
निर्मल साहित्य एक पहल संस्था के तत्वाधान में १६.०४.२०२१ बुधवार को द्वितीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से किया गया आ.ऋचा मिश्रा रोली जी के संचालन में अनेकों कवि/ कवयित्रियो के काव्य पाठ के साथ संपन्न हुआ। संस्था के संस्थापक आदरणीय निर्मलजी ने सभी कवियों /कवयित्रियों का स्वागत अभिनंदन किया।
नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हुई आदरणीया वंदना खरे जी के द्वारा मां शारदे का आवाहन किया गया और इसके पश्चात आ.अशोक राय वत्स जी ने अपनी पंक्तियां पढ़ी “जब राणा की शमशीरों से समरांगण का रंग लाल हुआ, तब लगा स्वयं रणचंडी ही शत्रु खून पीने निकली, आ.प्रेम करेला जी ने अपनी ओजस्वी वाणी में पढ़ा “अधरों पे वंदे मातरम वंदे मातरम का गुणगान होना चाहिए, सब कुछ बाद में सबसे पहले दिल में हिंदुस्तान होना चाहिए”, आ.वंदना खरे जी ने अपनी पंक्तियां पढ़ी “चिडियों को उड़ने दो, चहकने दो चिडियों को, अभी तो घोसले से निकली हूँ, अभी तो थोड़ा उड़ने दो…..।,
दोहा सम्राट आ. शिवेंद्र मिश्र शिव जी ने जीवन पर आधारित दोहे पढ़ कर पटल पर एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया= “स्वप्न सुनहरे खो गए, विषम समय की चाल।
उथल-पुथल है जिन्दगी, अंतस में भूचाल।।, आ.श्रेयांश हिन्दुस्तानी जी ने देशभक्ति पर जलवा बिखेरते हुए पढ़ा
गमों के साथ उम्र भर निबाह करते रहे, एक अर्से से खुशियों की चाह करते रहे, अंशुल दीवान जी ने पढ़ा ये खुदा ना तेरी शक्ल मांगते है न अक्ल मांगते है। आ.मयंक मृदुल जी ने एक अनोखा शमा बांध कर पटल को आनंदित कर दिया। आ. संदीप तिवारी जी ने बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का समापन बहुत ही आकर्षक तरीके से संपन्न हुआ। १६/०६/२०२१ को रात ९:०० बजे सभी कवि/कवयित्रियों को सम्मान पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। आ.निर्मल जी के द्वारा सभी के उज्जवल भविष्य की कामना की गई। व्यवस्थापिका आ.रिचा मिश्रा रोली जी ने बताया कि हम संस्था के प्रति ऐसे ही लगन और निष्ठा के साथ कार्य करते रहेंगे और हमारा विश्वास आप सभी का सहयोग ऐसे ही मिलता रहेगा।
परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।





