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पद्य

प्रेम रसिया
भजन

प्रेम रसिया

कमल किशोर नीमा उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** प्रेम रसिया राधा मन बसिया बसों मन मोरे श्याम। जनम जनम का सानिध्य पाऊँ बिसरे न तेरो नाम। प्रेम रसिया…… प्रेम पुलकित छवि तुम्हारी लोचन नयनाभिराम। प्रेम ज्योति प्रज्वलित हो वे प्रलाप रहे निष्काम। प्रेम रसिया…. प्रेम बन्धन बंधे बिहारी रसिक रहु हरि का नाम। प्रेम मगन और मुखर हो वाणी जपे निरन्तर नाम। प्रेम रसिया….. प्रेम समर्पण अर्पण तन मन चाहे ना कोई दाम। प्रेम समर में समर्थ रहु और मिलें गऊ लोक धाम। प्रेम रसिया…… प्रेम सरोवर समाएँ न गागर अनुपम कृष्ण का नाम। प्रेम जगत् में माया झूठीं पाए न कोई मुक़ाम। प्रेम रसिया…… प्रेम रतन सा कोई न सानी आये न दूजा काम। प्रेम ही ईश्वर की अनुभूति प्रेम ही ईश्वर का नाम। प्रेम रसिया…… परिचय :- कमल किशोर नीमा पिता : मोतीलाल जी नीमा जन्म दिनांक :१४ नवम्बर १९४६ श...
नारी शक्ति का दिवस
कविता

नारी शक्ति का दिवस

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** नारी शक्ति का दिवस आज है, थोड़ा इनका वंदन कर लो। मान सभी को प्रिय लगता है, इनका सब अभिनन्दन कर लो। नारी शक्ति......... फूलों सा कोमल मन इनका, मोम सरिस ये पिघल है जाता। निर्मल मन जब इनको दिखता, वो ही इन्हें बहुत है भाता। पुष्प गुच्छ कर भेंट इन्हें, इनमें जसुदा मईया को जगा लो। नारी शक्ति........ दुर्गा, चंडी को मत देखो, वो इनका विकराल रूप है। ये है मंद पवन का झोंका, हम सब तो बस कड़ी धूप है। इनके मातृ रूप के संग तुम, अपना रिश्ता कायम कर लो। नारी शक्ति......... अन्नपूर्णा और सरस्वती , इनके रूप मधुर लगते हैं। पर कुदृष्टि डाले यदि कोई, दुर्गा, काली बन जगते हैं। अन्नपूर्णा रूप जगाकर, जो खिलाएं उसको सिर धर लो। नारी शक्ति......... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र ...
होली के रंग
कविता

होली के रंग

डॉ. भगवान सहाय मीना जयपुर, (राजस्थान) ******************** याद आते है, मुझे होली के रंग। मतलबी दुनिया में, इंसान हुए बेरंग। स्वार्थवश गूंगी हुई, भाई चारे की चंग। रंग बदलते लोगों से, अचरज में सब रंग। देख नशा इंसान का, ठगी गई है भंग। उतरे रंग को देखकर, गुलाल रह गई दंग। कंठ कंठ में बजते, कड़वे भावों के मृदंग। ऊसर सब की वाणी, प्रेम वात्सल्य में जंग। भौतिक सुखी अंतर्मन, ठूंठ सरीखे नंग। गांव मौहल्ले भी, लगते शहर से बदरंग। परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार) निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, ...
आई है होली
गीत

आई है होली

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** मुख पे लाल गुलाल लगाने, आई है होली। तन की सारी पीर मिटाने आई है होली।। हाथ गुलाल अबीर रखी है, पुलकित गोपाला। राधे पर है जादू डाला, कान्हा काला।। गंधिल होता गात गोपियाँ, भरतीं किलकारी। सपने लाख सँजोती मन में, आँखें कजरारी।। वादे सारे आज निभाने, आई है होली। रंग बिरंगे सुमन खिले हैं, नवरंगी छाया। मारे कलियों को पिचकारी, भौंरा बौराया।। हर्ष उल्लास की होली है, फागुन है भाता। यौवन और बुढ़ापा दोनों, गीत मिलन गाता।। हमजोली पर प्रेम लुटाने, आई है होली। है त्योहार अनूठा साजन, प्रेमिल अभिलाषा। कंचन जैसा रूप चमकता, कहता मन भाषा।। धरती पर यौवन छाया है, रसिया नभ छैला। प्रमुदित किंशुक है उपवन में, मिलती है लैला अंतर्मन कचनार खिलाने, आई है होली। बरजोरी करते हुरियारे, प्रणय-मुरारी हैं। ग्रामों की चौपालो ...
गड़बड़ हे भई
आंचलिक बोली, कविता

गड़बड़ हे भई

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी कविता) छाता ओढ़ के सुरुज ल ढांकय देखव ए अत्याचारी मन, जोर जुलुम के बेवस्था ल पकड़े हावय देखव समाजिक बीमारी मन, हजारों साल के धत धतंगा करके नई अघाए हें, संकट खतरा कहि कहि के गरीब गुरबा ल सताये हें, नाक कटाय के डर नई हे कोनो नाक इंखर तो पइसा हावय, अकेल्ला रहिथंव मोर कोनो नई हे सुखाय नहीं जऊन भंइसा हावय, कुकुर बिलाई छेरी बछरू कतको के नजर म देवता आये, शरम बेच लोटा धर मांगय बइठे ठाले तीन तेलइ के खाये, हांसी आथे पढ़े लिखे मन उपर तर्क वितर्क ले दुच्छा हावय, गहना धर के मुड़ी ल अपन अनपढ़ जोगी जगा हाथ देखावय, मया पिरित नही हे देस से जेला ओहर का सियानी करही, ए डारा ले ओ डारा तक बेंदरा कस धतंग धियानी धरही, कांदी खाये पेट के भरभर पगुरा के वोला पचाही जी, चिंता फिकर का करना हे चारा दूसर लाही जी। ...
बंद कर लिया दरवाजा दिल का
कविता

बंद कर लिया दरवाजा दिल का

प्रतिभा दुबे "आशी" ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** मिलते है सूरत चाहने वाले सीरत कहां कोई जान पाया दिखावा तो बड़ा सरल रहा मन का किया कहां पहचान पाया।। उम्र गुजरती गई तमाम यूँ ही, नहीं किरदार मिला समझने वाला मैं दूर होता गया सबसे धीरे-धीरे यहां कौन था कभी समझने वाला।। लोग मिलते है तमाशबीन बनकर एक मैं था मोहब्बत लुटाने वाला नहीं सीखा था खफा रहना किसी से, लोगों ने मेरा अस्तित्व ही मिटा डाला।। अब जो संभला हूं ..... बड़ी मुश्किल हुई मुझे चोटिल करने को कोशिशें तमाम रही लोग घाव देते हैं यहां अपना बनाकर ही मैं अपनों की झूठी दुनियां से निकल आया।। मैंने भी दरवाजा बंद कर लिया इस दिल का लोग ढूंढ ही लेंगे कोई सूरत को चाहने वाला मुझे फूल से ज्यादा कांटे पसंद रहे सदा से ही कोई तो हो साथ, झूठे लोगों से बचाने वाला।। ...
श्याम करी बरजोरी
छंद

श्याम करी बरजोरी

राधेश्याम गोयल "श्याम" कोदरिया महू (म.प्र.) ******************** होली- छंद होरी पे श्याम करी बरजोरी, बहियां मोरी झटकी चुनर रंग बोरी। मैं बोली की श्याम करो न ठिठोली, अंगिया संग भीग गई मेरी चोली। वो बोले प्रिये अब होली सो होली, मन काहे मलाल करो हमजोली। गर बीत गए दिन यूं ही रंगीले तो, अगले बरस फिर आएगी होली। रंग डार के आज भिगोए गयो, अंग मसक गयो सखी मोर अनारी। मुख लाल गुलाल लगाय गयो, मोरी फारी गयो सखी पचरंग सारी। फाग में आग लगाय गयो, ऐसी नैनन मार गयो वो कटारी। मो संग नेह बढ़ाई गयो सखी, मारी के श्याम प्रित पिचकारी। परिचय :- राधेश्याम गोयल "श्याम" निवासी - कोदरिया महू (म.प्र.) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
सशक्त
कविता

सशक्त

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** भारत की बेटी है न्यारी, हर क्षेत्र में परचम भारी, निडर साहसी शक्तिशाली, दुश्मन पर पड़ती वो भारी, अबला नहीं सबला है सारी, अब नहीं मोहताज किसी की, गोला बारूद हाथ में उसके, बड़े विमान हाथ में उसके, हर-पद पर वह राज है करती, लक्ष्मी ,इन्दरा, सुनीता द्रुपति, नारी! सशक्तिकरण की मिसाल है सारी, नारी को हथियार शक्ति दे, अस्त्र प्रशिक्षण घर घर कर दे, आत्मनिर्भर नारी को कर दे, सीता सी अबला नहीं रहे वह, रण चण्डी काली सी कर दे, कोई आँख दिखाना पाये, कोई छेड उसे ना पाये, तत्क्षण दण्डित हे वो कर दे, न्याय का चाबुक दे हाथो मे, निडर! बनकर रहे जगत मै, कोई पापी, अत्याचारी! ना हो, काँपे उसके बल पौरुष से, सर्वागीण विकास हो उसका, हर क्षेत्र मै परचम उसका, हर पुरुष साहस शक्ति दे, फिर कोई रावण पैदा ना हो, फिर कोई ...
नारी
कविता

नारी

बृजेश आनन्द राय जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** उम्र बढ़ती है तो क्या, बढ़ जाने दो! आयु घटती है तो क्या, घट जाने दो! 'काया', कुछ ढलती है तो क्या, ढल जाने दो! पर तुम न अपनी 'मन की मुग्धा' को मारो, न माया, ममता, मोह को बिसारो; न डकने दो कैशोर्या की ड्योढ़ी कभी भी 'उसे', फूल की डाली बीच से सदा निहारो! तन-मन का करो नित-श्रृंगार अपने... अपने 'प्रिय' को कभी दूर से... कभी-कभी पास से अक्सर पुकारो! महकती रहो बहारों सी सदा... इक फूल की मुस्कान सदा होठों पे धारो! न सोचो मान करने को आजीवन, सदा बोल में संयम-सम्हालो! न सूखें 'आँख के आँसू' कभी उसके लिए ... ये मोती हैं तेरे अनमोल सदा उसके लिए... करो स्वागत सदा पलकों से- वन्दनवार सजाओ!! परिचय :-  बृजेश आनन्द राय निवासी : जौनपुर (उत्तर प्रदेश) सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र.द्वारा ...
होली की हुडदंग
कविता

होली की हुडदंग

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** होली हुडदंग, प्रकृति का मान्दल बाजे, मन्जिरे बाजे बाजे ढोल और ताशे होली आई रंग लाई गांऐ हुलियारे। देखो गगन ने केशरिया रंग बिखेरा हरित पर्ण लाये हरित वर्ण मोगरा, चम्पा, चमेली लाई श्वेत रंग देखो गुलमोहर ने लाल रंग छिडका पथ, पग, पगडंडी पर पीलापन फूलों ने धुम मचाई। पुष्पों के राजा गुलाब ने गुलाबी पंखुरी बिखराई। श्याम वर्ण मेध लाये श्याम रंग का उपहार फूलों संग गुनगुन गाते श्याम रंग के भँवरे गाते होली गीत। हर सिंगार सजाये केसरिया गजरा मोगरा, तुलसी गुलाब जल से जल हो गया सुगन्धित जो गजमुख से निकलकर प्रकृति को करता रोमान्चित ऐसी होली खेली कान्हा ने प्रकृति संग राधा भीगी परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती...
गंभीर और सुलझे जन
कविता

गंभीर और सुलझे जन

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** देखो कैसा मुमालिक ये, फर्ज को भुला बैठा है बन बैठा जज या पीठाधीश, काम क्या खुद का भूल गया कहते जो खुद को खबरनवीस, दो गुटों में बैठे हैं, एक दूजे से ऐंठे हैं, आधा सच बताता वो, आधा सच बताता ये, आधा झूठ परोसता वो, आधा झूठ परोसता ये, बैठे गोद धनकुबेरों के जन मन गन को लूट खसोटता ये, भ्रामकता में गूंगे बहरे जन, नहीं सच को खोजे इनका मन, तवायफों के दीदार को बैठे मुजरे में सब उलझे हैं, कुछ मत कहना इनको यारों जन गंभीर बहुत और सुलझे हैं। परिचय :-  राजेन्द्र लाहिरी निवासी : पामगढ़ (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने पर...
टूटे दिल के टुकडे
कविता

टूटे दिल के टुकडे

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** रौनक भरे शहर में धुआं-धुंआ सा क्यूँ है इंसानों की भीड़ में हर शख्स अकेला सा क्यूँ हैं! एहसास यहां सोये हुए से क्यूँ हैं आदमी बुत और दिल पत्थर से क्यूँ है! इस भीड़ के कोलाहल में हर कोई वजूद सा ढूंढता है, मानो टूटे दिल का कोई टुकड़ा ढूंढता हो! अधूरी सी कहानी है टूटे दिल की गीली पलकों पर नमी आंसुओं की! रूह में घुलता खालीपन सा क्यूँ है हर दिल मे सूनापन सा क्यूँ है! प्यार मोहब्बत यहां दम तोड़ देते हैं इंसानी दिल टूट के बिखर जाते हैं! सोचा ना था जिंदगी में कभी ऐसे फंसाने होंगे टूटे दिल के टुकड़े भी समेटने होंगे !! भटकता है मन अजीब सुनसान राहों पर इधर-उधर, काश मिल जाए कोई दिल मुस्कराहट से तर-बतर!! परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी...
वेद और विज्ञान
कविता

वेद और विज्ञान

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** विज्ञान की जो खोज हमारे सामने आई है। वो पहले से ही हमारे वेदों में समाई है। ******* हम गलत पढ़ते हैं कि विमान राईट ब्रदर्स ने था बनाया । क्योंकि रामायण काल में हमने पुष्पक विमान को है पाया। ******** हमारे वेदों में सारा विज्ञान समाया है। वेदों का ही सारा ज्ञान विज्ञान में आया है। ******* अर्थवेद में चिकित्सा ज्ञान समाया है। सारे आयुर्वेद को हमने इसमें पाया है। ******** हमारे चारों वेदों में शिल्प, विज्ञान और इंजीनियरिंग समाई है यहां से जानकारी अन्य देशों ने चुराई है। ******** बीजगणित हो या अंकगणित वनस्पतिशस्त्र हो या जीवशास्त्र भौतिक या रसायन विज्ञान वेदों में समाया है सारा ज्ञान। ******** परिचय : डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी घोषणा : मैं यह शपथ ...
शोर
कविता

शोर

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** चिड़िया अपने घोसलों के लिए तिनके बीन कर लाई उसे फिक्र है अपने अंडों से निकले बच्चों के लिए सुरक्षित आवास देने की। उसने उड़ कर देख ली हैवानियत की दुनिया जहां मासूमियत को रौंदा जाता जिसकी रुदन की चीखों से चिड़िया के बच्चें डर गए पूछते माँ क्या इंसान इतना हैवान होगया। हमारे घोंसले में एक फाटक लगा देना हमसे मासूमियत की चीखें नहीं सुननी हैवानियत की गुहार कैसे करे जब हम उड़ने लगेंगे तब हम सब पक्षी शोर मचाएंगे जिससे लोगो का ध्यान हमारे शोर पर जाएगा लोगों को इस शोर से जागेंगे भले ही इंसान कानो में रुई ठोस के पड़े हो उसे जगना ही पड़ेगा क्योंकि हर घर मे चिड़िया सी बेटियां है। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध...
बहुत खुश है हम
कविता

बहुत खुश है हम

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** पास आकर बैठो तो बताएंगे अपना गम दूर से पूछोगे तो कहेंगे बहुत खुश है हम..!! चार पैसे कमाने गांव से शहर आ गए, अपने ही घर से मानो बेघर हो गए हम..!! घर की तलाश में घर छोड़ आए है हम, गांव गली घर से रिश्ता तोड़ आए हम..!! लोगों की नजरों में अब अनजान बन गए अपने ही घर में हम मेहमान बन गए..!! चार पैसे कमाने दर-दर भटकते रहे हम कभी ख़ुशी कभी गम का घूंट पीते रहे हम..!! शहरों तक नहीं आती  मिट्टी की खुशबू, गाँव की मिट्टी से बहुत दूर आ गए हम..!! न गाँव के रहे अब ना शहर के रहे हम अपने बिना शहरों में भटकते रह गए हम..!! होंठों पे मुस्कान पर अब आँखे है क्यों नम पास आकर बैठो तो बताएंगे अपना गम..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे ...
धुआँ-धुआँ-सी नारी ज़िन्दगी
कविता

धुआँ-धुआँ-सी नारी ज़िन्दगी

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** सिहर उठता हूं नारी-उत्पीड़न देखकर। दहल उठता हूं नारी प्रति शोषण देखकर।। कहीं दहेज है/कहीं घरेलू हिंसा है कहीं बलात्कार है, धुँआ-धुँआ-सी नारी ज़िन्दगी। कहीं जघन्यता के समाचार हैं कहीं छेड़खानी से भरे अख़बार हैं सिहर उठता हूं निर्भया के दर्द को लेखकर। सिहर उठता हूं नारी-दुर्दशा को देखकर।। कैसा आलम है, कैसा मौसम है चारों ओर है बस दरिंदगी। धुआँ-धुआँ-सी नारी ज़िन्दगी।। कोलकाता अस्पताल की भयावहता हृदयविदारक हालात चीखती-चिल्लाती एक नारी तंत्र के मुँह पर तमाचा व्यवस्था की हक़ीक़त का ख़ुलासा भारी शोरशराबा, आंदोलन हाथ की आई शून्य धुआँ धुआँ-सी नारी ज़िन्दगी। कहते हैं देवी, पर वह पीड़ित है। पूजते हैं हम, पर वह शोषित है।। उसकी काया बनी भोग का सामान है। गिरता जा रहा है, सम्मान है।। बढ़ती जा रही है देखो ज़...
शहीद दिवस पर नमन
गीत

शहीद दिवस पर नमन

राधेश्याम गोयल "श्याम" कोदरिया महू (म.प्र.) ******************** मुक्तक: असर खुशबू का जेहनों से उड़ाया जा नही सकता, शहीदों की शहादत को भुलाया जा नही सकता। वतन के वास्ते जो मर मिटे है, हक की राहों में, कभी उपकार को उनके भुलाया जा नही सकता। गीत: कोटि नमन माताओं को थे, जिनके तीनो लाल, कर गए कैसे-कैसे कमाल। हंसते-हंसते फांसी चढ़ गए, किया न तनिक मलाल, बन गए अंग्रेजो के काल। भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, जिनके थे प्रेरक अर्जन देव। मन में था, राष्ट्र प्रेम सदैव, जिनको था, प्यारा सत्य मेव। वंदे मातरम बोल वतन पे तीनो हुए निहाल..... कर गए कैसे-कैसे कमाल जिन्हे था चढ़ा बसंती रंग, स्वराज की पी गए ऐसी भंग। नशे में हो गए मस्त मलंग, ठानली अंग्रेजो से जंग। सांडर्स को बे मौत जा मारा, बदला लिया निकाल... कर गए कैसे-कैसे कमाल हुकूमत बरतानिया घबराई, सांडर्स की मौत से थी खि...
हवाओं का हेंगा चला
कविता

हवाओं का हेंगा चला

बृजेश आनन्द राय जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** हवाओं का हेंगा चला चैत के मौसम में! फसलों को नींद आई चैत के मौसम में!! कुम्हलाए हुए मन को अब कौन जगाए? सोती हुई फसलों को- कैसे कर उठाए! खेती के भाग सोए बासन्ती-समागम में!! चला गया वात-चक्र पवन अब भी शीतल है! रह-रहके प्रात:-रात गिरता किया नभ-जल है! सोने जैसे गेहूँ का - रूप सना पंकम में! नीले-नीले मौसम में पहाड़ों की याद आई दिन-भर घिरे बादल में शिलांग जैसी छवि छाई पर कृषकों के नींद उड़ी मैदानी मौसम में! कुमायूँ की सड़कों पे बुल्ले उछल रहें चट्टानों से तेज-धार झरने निकल रहें हरा-स्वप्न डूब गया नदियों के झमझम में! हवाओं का हेंगा चला चैत के मौसम में! फसलों को नींद आई चैत के मौसम में!! परिचय :-  बृजेश आनन्द राय निवासी : जौनपुर (उत्तर प्रदेश) सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंद...
नारिया
कविता

नारिया

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सतयुग, द्वापर, त्रेता या कलियुग नारी सदैव डटी रही अपनै धैर्य पर अहिल्या, अनुसुइया, अरुन्धती ने अपने तप से इतिहास रचा कौशल्या, कुन्ती, सीता सह्कारिक पुत्र संग महाभारत, रामायण रचा। लक्ष्मी, पार्वती, सीता चन्डी बन रण मे उतरी मीरा, मुक्ता बनी भक्ति की पराकाष्ठा सन्त सखु, गौरा ने गाई जीवन की कटु सत्य गाथा। दुर्गा, झांसी की रानी की तलवारे कहती आज उनकी कहानी पद्मिनी का जौहर क्यो भूलें मां होकर भी कठोर बनी जीजाबाई, पन्ना धाई अहिल्याबाई। और आज की नारी भी कहती है मै अबला नही सबला हूँ उची उड़ान भर हिमालय, अन्तरिक्ष मे पंहुच गई पंहुच गई समर रण मे शान्ति दूत बनी देश, विदेशों में रहकर भारत का तिरंगा लहराती। मां सरस्वती का वरदान इनको चित्रांकन, लेखन पर लेखनी चलती। दया, दान, उदारता, समर्पण का संकल्प लेकर ...
एक वक्त के बाद
कविता

एक वक्त के बाद

शशि चन्दन "निर्झर" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** किस्से-कहानी बदल जातें हैं एक वक्त के बाद। नन्हें-नन्हें पौधे वृक्ष हो जातें हैं एक वक्त के बाद। तमाम अरमान गुजरते तो हैं आंखों की गलियों से.. फिर मोती से कौरों पे ठहर जाते हैं, एक वक्त के बाद।। सुनो नया-नया सा एहसास पाकर, गैर भी क़रीब आ जाते, तासीर मुताबिक़ अपने पराए हो जाते हैं एक वक्त के बाद।। रहमत खुदा की, अमानत अपने वतन की सहेजे तो सही... पर जानें कैसे अहम के डंके बजने लगते, एक वक्त के बाद।। पंक में खिलते पंकजराज, रंग बिरंगे हाथों में जचती हिना लाल, कि राजा रंक फकीर सबकी, होती एक ही गति, एक वक्त बाद।। सुन "शशि" धरती अम्बर नाप ले जितना नाप सके, कि ये माटी की काया माटी हो जाती एक वक्त के बाद।। परिचय :- इंदौर (मध्य प्रदेश) की निवासी अपने शब्दों की निर्झर बरखा करने वाली शशि ...
अमृत बरसाओ त्रिभुवन
स्तुति

अमृत बरसाओ त्रिभुवन

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बीत गई है अब सहर आ गया अंतिम प्रहर मचा है चहुँ ओर कहर नीलकंठ पधारो अब करो पान प्रभु ये ज़हर आतंक की फैली लहर धरा भी गई अब दहल ये पसर रहा है खलल अखिलेश्वर पधारो अब शांति की करो पहल बुद्धिप्रदाता तेरे गणपति रिद्धि सिद्धि हो प्राप्ति शुभ लाभ वैभव सम्पति देवाधिदेव पधारो अब हर क्षेत्र में हो क्षतिपूर्ति सरहदों पे मच रहा शोर दुश्मनों का बढ़ रहा जोर टूट गई रिश्तों की डोर हे परमेश्वर पधारो अब लाओ इक नई भोर पर्वतों के ध्वस्त आवरण नदी ताल झेले प्रदूषण त्रस्त हरीतिमा पर्यावरण शिव शंम्भू पधारो अब अमृत बरसाओ त्रिभुवन परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी ...
मृत्यु शय्या
कविता

मृत्यु शय्या

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** जन्म और मृत्यु शाश्वत सत्य है। नहीं कोई इसका विकल्प है। ******* एक दिन सभी को मृत्यु शय्या पर सोना है। चाहे आप हो या डॉक्टर सभी का यह हाल होना है। ******** जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निशचित होगी। किसी की आज तो किसकी कल होगी। ******* मृत्यु से आज तक कोई जीत नहीं पाया है। जिसने भी लिया है जन्म अवश्य मृत्यु को पाया है। ******* मृत्यु शय्या पर पहुंचने से पहिले जिंदगी जीना सीख लीजिए। कुछ अच्छे कर्म करें कभी किसी को कष्ट न दीजिए। ****** जब आपने अच्छे कर्म किये होंगे तभी यह बात होवेगी। जन्म लेने पर आप रोये थे। मृत्यु होने पर दुनियां आपके लिये रोयेगी। ******* मृत्यु शय्या हमारी अंतिम शय्या है। जिस से हम उठ नहीं पाते है। मिट्टी से जन्म लिया है और मिट्टी में ही मिल जाते है।...
हो जाओ तैयार साथियों
कविता

हो जाओ तैयार साथियों

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हो जाओ तैयार साथियों अब परीक्षा की बारी है लक्ष्य भेद कर दिखलाओ कौन किस पर भारी है !! मुश्किलों से लड़कर तुम्हें लक्ष्य मार्ग पर बढ़ना है छोड़ आलस का दामन रगो में साहस भरना है !! कर्म से किस्मत लिखने की अब तुम्हारी बारी है हो जाओ तैयार साथियों अब परीक्षा की बारी है !! सफलता नहीं मिल जो किस्मत पर भरोसा करते है मंजिल उन्हें मिलती जो दिन-रात मेहनत करते है !! मेहनत करने वालों पर ही सफलता बलिहारी है हो जाओ तैयार साथियों अब परीक्षा की बारी है !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष...
बिकती सच्चाई
गीत

बिकती सच्चाई

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** कलियुग में बिकती सच्चाई, झूठ कपट भी भारी है। तृष्णा के गहरे सागर में, जाने की तैयारी है।। खेले खेल सियासत भी अब, कालेधन की है माया। खींचें टाँग एक दूजे की, सत्ता लोलुप है काया।। बस विपक्ष की पोल खोलना, नई नीति सरकारी है। दौड़ सीट हथियाने की है, देते पद की सौगातें। भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा भी, राम राज्य की हैं बातें। रंग बदलते गिरगिट जैसा, नेता खद्दरधारी है। गागर रीती है खुशियों की, भीगी अँखियाँ रमिया की। तोता मैना करते क्रंदन, रहती चिंता बगिया की।। करें देश को नित्य खोखला, जनता भी दुखियारी है। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट...
विष्णु, शंकर सनातन में
स्तुति

विष्णु, शंकर सनातन में

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** ऋग्वेद के अथर्वशीर्ष ने, पद्म पुराण, वाल्मीकि रामायण में आदित्यहृदयस्तोत्र ने सूर्य को विष्णु माना विष्णु का अर्थ ‘सर्वव्यापी‘ सूर्य है सर्वव्यापी ऊर्जा संपूर्ण ब्रह्मांड की रवि रश्मि है दात्री उससे प्रस्फुटित होती प्रकृति प्राणवायु की दाता प्रकृति। प्रकृति के मूल में सूर्य रूप में विष्णु विराजे कण-कण पर रवि की माया सहस्त्रनाम विष्णु ने पाया स्वयंभू विष्णु देते सबको आकार लेते स्वयं मनुज रूप में अवतार करने पृथ्वी और सज्जन का उद्धार।। शंकर शमन के कारक मूल स्थान उनका पर्वत, हिम का अंचल है सुखदायक जल का स्रोत, वहीं से गंगा शीतलता औ शांतिप्रदायक हिमगिरि कोशंकर माना गिरि और जल है कल्याणक इसीलिये शंकर को शिव माना सूर्य देव को विष्णु जाना।। एक‌ परमशक्ति का यही वितान ताप व शीतलता के‌ घट विष्णु और शंकर...