चलो आज हम अक्षय तृतीया मनाते है
रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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चलो आज हम अक्षय तृतीया मनाते है
गुड्डे और गुड़िया की शादी रचाते हैं
तुम रानी दीदी बन जाना घराती
और राजा भैया बनेंगे बराती
ऐसे ही संग संग नाचते और गाते हैं
गुड्डे और गुड़िया की शादी रचाते हैं
लाल लाल चुनरी में गुड़िया है सजती
पीली पीली पगड़ी गुड्डे को है जंचती
मोतियों वाला चलो हार पहनाते हैं
गुड्डे और गुड़िया की शादी रचाते है
मंडप को मैंने तोरण से सजाया
साथ साथ थोड़ा झालर भी लगाया
नाच गाने के लिए डीजे लगवाते है
गुड्डे और गुड़िया की शादी रचाते है
देखो देखो जाकर बारात है आई
बैंड बाजे के संग बजी है शहनाई
द्वारचार के लिये चौक बनाते हैं
गुड्डे और गुड़िया की शादी रचाते हैं
गाजर का हलुवा और बाम्बे मिठाई
कही पर है गुपचुप, कही रसमलाई
दोस्तों के संग चलो पार्टी मनाते हैं
गुड्डे और गुड़िया की शादी रचाते हैं
मंडप में बैठी है गुमसुम स...