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मातारानी का है आगमन
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मातारानी का है आगमन

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मातारानी का है आगमन हो गया, उनकी महिमा उन्ही को सुनाते चलो। पूरे नौराते माता की महिमा को गा, उनकी करुणा कृपा, नित्य पाते चलो। मातारानी का है... नौ दिनों मेरी मैय्या के नौ रूप है, रहती शीतल सदा, काली में धूप है। वो बुलाती है भक्तों को निज धाम पे, तुम भी पग उनके दर को बढ़ाते चलो। मातारानी का है.... मैय्या का भव्य होता है श्रंगार नित, वो बहाती है करुणा को भक्तों के मित। कवि को महिमा बताती, वो लिखते उसे, स्वर के ज्ञाता हो तो, उनको गाते चलो। मातारानी का है... नौ दिनों तक बरसता है, अमृत जहां, भक्त मैय्या की महिमा को गाते जहां। मैय्या मोती लुटाने को आई धारा, तुम भी दर जाके, झोली फैलाते चलो। मातारानी का है ... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित...
राम नाम यशगान
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राम नाम यशगान

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** राम नाम है वंदगी, राम नाम यशगान। राम नाम सुख-चैन है, नित्य धर्म का मान।। राम नाम तो ताप है, राम नाम में साँच। राम नाम यदि संग तो, कभी न आती आँच।। राम नाम सुख से भरा, राम नाम रसधार। राम नाम आराध्य तो, महके नित संसार।। राम मोक्ष हैं, दिव्य हैं, जग के पालनहार। राम शरण में जो गया, पाता वह उपहार।। राम नाम तो सूर्य है, राम नाम अभिराम। राम नाम आवेग है, नित ही तीरथधाम।। राम नाम तो श्रेष्ठ है, राम नाम आदर्श। तरे मनुज भव से सदा, मिले राम का स्पर्श।। राम नाम शुचिता लिए, राम नाम में सार। राम नाम वरदान है, राम नाम उपहार।। राम नाम उजियार है, हर ले जो अँधियार । राम नाम यशगान है, राम नाम जयकार।। राम नाम मधुरिम-सुखद, राम रहें आराध्य। राम नाम है वंदगी, राम प्रखर अध्याय।। राम नाम आशीष...
सूर्यवंशी राम
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सूर्यवंशी राम

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** चतुर्भुज गोविन्द के अवतारी, लीलाधारी घनश्याम। दशरथ नंदन, रघुकुल भूषण, मर्यादा पुरुषोत्तम राम।। सूर्यवंश के प्रतापी अधिपति, त्रेतायुग के पुरुष विराट। प्रजाओं के परम पूजनीय, आदर्श देव महान सम्राट।। गुरु वशिष्ठ के प्रिय शिष्य, धनुर्विद्या में अति प्रवीण। करुणानिधान, दयालु,जन मन कीर्ति किया उत्कीर्ण।। दीन-हीन, पतितों के अभिरक्षक, रणबांकुरा, रणधीर। दानव और राक्षस संहारक, सर्व शक्तिमान, शूरवीर।। माता-पिता वचन अनुगामी, प्रिया के प्रति समर्पण धर्म। भ्राता के प्रति स्नेहिल व्यवहार, न्याय संगत, राज कर्म।। मित्र के प्रति सहयोग भावना, मृदुभाषी,सरल व्यक्तित्व। लोकमंगल, जनकल्याण, खुशहाल, समृद्ध था प्रभुत्व।। रामराज्य में अंगीय, अगत्या, पार्थिव तापों से थी मुक्ति। किंचित मृत्यु, व्याधि व्यथा की थी प्रभावज...
आ जाओ हे राम
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आ जाओ हे राम

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** आज भी विपदा भारी, आ जाओ हे! नाथ। धरती पर संकट बहुत, पीड़ा हर लो नाथ।। मानव तन में घूमते, दानव दल का राज । संत जनों को कष्ट दे, करते हैं वो राज।। वचन तुम्हारा नारायण, लोगे तुम अवतार । जब जब धरती पर बढ़े, पाप औ अत्याचार ।। संत जनों के साथ में, धरती करे पुकार। धर्म की रक्षा करने वाले, सुन लो आज गुहार।। त्रिभुवन के तुम स्वामी, आ जाओ हे राम । नर के अंतस से रावण का, नाश करो श्री राम।। चैत्र मास शुक्ल पक्ष की, नवमी तिथि है आज। अवधपुरी के साथ ही, उत्सव जग में आज।। परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्...
शुभम सनातन वर्ष
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शुभम सनातन वर्ष

अर्चना तिवारी "अभिलाषा" रामबाग, (कानपुर) ******************** चैत्र शुक्ल की प्रतिप्रदा, शुभम सनातन वर्ष। सृष्टि रची भगवान ने, जीवन हो उत्कर्ष।। तन मन को निर्मल करे, चैत्र सुदी नवरात्र। नियम-धरम से जो रहे, बनता सुख का पात्र।। प्रभुवर ने इस माह में, ले मत्स्य अवतार। मनु की रक्षा खुद करी, नाव उतारी पार।। पावन निर्मल माह ये, शुचिता से भरपूर। ईश्वर की जिन पर कृपा, रहें दुखों से दूर।। नौ दिन हैं नवरात्रि के, करें हृदय सुखधाम। नवमी तिथि पावन बड़ी, जन्में हैं श्री राम।। चैत्र सुदी नवरात्रि में, सजे मातु दरबार।। घट की होती स्थापना, बँधते बन्दनवार।। मैया मेरी आ गयी, ध्वजा लिए हैं हाथ। रक्षा माँ सबकी करो, चरण झुकाऊँ माथ।। मातु भगवती पाठ से, होती विपदा दूर। ध्याएँ निर्मल भाव से, कृपा मिले भरपूर।। परिचय :-  अर्चना तिवारी "अभिलाषा" पिता : स्वर्गीय जगन्नाथ प...
जयति माँ शीतले
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जयति माँ शीतले

अर्चना तिवारी "अभिलाषा" रामबाग, (कानपुर) ******************** आज शीतला अष्टमी, करो मातु का ध्यान । रोग अंग के दूर हों, महिमा बड़ी महान ।। सूप कलश झाड़ू लिए, और नीम के पात। गर्दभ पर बैठी हुईं, आई मेरी मात ।। दर्शन कर लो मातु का, चरण झुकाओ माथ । कृपा करेंगी शीतले, धरें शीश पर हाथ ।। सुख समृद्धि की कामना, विनती बारंबार । कलुष हृदय का माँ हरो, हर लो रोग विकार ।। सच्चे मन से मातु का, करता है जो ध्यान । नित्य कृपा माँ की मिले, होता है कल्यान ।। जयति-जयति माँ शीतले, करूँ तुम्हारा ध्यान । नित्य कृपा मिलती रहे, माँगू माँ वरदान ।। परिचय :-  अर्चना तिवारी "अभिलाषा" पिता : स्वर्गीय जगन्नाथ प्रसाद बाजपेई माता : श्रीमती रानी बाजपेयी पति : श्री धर्मेंद्र तिवारी जन्मतिथि : ४ जनवरी शिक्षा : एम ए (राजनीति शास्त्र) बी लिब- राजर्षि टंडन ओपेन यूनिवर्सिटी-प्रयागराज निव...
कालो के काल महाकाल
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कालो के काल महाकाल

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** कालो के काल महाकाल शिव भोला महान महाकाल महिमा अपरंपार। आज महाशिवरात्रि आई। संग अपने अति उल्लास उमंग लाई। भारत-भू पर शिव भोले अवतरित हुए। हम सब भारतीयों के उर अपार हर्षाए। जन-जन के घट-घट में शिव समाए। हर भक्त शिव भोले। ओम नमः शिवाय की रट लगावे। सबही भक्त भोर से रात्रि तक। शिव भोले का जाप करें। शिव भोले भक्तों का कष्ट हरे। हर पल शिव भोले को सम्मुख पावे। सकल भारत वायुमंडल शिवमय बनावै। मंदिर-मंदिर, घर-घर घंटा-घंटी ध्वनि बाजे। शिव भजन-कीर्तन कर्णप्रिय मन भावे। भांग, धतूरा, आंकड़ा, बेलपत्र। दूध भक्त चढ़ावे। शिव भोले भक्तों के लिए संदेशा लाए। सभी भक्त अपने अंतस भरे। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार। विकार तज विकारमुक्त पावन। जीवन बना, शिव भोले को पावे। परिचय :- श्रीमती संगीता ...
हे शिव परमेश्वर
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हे शिव परमेश्वर

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी हे शिव परमेश्वर प्रभु अर्ध नारीश्वर अखिलेश्वर स्वयम्भू माँ काली समाई है धारे सर्प आभूषण अवतारे नीलकंठ विषपान करके ये संसार उद्धारे हैं भिक्षापात्र हाथ थामे अन्नपूर्णा माँ के द्वारे भक्तन कल्याण हेतु त्रयम्बक ठाड़े हैं त्रिलोकी त्रिनेत्री देवा स्वीकारते भोले सेवा हर हर महादेव रामजी पुकारे है परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी म...
हे! औघड़दानी
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हे! औघड़दानी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** औघड़दानी, हे त्रिपुरारी, तुम भगवन् स्वमेव। पशुपति हो तुम, करुणा मूरत, हे देवों के देव।। तुम फलदायी, सबके स्वामी, तुम हो दयानिधान। जीवन महके हर पल मेरा, दो ऐसा वरदान।। आदिपुरुष तुम, पूरणकर्ता, शिव, शंकर महादेव। नंदीश्वर तुम, एकलिंग तुम, हो देवों के देव।। तुम हो स्वामी,अंतर्यामी, केशों में है गंगा। ध्यान धरा जिसने भी स्वामी, उसका मन हो चंगा।। तुम अविनाशी, काम के हंता, हर संकट हर लेव। भोलेबाबा, करूं वंदना, हे देवों के देव।। उमासंग तुम हर पल शोभित, अर्ध्दनारीश कहाते। हो फक्खड़ तुम, भूत-प्रेत सँग, नित शुभकर्म रचाते।। परम संत तुम, ज्ञानी, तपसी, नाव पार कर देव। महाप्रलय ना लाना स्वामी, हे देवों के देव।। परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे जन्म : २५-०९-१९६१ निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश) शिक्ष...
सरस्वती वंदना
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सरस्वती वंदना

कुंदन पांडेय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** वंदन करूं..... मात सरास्वती तेरी महिमा का गुणगान करूं। वंदन करूं...... गुण पूरित वेद पुराण पति, तेरी महिमा का मैं बखान करूं। वंदन करूं..... हे बागेश्वरी माता कमलासिनी रज तेरी सर माथ धरूं। शोभा निज वृहद विसद हो माता, जब भी तेरा ध्यान करूं। करुणा की देवी ज्ञान मई, तेरा हरक्षण सम्मान करूं। वंदन करूं....... तेरी ही कृति हूं हे मां भारती तुझसे ही नित पूरित हूं। तेरी ही वाणी है ये माता, मैं बस तुझको ध्याती हूं। मन व्याकुल जब भी हो माता, ब्यूहल सी तेरी राह तकूं। वंदन करूं..... मात सरास्वती तेरी महिमा का गुणगान करूं। वंदन करूं..... परिचय :-  कुंदन पांडेय निवासी : रीवा (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
शिव-गौरी विवाह
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शिव-गौरी विवाह

ज्ञानेन्द्र पाण्डेय "अवधी-मधुरस" अमेठी (उत्तर प्रदेश) ******************** बूढ़े बैल असवार, आये हिमगिरि के द्वार, ब्याहन गौरी सरकार, भोले भंडारी।। गल माहीं लिपटा है विषधर माथे बाल विधू है सुंदर डमरू संग हांथ तिरसूला नीलकंठ गंगाधर शंकर छाती नर मुंडन कै हार, बिछुआ कनवा झूलनदार है अद्भुत रूप सिंगार भोले भंडारी.... दीखैं रंग रंग बाराती कोऊ मोटा ताजा माती बिन मुख हांथ पाँउ बा केऊ केउतउ बहु अंगन जामाती कूकुर सुअर सियार, गदहा मुखन आकार, नाहीं इनकै है संभार भोले भंडारी.... नाचत भूतन सँगे परेता डाकिनी शाकिनी समेता जोगिनी संगती भिड़ावैं ढ़ोलक पिशाचिनी जमेता बैठी सकल जिंवार, रही बरातिन निहार, खोले सजरा हजार भोले भंडारी.... चहुँमुख बजे हैं नगाड़े ब्रह्मा विष्नु हैं पधारे सगरे देवा हैं पहुँचे राजा हिमाँचली द्वारे लखिके दमदा लीलार, मैंना पीटैं काप...
मैं विश्वनाथ का नंदी हूँ
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मैं विश्वनाथ का नंदी हूँ

डॉ. अवधेश कुमार "अवध" भानगढ़, गुवाहाटी, (असम) ******************** मैं विश्वनाथ का नंदी हूँ, दे दो मेरा अधिकार मुझे। वापी में हैं मेरे बाबा, कर दो सम्मुख-साकार मुझे।। अब तो जागो हे सनातनी, डम-डमडम डमरू बोल रहा। न्यायालय आकर वापी में, इतिहास पुराने खोल रहा।। अब बहुत छुप चुके हे बाबा, करने दो जय-जयकार मुझे। एक विदेशी खानदान ने, मंदिर को नापाक किया था। मूल निवासी सनातनी के, काट कलेजा चाक किया था।। औरंगजेब नाम था उसका, वह धर्मांध विनाशक था। भारत माता के आँचल का, वह कपूत था, नाशक था।। आस्तीन में साँप पले थे, बहु बार मिली थी हार मुझे। ले रहा समय अब अँगड़ाई, खुल रहे नयन सुविचार करो। बहुत सो चुके हे मनु वंशज, उठ पुनः नया उपचार करो।। लख रहा दूर से बेसुध मैं, वर्षों से बाबा दिखे नहीं। मैं अपलक चक्षु निहार रहा, विधि भी आकर कुछ लिखे नहीं।। अवध अहिल्या...
शिव शंकर भोले भंडारी
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शिव शंकर भोले भंडारी

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** शिव शंकर भोले भंडारी, भरते हैं भंडार । नीलकंठ कैलाश विराजे, देते वर उपहार।। हाथ रखें त्रिशूल हैं भोला, देते हैं सौगात। मोक्षदायिनी जटा जूट में, जैसे पुण्य-प्रभात।। शीश विराजत चंद्र प्रभो के, गल मुंडो की माल। तांडव जब करते शंकर हैं, काँपे फिर तो काल।। जीवन संगिनी पार्वती हैं, रहें नंदी सवार। प्रभु निष्कामी हैं अन्तर्यामी, त्रिलोकी महाकाल। सुखकारी हैं मंगलकारी, करते मालामाल।। बामदेव गंगाधर शंकर, त्रिपुरारी गिरिनाथ। भूतनाथ शशिशेखर देवा, रहें गणों के साथ।। व्योमकेश पशुपति पिंगल हैं, कर लो जयजयकार। ओम नमों का जाप करो सब, निराकार भगवान। सकल विश्व की रक्षा करते, ज्योति लिंग पहचान।। मोक्ष दिलाते भक्तो को प्रभु, हरते संकट नाथ। शिव महिमा गा रहे देवता, भस्म रखें सब माथ।। दुखभंजन हैं अलख निरंजन, प्रभु हैं ...
ओ यशोदा मैया
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ओ यशोदा मैया

प्रतिभा दुबे ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** माता यशोदा की गोद में खेले कृष्ण कन्हाई अब सोच रहे हैं कैसे करूं मैं अब मैया से विनती, खाने को सखा राह देख रहे हैं।। खेल-खेल में कृष्ण सखाओं संग, मक्खन की हांडी को ताड़ रहे हैं जैसे ही मैया हांडी माखन से भरदे मैया को मक्खन के लिए बोल रहे हैं। अब आई बारी मक्खन खाने की मैया दे मधुर मुस्कान वे बोले रहे हैं ओ री यशोदा माई मैं तेरा लल्ला करवा देना मेरा मक्खन से मुंह झूठा।। माटी ना खाऊंगा सच में कहता हूं गईया चराऊंगा में नित सांझ,सवेरे एक हांडी भर दे माखन से मेरी तू राधा ,सखा सब रास्ता देख रहें है।। कोई की मैया ना देवे हैं मक्खन जितनी प्यारी है तू ओ मेरी मैया चोरी करूंगा न मक्खन की अब से दे जो तू मुझे एक माखन की हंडिया ।। ओ मैया जब देगी मक्खन की हंडिया कन्हैया का तेरा यह वादा है ओ मैया काम...
नित प्रवाहिनी माँ नर्मदे
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नित प्रवाहिनी माँ नर्मदे

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** नित प्रवाहिनी नर्मदे, तेरा ताप अपार। देती है तू जीव को, पुण्यों का उपहार।। रेवा मैया तू सदा, करती है उपकार। बनकर के वरदान तू, कर देती भवपार।। दर्शन तेरे उच्चतम, नीर सुधा का रूप। शिवतनया हे ! नर्मदे, तू नित खिलती धूप।। रेवा माता मेकला, पापहारिणी ख़ूब। नाश करे दुष्कर्म का, बन पूजा की दूब।। कंकर को शंकर करे, वंदनीय हे! मात। गहन तिमिर को मारने, लाती रोज़ प्रभात।। रेवा तेरी वंदना, करता सकल समाज। जीवनरेखा बन करे, जनजीवन का काज।। मेकल से उद्भूत हो, बहती सागर-ओर। तेरी महिमा का कभी, किंचित है नहिं छोर।। रेवा तू प्राचीनतम्, जग को दे आशीष। करुणामय तेरी दया, करता उन्नत शीश।। प्रकट हुई तू इस धरा, हरने हर संताप। तेरी महिमा को भला, कौन सकेगा माप।। चुनरी का अर्पण तुझे, करे पाप-संहार। सतत् बहे रेवा ...
हे मॉ, हे मॉ सरस्वती
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हे मॉ, हे मॉ सरस्वती

बृजेश आनन्द राय जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** हे माँ, हे माँ सरस्वती विद्या-दायिनी, माँ भगवती! नत-सिर, निमीलित नयन प्रणम्य शिरसा, करूँ निवेदन रुग्ण है आज, विश्व-जीवन उद्धार का कुछ करो चिन्तन हे माँ, हे माँ प्रज्ञावती विद्यादायिनी, माँ भगवती! संकट में है मनुज-जीवन नाश का है सर्वत्र-दर्शन अज्ञानता का है प्रवर्तन करो, करुणा का आवर्तन हे माँ, हे माँ विद्यावती विद्यादायिनी, माँ भगवती! वीणा की मधु-रागिनी से कमण्डल-प्रवाहिनी से दिव्य-ज्ञान-संजीवनी से सर्व-प्राण का संचार कर दो हे माँ, हे माँ जीवनदात्री विद्यादायिनी, माँ भगवती! अस्तित्व का सागर लहराए मन, जीवन-गीत गाए अमरता की ज्योतिपुंज फिर मनुजता में समा जाए हे माँ, हे माँ मनुष्यमती विद्यादायिनी, माँ भगवती! परिचय :-  बृजेश आनन्द राय निवासी : जौनपुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं ...
वैष्णवों का मनोरथ
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वैष्णवों का मनोरथ

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** देखो! नववर्ष की आई है दिव्य बेला, गोकुल में सजेगा हम वैष्णवों का मेला, श्रीजी की प्यारी हमारी यमुना महारानी शांत, नीलमणि वर्ण हमारी प्यारी पटरानी, भजन कीर्तन से करें आपका गुणगान स्वीकार कर पूजा हमारी, राखो हमारो मान श्रीजी बाबा कृपा से रचा गोकुल में चुनरी मनोरथ काज यमुना महारानी पटरानीजी पूर्ण कीजो हमरी पावन आस।। सोलह सिंगार से हमें आपको है सजाना, सुंदर चुनर भी हमें आपको है ओढाना अपनी स्वीकृति दे महारानी आप हमारा कार्य सफल बनाना सौभाग्य रहे सदा साथ हमारे, ऐसा आशीष हमको है पाना।। छवि मनमोहक मधुर तान से सबका मन जो भरमाये अपनी सुध-बुध-भूल के गोपियां खिंची चली वो आयें चलो रे! श्री गिरिराजजी बाबा का दर्शन लाभ पाएं गोविंद कुंड में हम सभी सफल मनोरथ कराएं श्रीजी बाबा, महारानीजी पूर्ण कीजिए हम...
नव सृजन
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प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मानवता की सेवा में लग, तू भी अपना भाग्य जगा ले। ईश्वर है करुणा का सागर, तू भी उसकी करुणा पा ले। मानवता की सेवा... ईश्वर ने करुणा कर मानव तन, मुक्ति के हेतु दिया है। पर माया के दल-दल में, फंसकर हमने दुरपयोग किया है। जो जग माया में उलझे हैं, उनको तू प्रभु धाम दिखा दे मानवता की... जिनको प्रभुका धाम भा गया, प्रभु भक्ति में रम जाएंगे। सुमिरन होने लगा नाम का, तो माया से बच जाएंगे। तीर्थाटन का स्वाद चखाने, को जीवन उद्देश्य बना ले। मानवता की... जिसको प्रभु सम्पन्न बनाता, वो धन का उपयोग करेगा, नहीं बढ़े पग सन्मार्ग पर, तो धन का दुलयोग करेगा तू सन्मार्ग दिखाकर उसको, उसके धन को धन्य बना ले। मानवता की... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करत...
प्रभु की चाह
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प्रभु की चाह

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** ईर्ष्या नहीं ईश्वर चाहिए, द्वेष नहीं द्वारकाधीश चाहिए। कपट नहीं कन्हैया चाहिए, छल नहीं छलिया श्री कृष्ण चाहिए। राग नहीं राघवेंद्र चाहिए, भेद नहीं भगवान चाहिए। घृणा नहीं घनश्याम चाहिए, क्रोध नहीं कान्हा चाहिए। मन में मेल नहीं कृष्ण सुदामा सा दोस्त चाहिए। लोभ नहीं लट घुंघराले श्याम चाहिए, मोह नहीं मोहन चाहिए, मद नहीं मन मोहक कृष्ण चाहिए। तृष्णा नहीं तीराने वाला राम चाहिए। अंधकार नहीं किरण चाहिये, गम नहीं मुस्कान चाहिये। युद्ध नहीं गीता का ज्ञान चाहिये, हार नहीं विजय चाहिये। परिचय : किरण पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी...
जग नियंता की शक्ति
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जग नियंता की शक्ति

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** जग नियंता की शक्ति को पहचान तू, सारी सृष्टि है प्रभु की बनाई हुई। लेखनी बस चलाते हैं हम जैसे कवि, हर इक कविता है ईश्वर की गाई हुई। जग नियंता...... मत अहम पाल की तू सृजन कर रहा, जिसपे करता कृपा प्रभु, भजन कररहा। अपनी शक्ति से जीवित नहीं है कोई, सबकी सांसे हैं प्रभु की चलाई हुई। जग नियंता....... जो करेगा भजन वो रहेगा मगन, डूब पाया अगर तो छुएगा गगन। गया सके राम महिमा को तुलसी तभी, ये थी हनुमत की सरिता बहाई हुई। जग नियंता.......... तू लगा इसमें डुबकी और हो धन्य जा, वो लुटाता है प्रतिपल, तू जो लूट पा। जन्म के साथ माँ तन से अमृत मिला, सारी औषधियाँ प्रभु की उगाई हुई । जग नियंता........ परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रच...
मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप
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मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** धर्म ग्रंथों और पुराणों में मां लक्ष्मी के अष्ट स्वरूपों का वर्णन है मान्यता है मां लक्ष्मी की कृपा बिना जीवन में समृद्धि संपन्नता पाना असंभव है मां के अष्ट लक्ष्मी स्वरूप अपने नाम स्वरूप के अनुसार भक्तों के दुख दूर करती हैं सुख समृद्धि देकर वैभव बढ़ाती है धन की वर्षा से जीवन सफल बनाती है आदिलक्ष्मी धन लक्ष्मी धान्य लक्ष्मी स्वरूपों सहित गज लक्ष्मी संतान लक्ष्मी वीर लक्ष्मी जय लक्ष्मी विद्या लक्ष्मी अष्ट स्वरूप है हर स्वरूप से कृपा रहमत बरसाती है लक्ष्मी मां का सशक्त अस्त्रों में मुद्रा अस्त्र है अलक्ष्मी चंद्रदेव शुक्राचार्य भाई बहन हैं मां का दिवस शुक्रवार जीवनसाथी विष्णु है सवारी गरुड़ उल्लू शेषनाग कमल है ओम श्री श्रेये नमः मूल मंत्र हैं वैंकुठ मणिद्वीप क्षीरसागर निवास स्थान है महालक्ष्मी...
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डाॅ. रेश्मा पाटील निपाणी, बेलगम (कर्नाटक) ******************** शितल-शितल चंदा की किरण है। महकी-महकी आज पशन है। तरल तरंग मन में उमडे है उमड-उमड मन गीत है गाता। सुख है, दु:ख है समझ ना पाये मन भी बडा चपल चंचल है। डाल-डाल पर भँवरा मंडराये कली-कली को फूल बनाये। दूर कही बांसुरी बजाए राधा-राधा किशन बुलाए। मनवा महके, तनवा दहके सृष्टी का कैसा सृजन है। परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में...
करवाचौथ का चाँद
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करवाचौथ का चाँद

डॉ. अर्चना मिश्रा दिल्ली ******************** यूँ तो तुम रोज़ मेरी मुँडेर पर आकर दस्तक देते हो रोज़ तुमसे ढेरों बातें भी होती हैं। पर आज की बात कुछ ख़ास है आज मेरा भी रंग तुम्हारे जैसा दमका है तुम्हारी शुभ्रता में खो जाने को जी चाहता है आज तुम्हारा इंतज़ार कुछ ख़ास है आज तुम मेरे प्रियतम सखा नहीं हो आज तुम चंद्र देव हो जिनसे मैं ढेरों, दुआएँ और आशीर्वाद चाहती हूं, अपने जीवन में आ रही सारी परेशानियों का जवाब चाहती हूँ जोड़ा मेरा अमर रहे, ऐसा आशीर्वचन बेहिसाब चाहती हूँ तुम्हारी शीतलता में खुद भी शीतल होना चाहती हूँ आज पिय के संग तुम्हारा दीदार करूँगी हाथ जोड़, पुष्प अर्पित कर आज तुम्हें प्रसन करूँगी। जन्मो जन्मांतर रहे पिय का साथ ऐसा वचन चाहती हूँ रूप रंग दमके, फूलवारी रहे सलामत मेरी चेहरे पर ना आने पाए धूमिलता ऐसा प्रतिदिन चाहती हूँ। ये ...
माँ कौशिकी
स्तुति

माँ कौशिकी

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** शिव शक्तियों के स्वरूप में नौ देवियाँ अवतरित हैं हुई दुर्गा मैया करती वार पे वार दुर्गुणों का कर देती संहार अन्नपूर्णा सबकी पालनहार भरपूर रखे सदा अन्न भंडार माँ का काली का ये अवतार मिटाए संसार के सब विकार सहनशीला माता जगदम्बा है प्रेम लुटाती सब पे अपरम्पार धैर्यशीला महान सन्तोषी माँ गुण अवगुण सब हैं स्वीकार बड़ी पारखी हैं गायत्री मात न्याय का ही करती हिमायत विद्या की निर्णय की ज्ञाता ज्ञान प्रकाश से इनका नाता सबसे अलग हैं कौशिकी विस्तार को सार में बदले पार्वती की अंशिका है ये रूप लावण्य की प्रतिमूर्ति रेशम सी हैं संवेदनशीला पूरित हैं भाव लीलाओं से माँ का सौंदर्य है मन भाए उग्र तारा का प्रतिरूप धारे वचन उद्गारे महिष्मति ने उसकी हार बने जय हार सब राक्षसगण भ्रमित हुए अंगाररूप से शुम्...
नवरात्रि और नारी
कविता, स्तुति

नवरात्रि और नारी

उत्कर्ष सोनबोइर खुर्सीपार भिलाई ******************** नारी जिससे देवता भी हारे काली जिससे स्वयं शंभु हारे द्रौपदी जिससे पांडव कौरव हारे वो स्वयं किल्ला कंकालिन तो आदि दुरगहीन माँ चण्डिका है कभी नरसिंह अवतार की भगिनी रतनपुर की माँ महामाया है राजा कामदल की आशापुरा वो डोंगरगढ़ बमलाई है वो बाबा बर्फानी की आरध्या नंदगहिन माँ पाताल भैरवी है वो बस्तर की माई महतारी देवी दंतेश्वरी शक्ति स्वरूपा है कोरबा की मंगल धारणी सर्वमंगला देवी स्वरूप है वो झलमाल गंगा मइया जैसे शीतल गांव-गांव की शीतला महारानी है। दुर्गम राक्षस मर्दानी देवी दुर्गा चण्ड मुण्ड संघारणी महिसासुरमर्दिनि है शशि शीश धारणी, त्रिनेत्र शोभनी वो त्रि देव पूजनीय माँ शक्ति है नारी है वो जग अवतारी वो सृष्टि की महतारी है। जिससे रावण, पांडव, राम, कृष्ण, विष्णु, स्वयं शंभु भी हारे है वो नारी है ज...