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Tag: अशोक कुमार यादव

मैं तुमसे दूर
कविता

मैं तुमसे दूर

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर। मुझे याद करना, साथी जरूर।। जिंदगी तेरे नाम कर दी, जान भी-जान भी। दिल तेरे नाम कर दिया, मान भी-मान भी।। माना था सभी को अपना, चाहा था भरपूर। चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर। मुझे याद करना, साथी जरूर।। यादों की परछाईयाँ, धुँधली होने न पाई। तेरी बातें मुझे, पल-पल बहुत रूलाई।। जूदा होके अभी से, जा रहा हूँ सुदूर। चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर। मुझे याद करना, साथी जरूर।। खुश रहना सदा, हँसते-मुस्कुराते रहना। थाम आशाओं का दामन, समय के संग में बहना।। कड़ी मेहनत से मिलेगी, कामयाबी का सुरूर। चला जा रहा हूँ, मैं तुमसे दूर। मुझे याद करना, साथी जरूर।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित...
रंगों की होली
कविता

रंगों की होली

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी रचना) रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी। कपाट खोले रहिबे न, मारहूँ पिचकारी।। तोला बलाए बर, मैंय फाग गीत गाहूँ। झूम-झूम के नाचबो, नगाड़ा बजाहूँ।। तैंय पहिन के आबे ओ, लाली के साड़ी। रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी।। लगाहूँ तोर गाल म, मयारू खूब गुलाल। हिल-मिल के मनाबो, फागुन के तिहार।। मन ल मोर भा गे हच, बन जा सुवारी। रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी।। मोर मया के रंग, कभू छुटय नहीं गोरी। कतको धोले पानी म, खेल के होली।। गुलाबी देंह दिखे, परसा फूल चिन्हारी। रंग धरके आहूँ ओ, मैंय ह तोर दुवारी।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्...
मेरे राम आ गए
कविता

मेरे राम आ गए

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जय-जय श्री राम। परम सुख के धाम।। जन-जन के सहारा। विष्णु के अवतारा।। राम में ही शक्ति है। राम में ही भक्ति है।। राम ही तो दृष्टि है। राम ही तो सृष्टि है।। राम नाम जपता हूँ। राम-राम कहता हूँ।। राम चारों धाम है। राम ही सत्य नाम है।। राम ही केशव है। राम ही तो माधव है।। राम नाम सार है। राम से ही संसार है।। राम ही तो धर्म है। राम ही तो कर्म है।। राम ही सगुण है। राम ही तो निर्गुण है।। राम में आस्था है। राम से ही वास्ता है।। राम में आशा है। राम तृप्त बिपाशा है।। अयोध्या में धूम मची। गली फूलों से सजी।। घी के दीप जल उठे। नगर में पटाखे फूटे।। राम से ही प्रेम है। राम नाम में सप्रेम है।। मेरे प्रभु राम आ गए। राम राज्य आ गए।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष रा...
लक्ष्य की ओर
कविता

लक्ष्य की ओर

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** चलो नया साल में कुछ नया करेंगे। हार को फिर भव्य जीत में बदलेंगे।। अतीत की बीती बातें याद आयेंगी। कभी रुलायेंगी तो कभी हँसायेंगी।। क्या खोया है और क्या पाया हमने? खुद उन्नति की गणित लगाया हमने।। समय लाता परिवर्तन और स्थिरता। मानव मानसिक शक्ति में गंभीरता।। सब कुछ भूल कर नव शुरुआत होगी। एक बार फिर संघर्ष से मुलाकात होगी।। प्रयासों का बीज धरती पर बोते चलेंगे। तभी हमको कर्म का मीठा फल मिलेंगे।। उम्मीद की कलम से तकदीर लिखेंगे। जीवन की पुस्तिका में सात रंग भरेंगे।। बढ़ेंगे आगे सभी भर कर मन में जुनून। लक्ष्य को पाकर हमको मिलेगा सुकून।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग सम्मान : मुख्यमंत्री शिक...
शून्य से शिखर तक
दोहा

शून्य से शिखर तक

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** लक्ष्य को पाकर दिखाना है मुझको। जीत का परचम लहराना है मुझको।। इस दुनिया में कठिन कुछ भी नहीं, शून्य से शिखर तक जाना है मुझको।। यदि जीवन एक खेल है तो मैं खेलूँगा। चाहे लाख मुसीबतें आए मैं झेलूँगा।। प्रेरित होकर ध्यान लगाना है कर्म में, असंभव को संभव करके दिखाऊँगा।। रच सकता है तो रच मेरे लिए चक्रव्यूह। महारथियों के दल चाहे खड़े हो प्रत्यूह।। ज्ञान हासिल किया है मैंने माँ के गर्भ में, इस बार सातवें द्वार को भेदेगा अभिमन्यु।। रह-रह कर अभी जवानी ने ली अँगड़ाई। सुनहरे भविष्य के लिए लड़नी है लड़ाई।। अपने हाथों लिखना है मुझे नया इतिहास, यही सही समय है, शुरू करनी है पढ़ाई।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुय...
कुर्सी का खेल
कविता

कुर्सी का खेल

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जमीन पर बैठने वाले मानव, चटाई पर बैठने लगे हैं आज। छोटी सी तिपाई पर बैठने वाले, कुर्सी पर बैठे कर रहे हैं राज।। राजा जनता, प्रजा बन गयी, आज सेवक बन गया राजा। प्रजा तरस रही दाने-दाने को, राजा खा रहा पेट भर खाजा।। लोभ का लॉलीपॉप दिखाया है, स्वाद मीठा है या फिर नमकीन। सभी दौड़ रहे उनके पीछे-पीछे, कसमों, वादों पर करके यकीन।। देखते हैं नये सूरज की रोशनी, अंधेरा होगा या फैलेगा प्रकाश। वंचितों को मिलेगा उनका हक, जीत पाता है लोगों का विश्वास।। पहिए की कुर्सी घूमेगी किस ओर, कब तक सही पटरी पर चलेगी रेल। किसको मिलेगा कितना फायदा, कुर्सीधारी खेलेंगे कुर्सी का खेल।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग स...
भाई-बहन का स्नेह
कविता

भाई-बहन का स्नेह

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** आना मेरे घर में तुम भैया, आपको निमंत्रण देती हूँ। आकर प्रीति भोज खाना, पकवान बनाकर रखी हूँ।। जल्दी आना, देर मत करना, मैं राह तुम्हारे देखूँगी। मेरे भैया आ रहे हैं, अपनी सखी-सहेलियों से कहूँगी।। शुभ आसन पर बिठाकर, रोली से तिलक लगाऊँगी। बाँधकर हाथ में मौली, लंबी उम्र की कामना करूँगी।। मंगलमय होगा, सुख आएगा, सारी इच्छाएँ पूरी होगी। यमराज का भय नहीं रहेगा, जीवन में समृद्धि मिलेगी।। यह भाई-बहन का त्यौहार, स्नेह का बंधन है अटूट। आतिथ्य स्वीकार करो, भक्ति और आदर है अद्भुत।। उपवास रहूँगी सुबह से, तोडूँगी आप आओगे तभी। रक्षा करने दौड़े चले आना, दुःख में पुकारूँगी कभी।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग स...
दीपों का त्यौहार
कविता

दीपों का त्यौहार

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** दीपों का त्यौहार, जीवन का सिंगार, आयी दिवाली। गाँवों, नगरों के घरों में, चारों तरफ छाई है खुशहाली।। अत्याचारी रावण को मार कर, लौटे जब राजा राम। अयोध्या वासी प्रसन्न हुए, देख कर परम सुख धाम।। बुराई पर अच्छाई और अँधकार पर प्रकाश की जय। अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय।। घी के दीपक जल उठे, बजने लगे ढोल और नगाड़े। गूँजे जय श्री राम के नारे, फूटने लगे धड़ाधड़ पटाखे।। आसमान में लहराने लगे, ज्ञान, सेवा का भगवा ध्वज। भरत दौड़ रहे थे खुले पाँव, राजीव से मिलने को उद्यत।। माताएँ आँचल फैला रही, सिर में छाया करने उत्सुक। प्रजा आँखों में खुशी आँसू, ईश्वर को देख हुए भावुक।। सजादो पूरे भारत को, दशरथनंदन रामराज ला रहे हैं। झूमो रे! नाचो रे! गाओ रे! मेरे प्रभु श्रीराम आ रहे हैं।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : म...
करवा चौथ
कविता

करवा चौथ

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** मेरे साजन, मैं सुहागन, करवा चौथ व्रत रखी हूँ। माँगूँगी तेरे लिए लंबी उमर, भूखी,प्यासी बैठी हूँ।। सोलह सिंगार करके, सिंदूर तेरे नाम के भरके। तैयार हूँ सज-धज के, प्या र है जन्मोंजनम के।। सही-सलामत तुम रहो, इसलिए कष्ट सहती हूँ। मेरे साजन, मैं सुहागन, करवा चौथ व्रत रखी हूँ।। तुम ही मेरे अच्छे दोस्त हो, तुम मेरे भगवान हो। तुम ही तपस्या के फल हो, प्रभु के वरदान हो।। शिव-पार्वती, गणेश की, पूजा-अर्चना करती हूँ। मेरे साजन, मैं सुहागन, करवा चौथ व्रत रखी हूँ।। छुप गया चाँद बादलों में, अब कैसे दीदार करूँ। जीवन साथी पास खड़े, कुछ पल इंतजार करूँ।। जब उदय हुआ माँगी आशीष, सौभाग्यवती रहूँ। मेरे साजन, मैं सुहागन, करवा चौथ व्रत रखी हूँ।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल....
शरद पूर्णिमा की रात
कविता

शरद पूर्णिमा की रात

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** आसमान सजी है तारों की लड़ी से, रहस्यमय चन्द्रमा की सोलह कलाएँ। वृंदावन में कान्हा ने रासलीला रचाई, नाच रही गोपियाँ बनकर अप्सराएँ।। चाँदनी, मणि की आभा बिखेर रही, श्वेत हीरक धूमिल है इसके समक्ष। साधक, संयमी भाव से व्रत करता, स्वर्णिम सिन्धुजा प्रतिमा है प्रत्यक्ष।। कौमुदी किरणें अमृत की वर्षा करती, निशीथ में महालक्ष्मी विचरती संसार। कौन मनुष्य जाग रहा धरा पर अभी, वर, अभय और वैभव दूँगी उपहार।। मांगलिक कार्य, गीत गाते हुए मगन, खीर से भोग लगाता मुझे अद्वितीय। पूजा से खुश करने वाले सेवक को, लोक में समृद्धि, परलोक में सद्गति।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : शिक्षक एल. बी., जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई। प्रकाशित पुस्तक : युगानुयुग सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण '...
रघुराम कहाँ से लाऊँ
कविता

रघुराम कहाँ से लाऊँ

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** दुनिया में चारों तरफ रावण-ही-रावण है, मैं मर्यादा पुरुषोत्तम रघुराम कहाँ से लाऊँ। असत्य, अधर्म और पाप का बोलबाला है, सत्य, धर्म दृढ़ कर राम राज्य कैसे बनाऊँ।। बहन-बेटियों के चैन और सुकून को छीनने, दस सिर लिए कई रावण घूमते गली-गली। बहला-फुसलाकर, जोर-जबरदस्ती करते, गौरव नारी को हर कर मचाते हैं खलबली।। कौन कहता है लंका पति रावण मारा गया, वह तो लोगों के मन में अभी भी है जिंदा। बुरे विचारों को शातिर मस्तिष्क में पनपाते, कहीं बलात्कार और हत्या करते हैं दरिंदा।। यदि कोई मनुष्य फिर बन गया रावण कहीं, हर साल दशहरे के दिन आग से जलाएंगे। बुराई पर अच्छाई की जीत सदा होती रहेगी, कलियुगी रावण को, राम बन मार गिराएंगे।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्...
यदुवंशम : प्रभु श्रीकृष्ण
भजन

यदुवंशम : प्रभु श्रीकृष्ण

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** स्वर्ग से उतर आए भगवान विष्णु, माँ देवकी के गर्भ से लेने अवतार। युगपुरुष कृष्ण बनकर जन्म लिया, अत्याचारी कंस का करने संहार।। बालपन में राक्षसों का वध किया, वृंदावन में सखा संग गाय चराये। बजाकर मनमोहक सुरीली बाँसुरी, गोपियों को अपने संग में नचाये।। चौंसठ कलाओं के सर्वश्रेष्ठ ज्ञाता, द्वापरयुग के आदर्श देव दार्शनिक। निष्काम कर्मयोगी और स्थितप्रज्ञ, महान् विश्व गुरु प्रभु द्वारकाधीश।। विराट रूप तीन लोक, चौदह भुवन, कुरुक्षेत्र में अर्जुन को किया प्रेरित। त्रिकर्म, जीवन, सुख-दुःख के चक्र, गीता ज्ञान के गंगा करके प्रवाहित।। यादव वंश के शिरोमणि, कुलभूषण, युगों-युगों तक भारत में यदुवंशी राज। आपको जन्मदिन की बधाई हो कान्हा, हम पर कृपा बना कर देना आशीर्वाद।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) ...
शिक्षक: एक भविष्य निर्माता
कविता

शिक्षक: एक भविष्य निर्माता

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** ज्ञान की पाठशाला में, जो सबको पढ़ाई करवाता है। वो शिक्षक ही तो है, जो बगिया में फूल खिलाता है।। सादे कोरे कागज में, शब्द लिखकर चित्र बनाता है। बच्चे कच्ची मिट्टी के समान, उन्हें आकार दे जाता है।। स्वयं चलता दुर्गम राह में, शिष्यों के लिए सुगम बनाने। स्वयं तपता है भट्टी में, कच्चे लोहे से औजार बनाने।। सड़क के जैसे पड़ा है, विद्यार्थी आते-जाते अनजाने। चले जा रहे रफ्तार से, मुसाफिर के मंजिल है सुहाने।। एक लक्ष्य, एक राह, मन में पैदा करता है सदा जुनून। हौसलों को बुलंद कर, अनुभव की चक्की से पीसे घुन।। शिक्षादूत, ज्ञानदीप, शिक्षाविद् ही दूर करता है अवगुन। जीत दिलाने अध्येता को, त्याग देता है चैन और सुकून।। कर्म औषधि जड़ी-बूटी को, अज्ञानियों को खिलाता है। ज्ञान गंगा प्रवाहित कर, ज्ञान अमृत सबको पिलाता है।...
यह कैसी है आजादी?
कविता

यह कैसी है आजादी?

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** नारी घर से निकल नहीं सकती, शातिर भेड़िये ताक रहे। उल्लू और चमगादड़, देकर संदेश कोटर से झाँक रहे।। सुख-चैन और नींद को छीनने, गली-गली घूमते हैं पापी। बेटियाँ सुरक्षित नहीं है भारत में, यह कैसी है आजादी? कोई दहेज के लिए प्रताड़ित होकर, जल रही हैं आग में? जुल्म और सितम को सहना, लिखा है नारियों के भाग में।। कम उम्र में ही कर दी जाती है जोर-जबरदस्ती से शादी। बेटियाँ सुरक्षित नहीं है भारत में, यह कैसी है आजादी? शराबी पति शेर बन दहाड़ रहे, पत्नी को समझकर बकरी। दुःख के पलड़े में झूल रही जिंदगी, नरक की तौल-तखरी।। व्याकुल मन की चीख-पुकार अब खोल रही द्वार बर्बादी। बेटियाँ सुरक्षित नहीं है भारत में, यह कैसी है आजादी? प्राचीन काल से ही गौरव नारी हुई थी शोषण का शिकार। अब दुर्गा बन कलयुगी दानव महिषासुर का करो संहा...
मेरा सच्चा साथी
कविता

मेरा सच्चा साथी

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** मेरा सच्चा साथी माता और पिता है, जिसने पालन-पोषण कर बड़ा किया। मेरा सच्चा साथी महाज्ञानी गुरुदेव है, जिसने मुझे काबिल बनने ज्ञान दिया।। मेरा सच्चा साथी शिक्षामणी पुस्तक है, जिसे पढ़कर मैंने सफलता प्राप्त की। मेरा सच्चा साथी हर वो नेक इंसान है, जिसने दुःख के समय में मेरी मदद की।। मेरा सच्चा साथी शरीर के प्रत्येक अंग है, जो मुझे कर्म करने के लिए किया प्रेरित। मेरा सच्चा साथी हमउम्र के सभी मित्र है, जो गुणों और अवगुणों को किये चित्रित।। सच्चा साथी भगवान कृष्ण और सुदामा थे, केवल नाम सुनकर ही प्रभु दौड़े चले आये। विप्र के मनोकामना पूरी हुई, खुशियाँ मिली, सखा को भाव विभोर होकर गले से लगाये।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण ...
जीत-जीत सोच तू जीत जायेगा
कविता

जीत-जीत सोच तू जीत जायेगा

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जीत-जीत सोच तू जीत जायेगा। हार से कभी न फिर घबरायेगा। अकेला चल राह में कदमों को बढ़ा, एक दिन तेरा ये मेहनत रंग लायेगा।। कुरुक्षेत्र के मैदान में जंग है जारी। जी जान लगा अपनी कर तैयारी। धनुर्धारी अर्जुन बन संशय में न घिर, कृष्ण की तरह दिखा विराट अवतारी।। मंजिल की आंखों में पहले आंखें तो मिला। लक्ष्य पाने मनबाग में कुसुम तो खिला। नित कर्म ही तेरा भाग्य है वीर मनुज, रुकना नहीं चाहिए अभ्यास का सिलसिला।। आयेंगी चुनौतियां तेरी लेने परीक्षा। दृढ़ पर्वत के समान खड़ा कर प्रतीक्षा। साहस भरके मन में सामना तो कर, मिलेगी सफलता पूरी होगी हर इच्छा।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार से सम्मानित। घोषणा पत्र : मैं ...
सूर्यवंशी राम
भजन, स्तुति

सूर्यवंशी राम

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** चतुर्भुज गोविन्द के अवतारी, लीलाधारी घनश्याम। दशरथ नंदन, रघुकुल भूषण, मर्यादा पुरुषोत्तम राम।। सूर्यवंश के प्रतापी अधिपति, त्रेतायुग के पुरुष विराट। प्रजाओं के परम पूजनीय, आदर्श देव महान सम्राट।। गुरु वशिष्ठ के प्रिय शिष्य, धनुर्विद्या में अति प्रवीण। करुणानिधान, दयालु,जन मन कीर्ति किया उत्कीर्ण।। दीन-हीन, पतितों के अभिरक्षक, रणबांकुरा, रणधीर। दानव और राक्षस संहारक, सर्व शक्तिमान, शूरवीर।। माता-पिता वचन अनुगामी, प्रिया के प्रति समर्पण धर्म। भ्राता के प्रति स्नेहिल व्यवहार, न्याय संगत, राज कर्म।। मित्र के प्रति सहयोग भावना, मृदुभाषी,सरल व्यक्तित्व। लोकमंगल, जनकल्याण, खुशहाल, समृद्ध था प्रभुत्व।। रामराज्य में अंगीय, अगत्या, पार्थिव तापों से थी मुक्ति। किंचित मृत्यु, व्याधि व्यथा की थी प्रभावज...
लक्ष्य की ओर
कविता

लक्ष्य की ओर

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** दौड़ सकता है तो दौड़, भाग सकता है तो भाग। मंजिल पाने के लिए, अंतर्मन में लगी है आग।। ठण्डे खून के उबलने तक या खून सूखने तक। पागलपन की जुनून तक या मुर्दा बनने तक।। जब तक मंजिल ना मिले, राहों में तुम रुकना नहीं। चुनौतियों का सामना करना, स्वयं कभी टूटना नहीं।। जीवन की सांसें फूलने तक या सांसें रुकने तक। कंकाल की राख उड़ने तक या चमड़े गलने तक।‌। कुछ विरोधी और बुरे लोग, तुम्हें पथ से भटकायेंगे। खूब हंसी उड़ेगी गलियों में, जन भ्रमजाल फैलायेंगे।। मिट्टी में दफन होने तक या सब कुछ खत्म होने तक। आत्मा की शुद्धि होने तक या परमात्मा दिखने तक।। डटे रहना मैदान में वीर योद्धा, शत्रुओं को करने ढेर। धीरज रखना साहस भरकर, जीत में भले होगी देर।। हार के काली रात के बाद, आयेगी सफलता भोर। दृढ़ आत्मविश्वास से...
संत शिरोमणि रविदास
कविता

संत शिरोमणि रविदास

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** स्वर्णयुग में निर्गुण धारा के भक्त कवि। अपनी वाणी से जनजागृति किया रवि।। लोक कल्याण करने जन्म लिया काशी। संतोख और कलसा के पूत अविनाशी।। कान्ता लोना, वत्स विजय से हुए विमुख। शिष्या झाला, मीराबाई के बने गुरु प्रमुख।। परहित, दयालु और आनंद का खजाना। ईश्वर-भजन, भक्ति और सत्संग दीवाना।। भवसागर पार कराने गुरु नाम है अग्रणी। रामानंद के शिष्य रैदास संत शिरोमणि।। मध्यकाल में कबीरदास के समकालीन। कार्य समय में करने हमेशा थे तल्लीन।। साधु-संतों की संगति से विज्ञान अर्जित। अध्यात्मिक ज्ञान जन-जन को अर्पित।। रैदास की वाणी समाज हित की भावना। मधुर, भक्तिमय भजनों की सुंदर रचना।। ऊंच-नीच की भावना निरर्थक यही संदेश। सबको प्रेमपूर्वक रहने का दिया उपदेश।। सतगुरु और जगतगुरु की मिली उपाधि। चित्तौड़गढ़ में है गुरुवर ...
गणतंत्र दिवस
कविता

गणतंत्र दिवस

  अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** आओ साथी मिलकर सभी गणतंत्र दिवस मनाएंगे। स्वतंत्रता, समता, एकता और अखंडता को अपनाएंगे।। नया सूर्योदय, नया प्रभात, उमंग और उत्साह होगा। देश प्रेम की भावना लिये जन-जन में उल्लास होगा।। हर हाथों में तिरंगा झंडा लहराता प्रभात फेरी निकलेगी। भारत माता की जयगान मुख से वंदे मातरम निकलेगी।। शांति, साहस, सत्य और पवित्रता के ध्वजा फहराएंगे। आओ साथी मिलकर सभी गणतंत्र दिवस मनाएंगे।। वीर जवानों और अधिनायकों की कुर्बानी को याद करो। भारत के संविधान निर्माता बाबा साहब को याद करो।। व्यक्ति बने समाजवादी मन में हो बंधुत्व की भावना। न्याय, अवसर और अधिकार मिले यही है कामना।। बच्चे, जवान और वृद्ध मिलकर राष्ट्रगान हम गाएंगे। आओ साथी मिलकर सभी गणतंत्र दिवस मनाएंगे।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली...
तैयारी हो चुकी है
कविता

तैयारी हो चुकी है

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** आरंभ कर बार-बार अभ्यास, लड़ाई का आगाज हो चुकी है। ज्ञान महायुद्ध में जीतने के लिए, परीक्षा की तैयारी हो चुकी है ? जीवन कुरुक्षेत्र में उतर अकेला, कृष्ण सदृश स्वयं को उपदेश दो। भ्रम और पराजय कौरव दलों की, धनुर्धारी अर्जुन बन वध कर दो।। अंतरात्मा की शक्ति को पहचान तू, ज्ञानमणी को मस्तक में कर धारण। उमड़-घुमड़ रहे हैं संशय के बादल, प्रचंड सूर्योदय कर करो अवदारण।। तुम्हारी सोच पर निर्भर है कामयाबी, जीत की माला जप जीत-जीत सोचो। तूलिका कुदाल से धीरे प्रहार करके, यदि प्यासा हो तो स्वयं कुआं खोदो।। तेरी मंजिल महबूबा तुझे पुकार रही है, तिमिर के स्वप्न छोड़ नींद से अब जाग। नयी उम्मीद और नया उत्साह के साथ, नित कर्म कर लक्ष्य की ओर अब भाग।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहाय...
जीत होगी
कविता

जीत होगी

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** हार से हार कर बैठे हो तुम। मन को मार कर बैठे हो तुम।। जीत के लिए छोड़ दिए तैयारी। तोड़ दी पुस्तकों से अपनी यारी।। अनमना रहना अच्छा लगता है। बीती हुई बातें अच्छी लगती है।। मैं क्यों हारा इसका शोध कर? किये हुए गलती का बोध कर।। मन को एकाग्र कर साहस भरकर। लक्ष्य की ओर जाना है दौड़ कर।। फिर शुरू कर अध्ययन जीत की। प्रेरणा लेते चल ज्ञान अतीत की।। जाग जा युवा समय के संग चल। दुःख की बदली को सुख में बदल।। कर्म राह में आयेगी जो चुनौतियां। ज़िद के सामने दूर होगी पनौतियां।। कठोर परिश्रम से दक्षता हासिल कर। तब मंजिल राह देखेगी चुनेगी वर।। झूम के नाचोगे मन में खुशी होगी। अंतिम में जय होगी, विजय होगी।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शि...
बसंत बहार
कविता

बसंत बहार

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** वसुंधरा में फिर से नव बहार आ गयी है। जन जीवन में नवीन खुशियां छा गयी है।। शिशिर ऋतु में हरित धरती वीरान थी। जीर्ण-शीर्ण तरुओं से दुनिया मसान थी।। बूढ़े पत्ते और फूलों का दर्द कौन समझे? प्रकृति के प्राणी पुनर्जन्म चक्र में उलझे।। हवाएं गीत गाती, लहराती, नाच रही है। अपनी प्रेम और वेदना को भांप रही है।। अमृतफल के डालियों में कोयल कुहूकी। पुष्प पल्लव के खुशबू से वादियां महकी।। हर्षित प्राणीजन कर रहे उत्सव की तैयारी। पंख फैलाकर उड़ रही है तितलियां प्यारी।। प्रणय की धुन बजा रहे हैं मतवाले मधुकर। हवा में नाच रही है कलियां झूम-झूम कर।। हरित आभा को देखकर चकित है संसार। देखो चहूंओर फैली है खुशियों का अंबार।। करो सहृदय कविराज बसंत का गुणगान। भरलो मन में भव्य कल्पनाओं की उड़ान।। उल्लासित हो स्वागत करो बसं...
अतीत की परछाई
कविता

अतीत की परछाई

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** मेरे अतीत की परछाई धुंधली, मुझे याद आ रही है बीते दिन। दिवास्वप्न में दिखाई देता चित्र, इंद्रायुध अर्धवृत्ताकार रंगीन।। मैं उतरा भू पिण्ड सा चमकता, अर्ध रात्रि का प्रहर नींद में डूबा। देखकर स्तब्ध थे चांद और तारें, मुझे आवाज दी मेरी महबूबा।। ओ भविष्य गामी अभिजन नर, बदहाली देख तू हरित धरा की। स्वर्ग का राज वैभव त्याग अभी, हे!महापुरुष दुःख हटा जरा की।। प्राचीन देश का नवीन विचार लिए, खेल मेरी अंगों से कोई नवीन खेल। हम दोनों में विद्युत तरंग की शक्ति, शिशु का विस्तार कर बनाकर मेल।। भूत को भूलाकर वर्तमान जिए जा, यही पल सुखद और आनंद वाला। मत भाग अपने कर्म से सुदूर अनंत, बनकर राजा, राज कर पहन माला।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा...
पहला कदम
कविता

पहला कदम

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** विजय के लिए लक्ष्य पर ध्यान हो, नित्य कर्म में हो लगन खा कसम। एक ठौर रख सोच और समझ कर, जीवन जंग जीत का पहला कदम।। सही दिशा में पतवार को घुमाते चल, नदी की धारा तीव्र हो रही है प्रवाहित। मत छोड़ पालों को हवाओं के भरोसे, नाव डूबाने बैठा जल भंवर सन्निहित।। पर्वत शिखर दुर्गम, अटल, विकराल, आगे बढ़ तू फहराने जीत का झण्डा। चढ़ेगा,गिरेगा कई-कई बार फिसलेगा, ध्येय पाने अपना अनेक हथकण्डा।। जीवन कुरुक्षेत्र युद्ध का खुला मैदान, चक्रव्यूह भेदने धनुर्धारी अर्जुन बन। रख पास सदा गीता ज्ञान दाता कृष्ण, फिर लगा दे अपने कर्म में तन-मन।। जंग लड़ने के लिए खुद को तैयार कर, ध्यान से लगा एक तीर से एक निशाना। दृढ़ संकल्पित हो वैमनस्य को कर ढेर, जयन में शामिल होगा सारा जमाना।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसग...