कंचन मृग छलता है
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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कंचन मृग छलता है अब भी,
जीवन है संग्राम।
उथल-पुथल आती जीवन में,
डसती काली रात।
जाल फेंकते नित्य शिकारी,
देते अपनी घात।।
चहक रहे बेताल असुर सब,
संकट आठों याम।
बजता डंका स्वार्थ निरंतर,
महँगा है हर माल।
असली बन नकली है बिकता,
होता निष्ठुर काल।।
पीर हृदय की बढ़ती जाती,
तन होता नीलाम।
आदमीयत की लाश ढो रहे,
अपने काँधे लाद।
झूठ बिके बाजारों में अब,
छल दम्भी आबाद।।
खाल ओढ़ते बेशर्मी की,
विद्रोही बदनाम।
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सत...