रफ्तार
राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
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हां थे बहुत लोग
उसके बनकर
या कहें सब थे गिरफ्तार,
रफ्तार का था शौकीन
नाम था रफ्तार,
जिस अंदाज में आता था,
उसी अंदाज में जाता था,
कुछ लोग उन्हें देखकर
ताली बजाते थे,
कुछ लोग उन्हें देखकर
गाली सुनाते थे,
उनका अलग ही धुन था,
जल्दबाजी उनका
अपना गुन था,
उसी रफ्तार ने उसे
बुला लिया,
मौत ने एक दिन
नींद भर सुला दिया,
जिस रफ्तार से आया था,
उसी रफ्तार से चला गया,
एक जिंदगी तेजी
के द्वारा छला गया,
वो नादान था,
दुनियादारी से
अनजान था,
तभी तो उनका
जीवन जीने का
तरीका रहा धांसू,
ताउम्र रहेंगे परिजनों
की आंखों में आंसू।
परिचय :- राजेन्द्र लाहिरी
निवासी : पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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