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जग नियंता की शक्ति

प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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जग नियंता की शक्ति को पहचान तू,
सारी सृष्टि है प्रभु की बनाई हुई।
लेखनी बस चलाते हैं हम जैसे कवि,
हर इक कविता है ईश्वर की गाई हुई।
जग नियंता……

मत अहम पाल की तू सृजन कर रहा,
जिसपे करता कृपा प्रभु, भजन कररहा।
अपनी शक्ति से जीवित नहीं है कोई,
सबकी सांसे हैं प्रभु की चलाई हुई।
जग नियंता…….

जो करेगा भजन वो रहेगा मगन,
डूब पाया अगर तो छुएगा गगन।
गया सके राम महिमा को तुलसी तभी,
ये थी हनुमत की सरिता बहाई हुई।
जग नियंता……….

तू लगा इसमें डुबकी और हो धन्य जा,
वो लुटाता है प्रतिपल, तू जो लूट पा।
जन्म के साथ माँ तन से अमृत मिला,
सारी औषधियाँ प्रभु की उगाई हुई ।
जग नियंता……..

परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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