संगीत से तुम
डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)
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तुम!
जैसे कोई
मीठा लम्हा "संगीत" का !!
शाश्वत ताजगी!!
से
भरा हुआ!!!
दिव्य स्मिति!
में
लिपटा हुआ!!
आत्मा को!
ब्रह्मानंद!! की
अनुभूति भरे
अतुलनीय दिव्य संगीत में
डुबोता हुआ!!!
भाव विभोर करती
अविस्मरणीय संगीत-संध्या
की स्मृतियों की!
खूँटियों में!!
टँगा हुआ!!!
जिसमें
भरा है!
मेरे
जीवन-संगीत का
नादमय आकाश!!!
जिसे
जब मैं
चाहती हूँ
अपने हृदय की
जमीं पर
झुका लेती हूँ!
और
भर लेती हूँ
अपने
आगोश में!!
प्राप्ति
परम आनंद की!!!
परिचय : डॉ. पंकजवासिनी
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय
निवासी : पटना (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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