अफवाएं
संजय वर्मा "दॄष्टि"
मनावर (धार)
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हर साल दिसम्बर माह में धरती के ख़त्म होने अफवाह दूसरे देशो से उड़ाई जाती है। दिसंबर २०१२ पर तो फिल्म भी बन चुकी है। क्षुद्र ग्रह, पृथ्वी से टकराने की बाते ज्यादा उड़ाई जाती रही। ग्रह पृथ्वी की कक्षा आते ही जल जाते है। खगोलीय घटनाओं को पकड़ने वैज्ञानिक पहले से सतर्कता बरतते है। कुछ लोगो का काम ही अफवाएं फैलाना है। अफवाओं पर ध्यान न दे कर खगोलीय विधा रूचि लेवे तो ये ज्ञान -विज्ञानं में वृद्धि में करेगा ...।
अफवाएं भी उडती/उड़ाई जाती है
जैसे जुगनुओं ने मिलकर
जंगल मे आग लगाई
तो कोई उठे कोहरे को
उठी आग का धुंआ बता रहा
तरुणा लिए शाखों पर उग रहे
आमों के बोरों के बीच
छुप कर बेठी कोयल
जैसे पुकार कर कह रही हो
बुझालों उडती अफवाओं की आग
मेरी मिठास सी कुहू-कुहू पर ना जाओं
ध्यान दो उडती अफवाओं पर
सच तो ये है की अफवाओं से
उम्मीदों के दीये नहीं...



















