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चौसर की यह चाल नहीं

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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चौसर की यह चाल नहीं है,
नहीं रकम के दाँव।
अपनापन है घर-आँगन में,
लगे मनोहर गाँव।।

खेलें बच्चे गिल्ली डंडे,
चलती रहे गुलेल।
भेदभाव का नहीं प्रदूषण,
चले मेल की रेल।।
मित्र सुदामा जैसे मिलते,
हो यदि उत्तम ठाँव।

जीवित हैं संस्कार अभी तक,
रिश्तों का है मान।
वृद्धाश्रम का नाम नहीं है
यही निराली शान।।
मानवता से हृदय भरा है,
नहीं लोभ की काँव।

घर-घर बिजली पानी देखो,
हरिक दिवस त्योहार।
कूके कोयल अमराई में,
बजता प्रेम सितार।।
कर्मों की गीता हैं पढ़ते,
गहे सत्य की छाँव।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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