संकल्प
संजय वर्मा "दॄष्टि"
मनावर (धार)
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अंग्रेजी के शब्दों से हो रहा
हिंदी के इंद्रधनुष के
साहित्य शाला का रंग फीका।
मानव देख रहा
धुंधलाई आँखों से
और व्यथित मन सोच रहा
लिखने, पढ़ने में क्यों?
बढ़ने लगे
हिंदी में अंग्रेजी के मिलावट के खेमे।
शायद, मिलावट के प्रदूषण ने
हिंदी को
बंधक बना रखा हो।
तभी तो हिंदी सिसक-सिसक कर
हिंदी शब्दों की जगह
गिराने लगी लिखने, पढ़ने ,बोलने में
तेजाबी अंग्रेजी आँसू।
साहित्य से उत्पन्न
मानव अभिलाषा
मर चुकी
अंग्रेजी के वायरस से।
कुछ बची
वो स्वच्छ ओंस सी बैठी
हिंदी
विद्वानो की जुबां पर।
सोच रही है
आने वाले कल का
हिंदी लिखने, पढ़ने, बोलने
से ही तो कल है
हिंदी से ही मीठी जुबां का
हर एक पल है।
संकल्प लेना होगा
हिंदी लिखने, पढ़ने,बोलने का आज
हिंदी को बचाने का
होगा ये ही एक राज।
परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि"
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९...