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मानव धर्म

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रचयिता : रीतु देवी

देखते-देखते बाढ का पानी पूरे गाँव में प्रवेश कर गया है। कयी घरें भी डूब गये हैं। सुगिया का घर भी डूब गया है। सुगिया रमा के घर में काम करती है। बदहवास होकर सुगिया रमा के घर आती है।
“मालकिन! हमलोग कैसे रहेंगे? हमलोग प्रकृति की इस लीला के प्रकोप से बचने के लिए कहाँ जाए? सुगिया रमा से बोली।
“तुम मेरे यहाँ आ जाओ। ईश्वर सब ठीक कर देंगे। रमा सुगिया को सांत्वना देते हुए बोली।
नहीं! चमार, डोम जाति सब इस घर में नहीं रहेंगे। हमारा ब्राह्मण धर्म नष्ट हो जाएगा।” रमा का पति रवि ने मना किया।
फिर भी रमा सुगिया को बच्चों सहित घर में शरण देती है।
“मैं मानव धर्म का पालन करूँगी। इस विपत्ति की घड़ी में सुगिया के साथ रहूँगी। आप भी अपना सोच बदले। “रमा बोली।
रवि नाराज होकर वहाँ से चला जाता है।

लेखीका परिचय :-  नाम – रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार


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