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जिंदगी एक सफर

अजयपाल सिंह नेगी
थलीसैंण, पौड़ी (गढ़वाल)

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जिंदगी एक सफर है जिंदा रहने का,
जिंदगी में जिंदा रहना ही जिंदगी है,
आज इंसानियत में इंसानियत को लुटा बैठा है,

मानो जिंदगी से जिंदगी को लुभा बैठा हैं,
और बहते हुए पानी में हिरे को डूबा बैठा हैं,
कहते हैं जिंदगी में जिंदगी गवां बैठा है,

जिंदगी में जिंदगी के बहते हुए पानी को देखो,
जिंदगी में जिंदा रहने के बहाने न देखो,
खुश नसीब है वह जिंदगीयों के मालिख,
जो जिंदगी से जिंदगी को लगा बैठा है,

जो राष्ट्रीय सम्मान पर लिपट आए
तो कह देना जिंदगी में जिंदगी गवां बैठा है,
वतन पर वतन की इंसा को डूबा बैठा है
और प्यार व त्याग से दूसरों को रुला बैठा हैं
ये पल भी ऐसा है मानो
सुबह कुछ पाया और रात में गंवाया

परिचय :- अजयपाल सिंह नेगी
निवासी : थलीसैंण पौड़ी गढ़वाल
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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