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देखते ही देखते

मंजू लोढ़ा
परेल मुंबई (महाराष्ट्र)

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देखते ही देखते
वर्ष २०२० बीत गया
और २०२१ में
हम प्रवेश कर गए।

युं तो कई साल आते हैं,
गुजर जाते है
कुछ यादों में मीठी सी
कसक बन बस जाते है
कुछ खट्टी इमली का
स्वाद छोड़ जाते हैं।

पर २०२० एक अलग
अनुभव लेकर आया।
विश्व कोरोना से संक्रमित हुआ।

दुनिया सिमट गयी,
लोग घरों में कैद हो गये,
हवाएं भी जहरीली हो गयी,
सब कुछ जैसे थम गया,
मशीनी जिंदगी में
ठहराव आ गया।

पर यह कोरोना जीवन को
एक नया संदेश दे गया,
आपसी रिश्तों को महका गया,
बिखरे परिवार में
नये रंग भर गया।
रिश्तो को एक नई आभा,
नया रंग दे गया।

आवश्यकताओं को
सीमित कर गया,
जीवन को एक नये
मायने दे गया।

एक ही धरातल पर
सबको खड़ा कर गया।
ईश्वर में भक्ति जगा गया,
जरूरतमंदो की
सहायता करना सीखा गया।

कुदरत हमको बहुत
बड़ी सीख दे गई।
प्रकृति से मत उलझो,
पर्यावरण को मत नष्ट करो,
ईश्वर की बनाई दुनिया से
मत खिलवाड करो।

हे प्रभु अब सब समझ गये है
प्रकृति से कोई
छेड़छाड़ नहीं करेंगे।

बस इतनी कृपा करना
२०२१ इस वर्ष के साथ
इस महामारी को लुप्त कर देना।

फिर एक बार इस संसार को
खिलखिलाहट दे देना,
वही चहल पहल
और निश्चिंतता दे देना।

मनुष्य फिर कोई भूल न करना,
जिसका कोई सुधार न हो
जीना सीख लेना,
बिना औरों को कष्ट दिये
जीओ और जीने दो इसे
जीवन का मुलमंत्र बना लेना।

नया वर्ष ले आयेगा
नई उम्मीदें, नयी आशाएं
आओ मिलकर
सबकी खुशहाली का गीत गाये।

परिचय :- मंजू लोढ़ा
निवासी : परेल मुंबई (महाराष्ट्र)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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