य, सत्य समान सबूतों में
हर्ष दर्द द्वय नाद सुनते, बाजों और जनाज़ों में
विषय बहुत से कविहृदय में, अंतर्मन आवाजों में
पीड़ा ने अपना सुर बदला, दस्तक सुन दरवाजों मे

हर बुरे में कुछ अच्छा होता, इतिहास ने बताया है
भीषण महामारी दौर में, एका नहीं दिखलाया है
व्यक्ति विरोध से देशद्रोह, टूलकिट में बसाया है
चील गिद्ध लहराए बाहर, सुरक्षित घर में पाया है
देश बचाते हैं युद्धवीर, फरिश्ते से जांबाजों में
विषय बहुत से कविहृदय में, अंतर्मन आवाजों में
पीड़ा ने अपना सुर बदला, दस्तक सुन दरवाजों में

रंगत पंगत शोर-शराबे हैं, तांडव कर्म कलापों में
अंगद पैर सी आदत हुई, धर्म जुनून अलापों में
नायक और व्यक्तित्व बने, बचपन में थे खाकों में
शाने शख्सियत धरोहर थे, गिनतीवाले साजों में
याद करेंगे अंतिम यात्रा, ठेला पैर जहाजों में
विषय बहुत से कविहृदय में, अंतर्मन आवाजों में
पीड़ा ने अपना सुर बदला, दस्तक सुन दरवाजों में

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *