रात बीत गई
शकुन्तला दुबे
देवास (मध्य प्रदेश)
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बीत गई रात काली
फिर क्यों उदास है
पूरब की और देख
आ रहा प्रकाश है
तू क्यों हताश हैं।
जीवन के दो पहलू
सुख और दुःख है।
दुखों से लड़ लेगा तू
मन में जो विश्वास है।
पूरब की और ...
कर्म की भी दो गति
एक जीत दूसरी हार है।
हार के भी जो हंस लें
वही मानव आस है।
पूरब की और ....
एक क्षण मिलन
दूसरा बिछोह है
जीवन में पलता मोह है
मोह से मुक्त हो
यही सच्चा ज्ञान है।
पूरब की और ....
संकटों से मत डरो
भर दो हुंकार तुम
मुश्किलों को जीत लो
ऐसा विश्वास हो तुम।
संकटों को काट दे
हो ऐसी धार तुम
फिर क्यों निराश तुम
पूरब की और देख
आ रहा प्रकाश है।।
परिचय :- शकुन्तला दुबे
निवासी : देवास (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, समाज शास्त्र, दर्शन शास्त्र।
सम्प्रति : सेवा निवृत्त शिक्षिका देवास।
घोषणा : मैं यह प्रमाणित करत...







