दीन-दुखी के अधरों पर अब
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
********************
दीन-दुखी के अधरों पर अब,
सुख की मुसकानें रख आएँ।
करें प्रेम की बरसातें हम,
पावन धरती स्वर्ग बनाएँ।।
जाति-धर्म का भेद मिटे सब,
महके जीवन की फुलवारी।
सद्कर्मों के मधुर बोध से,
गुंफित हो ये दुनिया सारी।।
छल-प्रपंच से नाता तोड़ें,
मानवता की ज्योति जलाएँ।
शील-त्याग की ध्वजा थामकर,
मर्यादा की अलख जगा दें।
सदाचार की गंग बहाकर,
पथ-कंटक को दूर भगा दें।।
नैतिकता का पाठ पढ़ा कर,
राग-द्वेष को दूर भगाएँ।
संस्कार हो अंदर जीवित,
कलुष विचारों को भी मारें।
संतापों से पार लगाएँ,
सत्य - अहिंसा की पतवारें।।
आशाओं के दीप जलाकर,
संकट से हर प्राण बचाएँ।
बंजर धरती उगले सोना,
यौवन फसल प्रेम की बोए।
सकल विश्व में हो उजियारा,
नींद चैन की दुनिया सोए।।
मित्र भाव का शंख बजाकर,
गुंजित कर दें दसों दिशाएँ।
पर...