यूँ कागज पर लिखने से क्या फ़ायदा
इंद्रजीत सिहाग "नोहरी"
गोरखाना, नोहर (राजस्थान)
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यूँ कागज पर लिखने से क्या फायदा,
बरसात में भीग जाएगा बचेगा नहीं,
तुमने पत्थर सा दिल कह तो दिया,
पत्थर पर लिखोगे तो मिटेगा नहीं।
मैं तो दसतपा था फिर क्यों बुलाया,
तन पर मधुमास लपेटे हुए,
शरद की शीत में कमल मुरझाया,
प्यास तन में लिए हुए।
तुमने मुँह छिपाया तो ऐसा लगा,
अब सूरज उगेगा नहीं....
यूँ कागज पर लिखने से क्या फायदा,
बरसात में भीग जाएगा बचेगा नहीं।
मैं बसंत की तीज मना लुँगा,
तुम्हें कौन ऋतु बसंती बताएगा।
तुम अपनी धरोहर तो दिखा,
तुम्हारी धरोहर दिल में बसा लुँगा,
यूँ नयनों में नयन मत डालना,
फिर ये दिल किसी की मानेगा नहीं।
यूं कागज़ पर लिखने से क्या फायदा,
बरसात में भीग जाएगा बचेगा नहीं,
तुमने पत्थर सा दिल कह तो दिया,
पत्थर पर लिखोगे तो मिटेगा नहीं।
आँख बंद की तो तुम लैला सी ...




















