वक्त का अजब तकाजा
विनोद सिंह गुर्जर
महू (इंदौर)
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वक्त का अजब तकाजा देखो।
बंदर के हाथ में माजा देखो।।
जिसके मूंह पर वफा नुमाईश हैै,
वेहयायी का तमाशा देखो।।...
वक्त का अजब तकाजा देखो।।...
जिसने की है मुहब्बत यहॉ कभी,
उनके इश्क का जनाजा देखो।।...
वक्त का अजब तकाजा देखो।।...
चंद सिक्कों के लिये नीलाम हुआ,
आज बन बैठा वही राजा देखो।।.
वक्त का अजब तकाजा देखो।।...
भूल गये लोग रिश्तों के मतलब,
भाई था कल आज बंधन ताजा देखो।।...
वक्त का अजब तकाजा देखो।।...
जिन्हें गुमां था अपनी शौहरत पर,
हाथ में ढोल और बाजा देखो ।।..
वक्त का अजब तकाजा देखो।।...
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परिचय :- विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मे...





















