जब बसंत आता है
प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
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जब बसंत आता है मन मे उमंग जगाता है
बागो मे कोयल जब प्यार के गीत गाती है
सरगम की लय पर सस्वर गीत सुनाती है
इन मधुर गीतों से दिल मेरा भर जाता है
जब बसंत आता है मन मे उमंग जगाता है
अमुवा की मौर से फ़िज़ा भी मतवाली है
बासंती बयार सबका मन मोहने वाली है
सरसराती हवाएं दिल मे आग लगाता है
जब बसंत आता है मन मे उमंग जगाता है
पीले सरसो के फूल प्रकृति का श्रृंगार है
धरा पर बसंत, रति काम का अवतार है
इसकी मादकता मन को सदा हर्षता है
जब बसंत आता है मन मे उमंग जगाता है
रग-रग मे जीने की नवीनतम आश है
प्रकृति का अप्रतिम कैसा अहसास है
प्रकृति का हर शै प्रेम की बात बताता है
जब बसंत आता है मन मे उमंग जगाता है
प्रकृति से सीखे परिवर्तन कैसे स्वीकारना
विषम परिस्थिति मे भी खुद को निखारना
पतझड़ के बाद ही नई-नई कोपले आता है
ज...