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जीवन को फूलों सा महकाना है….

निधि गुप्ता (निधि भारतीय)
बुलन्दशहर (उत्तरप्रदेश)
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(यह मेरी प्रथम कविता है, जीवन के चालीस बसन्त पार कर लेने के पश्चात्, ससुराल में सभी का प्रेम, अपनापन, सम्मान, प्रशंसा पाने की आस में अपना सर्वस्व लुटाती महिला को जब यह महसूस होता है कि उसका भी तो अपना जीवन है, उसकी अपने प्रति भी कोई जिम्मेदारी है, तो वह कैसा अनुभव करती है? उन्हीं पलों को अभिव्यक्त करती है यह कविता…)

यह मेरा जीवन है,
मुझे इसको पार लगाना है,
अपने जीवन को
फूलों सा महकाना है…
उम्मीद से ज्यादा,
उम्मीद करते हैं मुझसे,
मुझे इससे ना मुरझाना है,
अपने जीवन को
फूलों सा महकाना है…

मायके के सब रिश्ते छूटे,
दूजे के घर आने से,
पीड़ा इसकी कोई ना समझे,
किसी के समझाने से,
इन रिश्तों से भी मुझको,
कोई उम्मीद ना लगाना है,
अपने जीवन को
फूलों सा महकाना है…

ससुराल के सारे
रिश्ते-नाते झूठे हैं,
कितना भी मना लो,
पर ये रूठे रूठे हैं,
इन्हें मनाने में अपना,
समय नहीं गंवाना है,
अपने जीवन को
फूलों सा महकाना है…

दोहरा जीवन जीते हैं लोग,
दोहरी मानसिकता रखते हैं,
अपना खून कुछ भी करे,
दूसरे की बेटी को परखते हैं,
परख-परख में खरा उतर कर ,
धरती में ना समाना है,
अपने जीवन को
फूलों सा महकाना है…

क्यों भागूं उनके पीछे,
जो मेरी कद्र नहीं करते,
क्यों ना हँसू मैं उनके साथ,
जो मेरे साथ खड़े रहते,
औरत होने की समाज में,
और कितनी सज़ा पाना है,
अपने जीवन को
फूलों सा महकाना है़…

ईश्वर ने अमूल्य जीवन दिया,
क्या यों ही व्यर्थ गंवाने को?
मुझे तो लगता है मैं माध्यम हूँ,
कोई परिवर्तन लाने को,
अपना मनोबल मुझे,
अब स्वयं ही बढ़ाना है,
अपने जीवन को
फूलों सा महकाना है़…

क्यों डरूं किसी से,
जब ईश्वर मेरे साथ है,
क्यों सोचूं गलत,
जब ईश्वर थामे मेरा हाथ है,
प्रभु जैसी प्रेरणा देंगे,
मुझको वैसा करते जाना है,
अपने जीवन को
फूलों सा महकाना है़…

परिचय : निधि गुप्ता (निधि भारतीय)
निवासी : बुलन्दशहर, उत्तरप्रदेश
शिक्षा : बी.एससी. (गोल्ड मेडलिस्ट), एम.सी.ए., यूजीसी नेट, स्लेट
आपके बारे में : रचनाकार निधि गुप्ता आई.पी. कालेज, बुलन्दशहर में कम्प्यूटर साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं, हिंदी भाषा में विशेष रूचि रखने के कारण शौक से लेखन में सक्रिय हैं और निधि भारतीय के नाम से लिखती हैं। आपकी रचनाएं आपके द्वारा ‌बनाये गये यू-ट्यूब चैनल (संवेदनाएं निधि भारतीय) पर प्रकाशित होती हैं।
आप हिंदी भाषा को अपनी आत्मा की भाषा मानती हैं जो संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने हेतु सर्वोत्तम भाषा ‌है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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