मेरी दुनिया हो तुम
श्वेतल नितिन बेथारिया
अमरावती (महाराष्ट्र)
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तुम्हारे हर एक दर्द की दवा हो गई हूँ मैं
तुम्हारे लिए फूल, शोला, शबनम हो गई हूँ मैं
हर पल हूँ तुम्हारी ही हमसाया बनकर के मैं
अलग होने की सोचते ही तनहा हो गई हूँ मैं!
तुम बिन कैसे पल पल गुजरते हैं मुझसे पूछो
तुमने भर लिया बाहों में कि पूरी हो गई हूँ मैं!
तुम मेरी दुनिया मेरे संसार हो मेरे सनम
एक तुम्हारी मोहब्बत में फना हो गई हूँ मैं!
बुरे दौर में भी साथ निभाया मेरा मेरे हमदम
तुम में खोई हूँ इतना खुद से रुसवा हो गई हूँ मैं!
परिचय - श्वेतल नितिन बेथारिया
निवासी - अमरावती (महाराष्ट्र)
घोषणा पत्र - मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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