हिंदी के दोहे
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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हिंदी में तो शान है, हिंदी में है आन।
हिंदी का गायन करो, हिंदी का सम्मान।।
हिंदी की फैले चमक, यही आज हो ताव,
हिंदी पाकर श्रेष्ठता, रखे उच्चतर भाव।।
हिंदी में है नम्रता, देती व्यापक छांव।
नवल ताज़गी संग ले, पाये हर दिल ठांव।।
दूजी भाषा है नहीं, हिंदी-सी अनमोल।
है व्यापक नेहिल 'शरद', बेहद मीठे बोल।।
हिंदी का बेहद प्रचुर, नित्य उच्च साहित्य।
बढ़ता जाता हर दिवस, इसका तो लालित्य।।
हिंदी प्राणों में बसे, यही भावना आज।
हर दिल पर करती रहे, मेरी हिंदी राज।।
हिंदी नित गतिमान हो, सदा करे आलोक।
इसी तरह हरदम प्रथम, फिर मन कैसा शोक।।
हिंदी मेरा ज्ञान है, यह मेरा अभिमान।
रोक सकेगा कौन अब, इसका तो उत्थान।।
हिंदी में संवेग है, हिंदी में जयगान।
सारे मिल नित ही करें, हिंदी का गुणगान।।
हिंदी पूजन-यज्ञ है,...