मत जाना तुम कभी छोड़ कर
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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मत जाना तुम कभी छोड़ कर,
रात दिवस मैं जगता हूँ।
तुम ही तुम हो इस जीवन में,त
याद तुम्हें बस करता हूँ।।
प्रिये सामने जब तुम रहती,
मन पुलकित हो जाता है।
लेता है यौवन अँगडाई,
माधव फिर प्रिय आता है।।
प्रेम सुमन पल पल खिल जाते,
भौरों सा मैं ठगता हूँ।
मत जाना तुम कभी छोड़ कर,
रात दिवस मैं जगता हूँ।।
नेह डोर तुमसे बाँधी है,
जन्म जन्म का बंधन है ।
साथ कभी छूटे ना अब ये,
प्रेम ईश का वंदन है ।।
मेरे हिय में तुम बसती हो,
नाम सदा ही जपता हूँ ।
मत जाना तुम कभी छोड़ कर,
रात दिवस मैं जगता हूँ।।
रूप अनूप बड़ा मनमोहन,
तन में आग लगाता है ।
आलिंगन को तरस रहा मन,
हमें बहुत तडपाता है।।
चंचल चितवन नैन देख कर,
ठंडी आहें भरता हूँ।
मत जाना तुम कभी छोड़ कर,
रात दिवस मैं जगता हूँ।।
परिचय :- मीना...



















