स्वयं की खोज
अनुराधा बक्शी "अनु"
दुर्ग, (छत्तीसगढ़)
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महिलाएं कभी अपने आप को अबला और कमजोर ना समझे। उनमें हर प्रकार की क्षमता और ताकत निहित है जिसे उन्हें पहचानना है और विकसित करना है और इस राह में निर्णय लेकर मेहनत की राह पर अकेले चलने से कभी डरना नहीं है। सचमुच "डर के आगे जीत है" इस अनुभव से स्वयं को रूबरू कराना है। वो सृजनकर्ता हैं। ये गुण हर स्त्री के अंदर है। सबसे पहले तो महिलाएं सहारा लेना छोड़ दे, क्योंकि वह प्रकृति की सर्वोत्तम रचना है। उनके अंदर अनगिनत रंग भरे हुए हैं जिन्हें उनको समझ कर उन्हे निखारना होगा। शील की तरह स्त्री में भी निर्माण और विनाश की दोनों का गुण है। वो सृष्टिकर्ता है, सृजनकर्ता हैं। अपनी अहमियत समझ उनको अपनी इन गुणों को विकसित कर परिवार और समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपनी मजबूत भूमिका निभाना है। स्त्री अपने इन गुणों में तभी निखार ला सकती है जब वह हर परि...






















