उज्ज्वल शिक्षा ज्योति
अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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सबसे बुरा कलंक अशिक्षा,
शिक्षा सद्गुण की जननी।
जो शिक्षा से दूर साथियो,
उनकी बिगड़ी है करनी।
संस्कार शिक्षा से मिलते,
बुद्धि प्रखर होती है।
अंधकार को दूर भगाती,
शिक्षा की ज्योति है।
प्रथम पाठशाला बच्चे की,
घर में होती पूरी।
आगे की शिक्षा पाने को,
हैं स्कूल जरूरी।
अब विद्यालय लगे सँवरने,
बच्चे भी खुश होते।
खुशी-खुशी पढ़ने आते हैं,
अब बिल्कुल न रोते।
शिक्षा है अनमोल धरोहर,
जीवन मंत्र बताती।
शिक्षा ही जीवन की कुंजी,
उज्जवल राह दिखाती।
सबको मिले जरूरी शिक्षा,
करें जतन सब ऐसा।
शिक्षा जहाँ काम आती है,
काम ना आता पैसा।
गुरु शिष्य की परंपरा को,
आगे सभी बढ़ायें।
दुर्गम परिस्थिति से लड़कर,
बच्चे सभी पढ़ायें।
शिक्षक ही भूदेव भूमि के,
शत-शत नमन करूँ मैं।
गुरु जीवन के भाग्य विधाता,
उर में ...