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सम्मान

सीमा तिवारी
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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रामकिशन जी बहुत सीधे सरल और सज्जन व्यक्ति थे। वो कुछ ही समय पहले नौकरी से रिटायर हुए थे। दिनचर्या में परिवर्तन होने से उनको उतनी तकलीफ़ नहीं हो रही थी जितनी कि अपनों के परिवर्तित व्यवहारों से। प्रत्यक्ष रूप से तो सब ठीक ही दिखाई देता था परन्तु बातों में छुपे कटाक्ष उनके मन को भीतर तक आहत कर देते थे। इस कारण उनकी सेहत भी कमजोर हो रही थी। दोस्तों और परीचितों से सम्पर्क करके खुश रहने के प्रयासों में कोई विशेष सफलता नहीं मिल रही थी। वो मन ही मन सोचते रहते थे कि नौकरी अकेले नहीं जाती वरन् अपने साथ सुख शांति खुशी और सम्मान भी ले जाती है। ये कष्ट उन्हें तोड़ कर बिखेर दे इससे पहले उन्होंने स्वयं ही वृद्धाश्रम जाकर रहने और वहाँ से कुछ रचनात्मक करने का फैसला किया। इसी फैसले के अन्तर्गत उन्होंने अपनी जमीन जो कि गाँव में थी उसे बेचने का फैसला किया। वो जब अपने गाँव पहुँचे और गाँव के सरपंच जो कि उनके मित्र भी थे उनसे जमीन के सौदे की बात की तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि वो जमीन इस तरह सोना उगलने वाली हो गई है। रामकिशन जी ने जमीन बेच दी। उनके वापस लौटने के पहले ही ये खबर आ गई थी कि अब वो करोड़पति हो गए थे। अचानक उनके चारों ओर परिवर्तन आ गया था। अपने, पराए, मित्र और परीचित सभी के बदले सुखद स्वरूप को देखकर रामकिशन जी मुस्कुरा कर स्वयं से ही कह उठे। न जाने मेरे अंदर का कौनसा मानवीय गुण अब परिलक्षित होने लगा है जिसके कारण मेरा सम्मान अब इतना बढ़ गया है।

परिचय :- सीमा तिवारी
शिक्षा : एम एस सी (गणित) और बी एड
निवास : इन्दौर (मध्यप्रदेश)
कृति : संवेदनाएँ (कहानी संग्रह)
प्रमाणीकरण : मेरी यह रचना स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है।


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