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राज हंसिनी

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ‘राज’
बागबाहरा (छत्तीसगढ़)

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सोनू! कभी आओ फुर्सत में मेरे पास
मिल बैठें एक जान हम तुम
कुछ तुम अपनी कहो
कुछ मैं अपनी कहता हूं
सुख-दुःख को साझा करते हैं
मेरी खुशी तुझमें रहती है
मेरे सारे गम मेरे अंदर कैद है
मेरी चिन्ता तेरे अंदर सुलगती है
तेरे बिन मैं मेरे बिना तुम
जी ना पाएंगे हम तुम
दो काया माया एक हैं हम
दिल की धड़कन हैं एक दूजे के
सांसों से जब सांस मिले
नई साँसे उत्तपन्न होती है
तुझे चोट लगती है तो दर्द मुझे होता है
तेरे दर्द का सिलसिला
मेरे दिल से ही गुजरता है
सारा का सारा अस्तित्व मेरा
आहत हो कराहता रहता है
ये एहसासों का एहसास
हम दोनों से जुड़कर प्यार का
अहसास जगाता रहता है
एक दूजे के बिन एक पल ना गुजरता है
ना मैं तन्हा रह सकता हूँ
ना ही तन्हा तुम एक पल गुजार सकती हो
मिलकर कर जिंदगी चल सकती है
जिस्म नही दिल हमारा अस्तित्व है
ना कोई हिस्सा है ना ही कोई किस्सा
ये जहां हमारे प्यार के गीत गायेगी
सोनू! तेरा दिल
जब तक मेरे जिस्म में धडकता रहेगा
मुझमें तू धड़कती रहेगी
एक दूजे का अस्तित्व कायम रहेगा
ओ मेरी हंसिनी जब तलक
बनकर राज की हंसिनी
जिंदगी के तमस को दूर करेंगे
जग में उजियारा फैलाएंगे…………..!

परिचय :-  राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ‘राज’
निवासी : बागबाहरा (छत्तीसगढ़)
सम्प्रति : प्राचार्य सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बागबाहरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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