लाखों फरेब खाये हैं
डॉ. कामता नाथ सिंह
बेवल, रायबरेली
********************
लाखों फरेब खाये हैं
उस अज़नबी के साथ।
गुज़रे न कोई हादसा
उस महज़बीं के साथ।
अल्लाह सौ बलाओं से
रखना उसे महफूज़,
महफ़िल में पेश आया है
वो बेरुखी़ के साथ।
कहते हैं उसे फूल सा
नाजुक हजा़र लोग,
करता है संगसार
मगर सादगी के साथ।
घुट घुट के भला जीते भी
तो जीते कब तलक,
कब तक निबाह करते
यूं बेचारगी के साथ।
करता भी कोई प्यार
क्यूं उजड़े दयार से,
रिश्ते नये बना लिये
आवारगी के साथ।।
परिचय :- डॉ. कामता नाथ सिंह
पिता : स्व. दुर्गा बख़्श सिंह
निवासी : बेवल, रायबरेली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी ...