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Tag: कु. आरती सिरसाट

फकीर तुम्हारे गाँव में
कविता

फकीर तुम्हारे गाँव में

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** आओं लेकर चलें तुम्हें एक ऐसे गाँव में.... जहाँ आज भी खटिया बिछीं रहतीं है नीम की छाँव में... क्या तुम्हारे गाँव की धरा को भी पुजा जाता है ऐसे ही बिन पहने चप्पल पाँव में... क्या फकीर तुम्हारे गाँव में भी ऐसा होता है... रातें के अंधेरे में मौन रहकर कोई बालक रोता है... जैसे पुकारते है... मुझे मेरे दादाजी के नाम से... क्या तुम्हें भी तुम्हारा गाँव तुम्हारे दादाजी के नाम से पुकारता है... क्या फकीर तुम्हारे गाँव में भी ऐसा होता है... दादी की परीयों वाली कहानी और पेडों पर तोता है... जहाँ गाती है नदियाँ... आज भी घोसला बनाती है पेडों पर गौरय्या... क्या तुम्हारे गाँव की गलियों में भी बाँसुरी बजाता है कोई कन्हैया... क्या फकीर तुम्हारे गाँव में भी ऐसा होता है... पंछी आजाद है और कहां जाता नदियों को...
तथागत
कविता

तथागत

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** मेरी गलियों से कभी गुजरों तथागत... मेरी पीड़ा को कभी समझ लो तथागत.... खुद को खुद से दुर करने में लगी हूँ मुझे खुद से कभी मिला दो तथागत.... संभलना नही आया मुझे अभी तक टुटने से पहले ही समेट लो तथागत... मेरी गलियों से कभी गुजरों तथागत... मेरी पीड़ा को कभी हर लो तथागत अंधेरी रातों से डर लगता है मुझे, तुम यूँ बिन बताएं घर से निकला न करों तथागत... राहें बहुत परेशानियों से भरी हुई है हाथ पकड़कर कांटों पर चलना सीखाओ तथागत... मेरी गलियों से कभी गुजरों तथागत... मेरी खामोशी को कभी सुन लो तथागत... अकेले जीवन गुजारना संभव नहीं बीतने से पहले हाथ थाम लो तथागत... मेरी गलियों से कभी तो गुजरों तथागत... यशोधरा राह तके अब घर लौट आओं तथागत... मेरी गलियों से कभी गुजरों तथागत... यशोधरा पुकारे कभी सुन लो ...
आदमी
कविता

आदमी

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** कभी मशहूर तो कभी बदनाम आदमी...! परेशानियों का बोझ लिए खड़ा आदमी...!! दिन के उजालों में अपने आंसू छिपाता आदमी...! रात के अंधकार में खुद को तम में भीगाता आदमी...!! मंजिल की चाह में जवानी को मरता आदमी...! सफर का आनंद लिए बिना जीता आदमी...!! कभी जागा तो कभी सोया आदमी...! खुद में ही खोया खोया आदमी... बेवफाई के बाज़ार में वफ़ा की गुहार लगता आदमी...! अपनी औकात से ज्यादा खुद को दिखाता आदमी...!! अपनी गलतियों पर पर्दा डालता आदमी...! ओरों की गलतियों को बेपर्दा करता आदमी...!! कभी मशहूर तो कभी बदनाम आदमी...! परेशानियों का बोझ लिए खड़ा आदमी...!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्...
राष्ट्र का सम्मान है हिंदी
कविता

राष्ट्र का सम्मान है हिंदी

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** राष्ट्र का मान है सम्मान है हिंदी...! भारत की आन है पहचान है हिंदी...!! मीरा की कृष्ण के प्रति भक्ति है हिंदी...! सुरदास के सूर में शक्ति है हिंदी...!! निराशा में भी आशा की किरण है हिंदी...!! कभी शब्द तो कभी शब्दों का अर्थ है हिंदी...!! राधा कृष्ण के परिशुद्ध प्रेम की परिभाषा है हिंदी...! प्रकृति का मधुर स्वर है हिंदी..!! मानव की मानवता का अस्तित्व है हिंदी...! 'निराला' की कविताका रस है हिंदी...!! पवन की पुरवाई में समाई है हिंदी...! नभ की काली घटाओ में है हिंदी...!! माटी की खुशबू में महकती है हिंदी...! वीरों के लहू में धडकती है हिंदी...!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेर...
ममता की मुरत
कविता

ममता की मुरत

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** ममता की मुरत है....! प्यारी सी जिसकी सुरत है....!! पल पल रहती जिसकी जरूरत है....!!! माँ से ही तो दुनिया ये इतनी खूबसूरत है....!!!! त्याग की देवी जिसे हम कहते है....! साये में जिसके हम रहते है....!! संतान के दर्द में आँसू जिसके बहते है....!!! सम्भाल कर रखना तुम उसे, अनमोल है माँ, हम कहते है....!!!! करूणा का बहता सागर है....! जीवन का रहता सार है....!! प्रभु का कहता विस्तार है....!!! माँ से ही बनता ये संसार है....!!!! पवन में पुरवाई है....! राग में जो सहनाई है....!! लक्ष्मी का रूप लेकर आई है....!!! संग अपने खुशियों की सौगात लाई है....!!!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्...
जिन्दगी को थोड़ा आसान बनाते है
कविता

जिन्दगी को थोड़ा आसान बनाते है

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** जिन्दगी को थोड़ा आसान बनाते है...! आओं गमों को थोड़ा हँसना सिखाते है...!! ख्वाब एक नया सजाते है...! आओं चाँद को इशारा करके जमीन पर बुलाते है...!! मन के भीतर की छवि को आईने में दिखाते है...! आओं तुम्हें तुम्हारी शक्सियत से मिलाते है...!! दुनिया की कुछ रीतों को निभातें है...! वधू के साथ दूसरे तोल पर पिता की बेबसी को बिठाते है...!! बिखरे नातों के बीच प्रेम की एक गाँठ बाँधते है...! मन के सारे गीले शिकवे भुलाते है...!! बीना मौहब्बत के है ये दुनिया कब्र सी...! आओं मिलकर इस जगत को प्रेममय बनाते है...!! जिन्दगी को थोड़ा आसान बनाते है...! आओं इसे अपनी उँगलियों पर नचाते है...!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रम...
हमारी हिन्दी
कविता

हमारी हिन्दी

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** हिन्दी गौरव है, सम्मान है, है हमारी संस्कृति....! जैसे पाकर वर्षा को मुस्कुराती है प्रकृति....!! हिन्दी ज्ञान है, मान है, है हमारी सम्पत्ति....! जैसे संविधान में सभी को समानता है होती....!! हिन्दी सभ्यता है, प्रमाण है, है हमारी प्रगति....! जैसे किसी नेत्रहीन के आंखों में नयी ज्योति....!! हिन्दी भाग्य है, सौभाग्य है, है हमारी कृति....! जैसे हरी निर्मल बत्तियों पर ओस के मोती....!! हिन्दी शान है, अभिमान है, है हमारी प्रवृत्ति....! जैसे हर हिंदू के मुख पर आशा के बीज है होती....!! हिन्दी प्रेम है, समर्पण की भाषा है, है प्रभु की "आरति"....! जैसे "नील" गगन में नारायण की बनी हो आकृति....!! हिन्दी सार है, विस्तार है, है हमारी कोटि....! जैसे निर्धन के हाथों में एक रोज की रोटी....!! परिचय ...
हम ही आज है, कल भी हम ही है…
कविता

हम ही आज है, कल भी हम ही है…

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** हम ही आज है, कल भी हम ही है......! हम ही रीत है, रिवाज भी हम ही है......!! हम ही आजादी है, बेडियां भी हम ही है......! हम ही पंछी है, पिजरा भी हम ही है.....!! हम ही अभिमन्यु है, चक्रव्यूह भी हम ही है.....! हम ही मोहन है, बाँसुरी भी हम ही है.....!! हम ही पेड़ है, कुल्हाड़ी भी हम ही है......! हम ही नफ़रत है, प्रेम का प्रतीक भी हम ही है......!! हम ही तो आशा है, निराशा भी हम ही है......! हम ही तो पाप है, पून्य भी हम ही है......!! हम ही नदियों की कलकल है, अशुध्दियाँ भी हम ही है......! हम ही आस्तिक है, नास्तिक भी हम ही है......!! हम ही छल है, निच्छल भी हम ही है......! हम ही विध्या है, अनपढ़ भी हम ही है......!! हम ही धूप है, छाँव भी हम ही है......! हम ही शहर है, गाँव भी हम ही है......!! हम ...
ए मेरे वतन के लोगों सुनों
कविता, गीत

ए मेरे वतन के लोगों सुनों

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** ए मेरे वतन के लोगों सुनों आओं मैं तुम्हें सुनाऊँ एक कहानी.... जो मिट गया भारत माता पर क्या इसलिए ही थी उसकी जवानी.... अपनी माँ के दिल का था वो राजा.... देखों कैसे फिर उसके तन पर तिरंगा सजा.... तोड़ दी सारी हदें उसनें वतन को चाहने की.... नहीं बचीं थी कोई भी जगह गोली खाने की.... टूटी होगी चूडियाँ, तो टूटने दो ना.... रूठी होगी बहना, तो रूठने दो ना.... उन आंसुओं की ममता में मुझे बहनें देना.... पिता जो कहें मेरा तो मुझे वही रहने देना.... ए मेरे वतन के लोगों सुनों आओं मैं तुम्हें सुनाऊँ एक कहानी.... रक्त बड़ा ईमानदार था उसका नही था उसमें जरा भी पानी..... बन के मुस्कान मैं तेरी ये प्रिये, तेरे होंठो पर हरदम रहूँगा..... तुम मुझे पुकार लेना अपने नैनों से मैं तुम्हारी आवाज बन जाऊंगा.... द...
तुम्हारी जुदाई में
कविता

तुम्हारी जुदाई में

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** तुम्हारी जुदाई में आंखों से आंसू ही नहीं बहे।। एक वक्त बाद। आंसुओ के साथ बहे तुम्हारी यादें.... तुम्हारी बातें.... वो मुलाकातें.... वो जगाती रातें.... और बह गई वो सब उदासियां। बह गई वो सब बैचेनीयां।। बह गई वो सब परेशानियां।। बह गई वो सब दुरियां।। और बहते- बहते ठहर गएं वो आंसू मेरी कलम में आकर.... उतरने लगीं वो सारी बातें कागज़ पे समाकर.... और फिर मैं तुम्हें याद करने लगी.... तुमसे बात करने लगी.... अकेले में मुलाकात करने लगी.... सोकर फिर तुममें जागने लगी.... मुझे अच्छी लगने लगी उदासियां.... सखी बन गई बैचेनीयां.... समझाने लगी परेशानियां.... पास रहने लगी दुरियां.... फिर मैं प्रेम के उस द्वौर में चली गई जहां प्रेम ने मुझे प्रेम समझायां था। और मैं समझ गई कि प्रेम को कभी समझा ही न...
मोह-माया की दुनिया
व्यंग

मोह-माया की दुनिया

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** बात सुबह के आठ साढ़े आठ बजे की है जब मैं बालकनी में बैठीं हुई चाय और बिस्किट का मज़ा लेते हुएँ, साथ में ही अखबार के पन्नों को पलट रही थी। ओर सोच रही थी की आखिरकार हमारें देश के नागरिक कब मोह माया की दुनिया से बाहर निकलेगें। कब वर्तमान में जीवन जीएगे कब वास्तविकता का समाना करेंगे। और कब देश का विकास होगा। तभी अचानक मेरी नज़र नीचें सड़क पर पड़ी। ओर मैंने देखा की शर्मा चाचाजी चलते-चलते अचानक रूक गये। मगर मैं कहा रूकने वाली थी, मैं तो तुरंत बोल पडीं। ...अरे चाचाजी क्या हुआ आप चलते-चलते अचानक क्यों रूक गयें, क्या कुछ भुल गये बाजार से लाना। चाचाजी बोलें... अरें नहीं बेटा कुछ भुला नही... बल्कि मैं तो बहुत जल्दी में हूँ, मुझे जल्दी घर जाना है। ठीक है चाचाजी, मुझे क्षमा कर दीजिए, आप जल्दी में है ओर मैंने आपको बीच में टो...
हम ही आज है, कल भी हम ही है
कविता

हम ही आज है, कल भी हम ही है

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** हम ही आज है, कल भी हम ही है......! हम ही रीत है, रिवाज भी हम ही है......!! हम ही आजादी है, बेडियां भी हम ही है......! हम ही पंछी है, पिजरा भी हम ही है.....!! हम ही अभिमन्यु है, चक्रव्यूह भी हम ही है.....! हम ही मोहन है, बाँसुरी भी हम ही है.....!! हम ही पेड़ है, कुल्हाड़ी भी हम ही है......! हम ही नफ़रत है, प्रेम का प्रतीक भी हम ही है......!! हम ही तो आशा है, निराशा भी हम ही है......! हम ही तो पाप है, पून्य भी हम ही है......!! हम ही नदियों की कलकल है, अशुध्दियाँ भी हम ही है......! हम ही आस्तिक है, नास्तिक भी हम ही है......!! हम ही छल है, निच्छल भी हम ही है......! हम ही विध्या है, अनपढ़ भी हम ही है......!! हम ही धूप है, छाँव भी हम ही है......! हम ही शहर है, गाँव भी हम ही है......!! हम ही...
जब तुम्हें प्रेम हो जाएगा
कविता

जब तुम्हें प्रेम हो जाएगा

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** तुम्हें नफ़रत से भी प्रेम हो जाएगा......! जब तुम्हें प्रेम हो जाएगा......!! छोड़ दोगें जिद्द हमें पाने की.......!!! जब तुम्हें प्रेम हो जाएगा......!!!! ना रहेगा जीवन में तुम्हारे......! किसी भी मोह का साया......!! ना कोई दर्द तुम्हारे जीवन में आएगा......!!! जब तुम्हें प्रेम हो जाएगा......!!!! चाहोगे देकर आजादी हमें......! ना किसी बंधन में बाँधने की कोशिश करोगें......!! सारा समां तब प्रेम के रंग में रंग जाएगा......!!! जब तुम्हें प्रेम हो जाएगा......!!!! सुनाई देगी तुम्हें बातें भी वो सारी......! जो हमनें मन में कहीं होगी......!! तुम्हारा दिल भी तब गीत हमारा गाएगा......!!! जब तुम्हें प्रेम हो जाएगा......!!!! समझ जाओगे प्रेम का अर्थ......! बंद आँखों से भी हमें तब देख पाओगे......!! एक दिन समय...
तुम से नज़र मिली
कविता

तुम से नज़र मिली

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** तुम से नज़र मिली बाग में कलियां खिलीं रंग बदलने लगा आकाश सुनहरा श्रंगार करने लगी वसुंधरा चमकने लगें पीपल के पत्ते सजे है मँजिल से खूबसूरत रस्ते तुम से नज़र मिली शब्दों ने अपनी जुबां सिली बोलने लगी खामोशी मौसम में भी छाने लगी मदहोशी होने लगी दिल की बातें करने लगी यादें मुलाकातें तुम से नज़र मिली बाग में कलियां खिलीं खिल उठा हो जैसे बचपन मेरा लगने लगा सारा जहान मेरा पलकों पर तुम्हें सजाना है काजल नही आँखों में तुम्हें बसाना है तुम से नज़र मिली आँखें ये हो गयी गीली जागने लगी रातें प्यारे वो पल सतातें अंनत प्रेम है तुम से, इसमें मेरी ख़ता नही किताबों में छूपाने लगी हूँ आँसू है या स्याही पता नही तुम से नज़र मिली खुद को भी मैं भुली बस गये ध्यान में तुम बन गये प्राण तुम आ गयीं ह...
एक सैनिक कि वतन से मौहब्बत
कविता

एक सैनिक कि वतन से मौहब्बत

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** वतन के लिए जीते हैं वतन पर ही वो मरते हैं...! बेइंतेहा, बेमिसाल, बेपनाह मौहब्बत वो वतन से ही करते हैं..!! देखकर उनकी वर्दी कि चमक को दुश्मन भी कोसों दूर भागते हैं...! एक हाथ में तलवार तो दूसरे हाथ में वो अपने परिवार को रखते हैं..!! आने ना पाएं कोई भी आँच राष्ट्र पर, मातृभूमि की कसम रोज वो खाते हैं...! नहीं कोई हवाओं और वर्षा का डर वो तो तूफानों का भी रूख मोड़ देते हैं..!! ना दिन कि कोई परवाह, ना ही रातों का चैन वो जानते हैं...! भगवान भी ना कर सकें इतनी रक्षा वो तो ईश्वर की तरह पूजें जाते हैं..!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कव...
बरसात की बूंदें
गीत

बरसात की बूंदें

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** हमसे पूँछ रही है बरसात की बूंदें पता तुम्हारा..... रहते हो मुझमें तुम और पता बता दिया दिल है हमारा..... सावन की पहली बरसात जो तुम से मिलने आएं....... बूंदों में मुझे तुम देख लेना....... पीकर तुम उन बूंदों को मन अपना भर लेना..... फिर भी अगर तन्हाई न जाएं........ ख्वाबों में मुझे तुम बुला लेना...... अपनी नींदों में मुझे तुम सुला देना....... हमसे पूँछ रही है बरसात की बूंदें पता तुम्हारा..... रहते हो मुझमें तुम और पता बता दिया दिल है हमारा..... देखों बारिश तुम से मिलने आई है..... हवाओं में भी मदहोशी छाईं है..... एक अलग खूशबू फूलों में समाई है..... धरा की खूबसूरती मन को भाई है..... नदियों ने भी अपने किनारों से छलांग लगाई है..... फिर भी मौहब्बत में ये कैसी तन्हाई है..... हमसे पूँछ ...
खामोशी
कविता

खामोशी

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** हर जुबां कुछ कहती है, खामोशी से हर दर्द सहती है...! कुछ दर्द का नाम खामोशी है तो कुछ खामोशी दर्द के नाम है..!! रात के अंधेरों मे निकलते है, जो आँसू उनको सह लेती है खामोशी...! दिन के उजालों मे झूठी सी मुस्कान दे जाती है खामोशी..!! न जाने कितनी ही फाइलों मे दर्ज हुई है, खामोशी...! कुछ खुली तो कुछ अभी-भी छुपाई गई है खामोशी..!! खामोश है आज भी वह अखबार इस बात से...! कि फेल न जाए, कोई अफवाह सच के नाम से..!! खामोशी से आज भी सह लेता है, वो टूटा हुआ दिल हर गम...! कि कोई आँख न हो जाए उसकी वजह से नम..!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपन...
धरती माता
हाइकू

धरती माता

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** सुनों धरती माता क्या है कहती आँसू बहाती.... लाशों का बोझ अब ना मैं सहती खफ़ा रहती.... सहनशील धरती माता मत कर प्रलय.... अब तो शवों को गोद में लेने से किया इंकार.... संतान हम तेरी ही है जननी सुरक्षा कर.... परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजि...
जीवन का सच
कविता

जीवन का सच

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** इश्क़ की राह में हर एक इंसान बदनाम हैं...! कुछ खत लिखें तो कुछ अभी भी बेनाम हैं..!! खुशियों को तलाश रही, जिन्दगी गमों की बहार हैं...! हारना और जीतना यहीं तो जीवन का सार हैं..!! जिम्मेदारियों ने उस नन्ही सी मासूमियत को घेरा है...! एक गलती से टूट गया वो संबंध, उसनें कहा ये तेरा है ये मेरा हैं..! किसी की यादों में ये आँखें भी बरसती हैं...! प्यास लगने पर ये धरती भी बारिश के लिए तरसती हैं..!! दुनिया कहें समय को यहीं सबसे बड़ा काल हैं...! कहती है कुछ रातें अंधेरों से, इंसान ही इंसान के लिए बना रहा जाल हैं..!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
ये हवाएँ
कविता

ये हवाएँ

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** ये हवाएँ....मन को चीरते हूए..... मेरी रूह को छेड़ रही है..... लगता है....छू कर तुम्हें..... मेरी ओर बड़ रही है..... ये हवाएँ.....कुछ कह रही है...... लेकर तुम्हारा नाम बह रही है..... गंध तुम्हारा..... स्पर्श तुम्हारा..... एहसास एक नया सा साँसों में खोल रही है..... उलझ कर मेरे बालों से खेल रही है..... ये हवाएँ.....कुछ कह रही है...... लेकर तुम्हारा नाम बह रही है..... बार बार टकराकर मुझसे..... बस एक ही आवाज मेरे कानों में दे रही है..... भटकाकर मुझकोे मुझ से...... तुम्हारा नाम मेरे ध्यान में भर रही है.... ये हवाएँ.....कुछ कह रही है...... लेकर तुम्हारा नाम बह रही है..... कभी दायीं तरफ से.....तो कभी बायीं तरफ से..... अपने भँवर में मुझे ये कैद कर रही है..... आकर मेरे करीब तुम्हारी याद दे रही है....
“बाकी सब वैसा का वैसा ही तो रहेगा” (नारी व्यथा)
कविता

“बाकी सब वैसा का वैसा ही तो रहेगा” (नारी व्यथा)

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** नाम बदलेगा, गाँव बदलेगा, शहर बदलेगा, यहां तक की प्रदेश भी बदल जाएगा.... ज्यादा कुछ नही बस पहचान और पता ही तो बदलेगा... बाकी सब वैसा का वैसा ही तो रहेगा... दर्द वहीं रहेगा... सहना भी रोज की तरह ही होगा... कुछ भी तो नही बदलेगा... सहनशीलता की सीमा को थोड़ा ओर बड़ाना होगा... ज्यादा कुछ नही बस खामोशी से ही हर आँसू भी पीना होगा... बाकी सब वैसा का वैसा ही तो रहेगा... ना तो कोई माँ की तरह बिस्तर पर खाना लाएगा... ना ही पापा की तरह कोई सुबह की सलाह देने वाला होगा... अंदर से रहकर अकेला ओरों के सामने हँसना होगा... ज्यादा कुछ नही बस अपना वजन खुद को ही उठाना होगा... बाकी सब वैसा का वैसा ही तो रहेगा... सारे अरमानों की करके हत्या इल्जाम खुद पर ही लगाना होगा... बेबस चीखती जुबान को मन ही मन ...
हार ही हुई है
कविता

हार ही हुई है

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** बहुत बार कर के देख ली है कोशिश....! हर बार हमेशा कि तरह हार ही हुई है....!! दफ़न हो गई है तमन्नाएं सारी मन के भीतर ही....! ओर कितनी मन्नतें मानू एक भी कहा साकार हुई है....!! जब भी चाहा किसी चीज को शिद्दत से....! सारी कायनात हमेशा की तरह दूर करने में ही लग गई है....!! पुराने ख्वाब ज़हन में भला आयेंगे भी कैसे....! नींद जो हमारी अब नयी हुई है....!! सोच के बारे में ओर कितना सोचूं, सोचती हूँ सोचना ही छोड़ दू....! सोच हमेशा सभी कार्यों के विपरीत ही हुई है....!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के ...
मौत की खुशबू
कविता

मौत की खुशबू

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** प्रकृति ने ओर इक बार दहाड़ लगायीं है....! विकराल रूप लेकर, मौत की खुशबू पवन में फिर से छायीं है....!! न अस्पताल में जगह है, न शमशान में जगह है....! सब तेरा ही तो किया धराया है, तूँ ही तो इस महामारी की वजह है....!! तेरी औकात तुझे क्यों समझ में नहीं आती है ये इंसान....! कभी तूँ माटी पर तो, कभी माटी तेरे ऊपर, बस इतनी सी तो है तेरी पहचान....!! किस बात का अलंकार तुझ पर छाया है....! दौलत, शोहरत ये तो एक तेरे मन की मोह माया है....!! बोल अपने तूँ अनमोल रख यहीं तो जीवन की सच्ची कमाई है....! प्राणी मात्र पर दया करना सिख ले इसी में तेरी भलाई है....!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भ...
बोझ
कविता

बोझ

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** सागर की गहराई से भी अधिक सहनशीलता उसके अंदर है.... हुनर पाया है उसने एक ऐसा, पलकों पर भी रखती वो समंदर है.... देखों सारी जिम्मेदारियों को उसने अपने जुडें में बांधा है.... पैरों में पायल है, मगर घुघरूओं को बंधनों ने जकड़ा है.... रखती है पाई-पाई का हिसाब, मगर रहता खुद की उम्र का भी नहीं है जिसें होश.... नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ..... नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ..... कभी किसी की बेटी है.... तो कभी किसी की पत्नी है.... कभी किसी की माँ है.... तो कभी किसी की सास है.... अनेक है, अलौकिक है, अनंत है उसके रूप.... सब को आँचल की छाया में बिठाकर, खुद सहती है धूप.... समझ लेती है सभी को अपने ऐसा, एक यही भी है उसमें दोष.... नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ..... नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ..... कतल कर देती है.... अपनी सारी इच्छाओ...
हिंदी
कविता

हिंदी

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश)) ******************** राष्ट्र का मान है सम्मान है हिंदी...! भारत की आन है पहचान है हिंदी...!! मीरा की कृष्ण के प्रति भक्ति है हिंदी...! सुरदास के सूर में शक्ति है हिंदी...!! निराशा में भी आशा की किरण है हिंदी...!! कभी शब्द तो कभी शब्दों का अर्थ है हिंदी...!! राधा कृष्ण के परिशुद्ध प्रेम की परिभाषा है हिंदी...! प्रकृति का मधुर स्वर है हिंदी..!! मानव की मानवता का अस्तित्व है हिंदी...! 'निराला' की कविता का रस है हिंदी...!! पवन की पुरवाई में समाई है हिंदी...! नभ की काली घटाओ में है हिंदी...!! माटी की खुशबू में महकती है हिंदी...! वीरों के लहू में धडकती है हिंदी...!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...