हे! भोलेभंडारी
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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हे त्रिपुरारी, औघड़दानी, सदा आपकी जय हो।
करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।।
देव आप, भोले भंडारी, हो सचमुच वरदानी
भक्त आपके असुर और सुर, हैं सँग मातु भवानी
देव करूँ मैं यही कामना ,मम् जीवन में लय हो।
करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।।
लिपटे गले भुजंग अनेकों, माथ मातु गंगा है
जिसने भी पूजा हे! स्वामी, उसका मन चंगा है
हर्ष,खुशी से शोभित मेरी, अब तो सारी वय हो।
करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।।
सारे जग के आप नियंता, नंदी नियमित ध्याता,
जो भी पूजन करे आपका, वह नव जीवन पाता
पार्वती के नाथ, परम शिव, मेरे आप हृदय हो।
करो कृपा, करता हूँ वंदन, यश मेरा अक्षय हो।।
कार्तिकेय,गणपति की रचना, दिया जगत को जीवन
तीननेत्र, कैलाश निवासी, करते सबको पावन
जीवन हो उपवन-सा मेरा, अंतस तो ...






