हिंदुस्तान हमारा
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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गंगा-यमुना-सी नदियों की, बहे जहाँ शुचि धारा।
वन, उपवन, हिमगिरि से शोभित, हिन्दुस्तान हमारा।।
होली-दीवाली मनती है, जहाँ खुशी के मेले।
जहाँ तीज-त्यौहार सभी ही, सचमुच हैं अलबेले।
ईदों में हिन्दू शामिल हैं, मुस्लिम नवरातों में।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई मिलकर उल्लासों में।।
रातें उजली होतीं जहँ पर, दूर भगे अँधियारा।
वन, उपवन, हिमगिरि से शोभित, हिन्दुस्तान हमारा।।
ताजमहल में भाव भरे हैं, मीनारों में गुरुता।
धर्म सिखाता है हम सबको, विनत भाव अरु लघुता।
गीता की वाणी में देखो, भरी अनोखी क्षमता।
संत-महत्मा सिखलाते हैं, पाना कैसे प्रभुता।।
सूरज वंदन करे हमारा, देता नित उजियारा।
वन, उपवन, हिमगिरि से शोभित, हिन्दुस्तान हमारा।।
गीत सुहाने गायक गाते, खुशबू रोज़ बिखरती।
सुनकर भजनों,आज़ानों को, बस्ती रोज़ निखरती।
ख...